Loan kist moratorium: लोन मोरेटोरियम लिया है? नहीं चुकाना पड़ेगा चक्रवृद्धि ब्याज और पेनाल्टी

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भाषा
Updated Mar 23, 2021 | 15:30 IST

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 से आगे लोन किस्त मोरेटोरियम का विस्तार नहीं करने के केंद्र सरकार और आरबीआई के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

Compound, punitive interest will not be taken during loan kist moratorium period : supreme court 
लोन मोरेटोरियम 

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश दिया कि 6 महीने की लोन किस्त मोरेटोरियम अवधि के लिए उधारकर्ताओं से कोई चक्रवृद्धि या दंडत्मक ब्याज नहीं लिया जाएगा, और अगर पहले ही कोई राशि ली जा चुकी है, तो उसे वापस जमा या समायोजित किया जाएगा। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पिछले साल लोन किस्त मोरेटोरियम की घोषणा की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 से आगे लोन किस्त मोरेटोरियम का विस्तार नहीं करने के केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय केंद्र की राजकोषीय नीति संबंधी फैसले की न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं कर सकता है, जब तक कि यह दुर्भावनापूर्ण और मनमाना न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पूरे देश को प्रभावित करने वाली महामारी के दौरान राहत देने के संबंध में प्राथमिकताओं को तय करने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

पीठ ने रियल एस्टेट और बिजली क्षेत्रों के विभिन्न उद्योग संगठनों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर अपने फैसले में यह बात कही। इन याचिकाओं में महामारी को देखते हुए लोन किस्त मोरेटोरियम की अवधि और अन्य राहत उपायों को बढ़ाने की मांग की गई थी।

आरबीआई ने पिछले साल 27 मार्च को एक सर्कुलर जारी कर महामारी के चलते एक मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच चुकाई जाने वाली लोन की किस्तों के भुगतान को स्थगित करने की अनुमति दी थी। बाद में, स्थगन को पिछले साल 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों से यह नहीं कहा जा सकता है कि केंद्र और आरबीआई ने कर्जदारों को राहत देने पर विचार नहीं किया। पीठ ने कहा कि ब्याज की पूरी छूट संभव नहीं है, क्योंकि इसके बड़े वित्तीय निहितार्थ होंगे। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 17 दिसंबर को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पिछली सुनवाई में केंद्र ने न्यायालय को बताया था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक द्वारा छह महीने के लिए लोन की किस्तों के भुगतान स्थगित रखने जाने की छूट की योजना के तहत सभी वर्गो को अगर ब्याज माफी का लाभ दिया जाता है तो इस मद पर छह लाख करोड़ रूपए से ज्यादा धनराशि छोड़नी पड़ सकती है।

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