पहली बार SIP कर रहे हैं? इन 5 बातों पर रखें ध्यान

म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे इंस्ट्रूमेंट में से एक हैं। इसमें सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP)  करने जा रहे हैं। पहली बार निवेश करने में आपकी मदद करने के लिए यहां 5 सुझाव दिए जा रहे हैं।

systematic investment plan
सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान के लिए जरूरी बातें (तस्वीर-istock) 

अपनी निवेश यात्रा शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे इंस्ट्रूमेंट में से एक हैं। आप इसमें या तो एकमुश्त निवेश कर सकते हैं या एक सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) चुनकर समय-समय पर थोड़ी राशि का निवेश कर सकते हैं। शुरुआती या पहली बार के निवेशकों के लिए एसआईपी सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि यह आपको कम निवेश जोखिम पर अधिक रिटर्न हासिल करने में सक्षम बनाता है। आप अपनी आय और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एक निश्चित अवधि के लिए इसमें हर सप्ताह, महीने, तिमाही या छमाही में एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं।

पहली बार के निवेशक प्रायः म्यूचुअल फंड में बड़ी रकम लगाने में हिचकिचाते हैं, लेकिन SIP में निवेश के लिए बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं होती है। आप 500 रुपए की छोटी राशि के साथ भी एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं। अपने वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करके अपने निवेश की सावधानीपूर्वक योजना बनाएं। एसआईपी में पहली बार निवेश करने में आपकी मदद करने के लिए यहां 5 सुझाव दिए जा रहे हैं।

अपने निवेश लक्ष्यों की पहचान करें

आपके पास अपना निवेश शुरू करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के लक्ष्य होने चाहिए। एसआईपी शुरू करने से पहले, इस निवेश के जरिए हासिल किए जाने वाले लक्ष्य की पहचान करना आवश्यक है। इस आसान उपाय से आपको अपनी लक्षित धनराशि के साथ निवेश की जाने वाली राशि और अपेक्षित अवधि को तय करने में मदद मिलेगी। आपके वित्तीय लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं जैसे कि कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, विवाह आदि। इस तरह एक ही एसआईपी आपके सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है। वित्तीय लक्ष्यों की संख्या के आधार पर, आप अपने प्रत्येक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक से अधिक एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।

निवेश रिटर्न के साथ मुद्रास्फीति को मात दें

निवेश के सुनहरे नियमों में से एक है- निवेश करते समय मुद्रास्फीति के कारकों पर ध्यान देना। एसआईपी चुनते समय आपको मौजूदा और भविष्य की मुद्रास्फीति के कारकों को ध्यान में रखना चाहिए। भले ही आप अभी निवेश कर रहे हैं लेकिन आपके भविष्य के लक्ष्य बदल सकते हैं, और तब आपकी जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है। प्रायः यह देखा गया है कि कई निवेश करने के बावजूद लोगों के पास जरूरत के वक्त पैसे कम पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे मुद्रास्फीति की अनदेखी करते हैं जो निवेश पर मिलने वाले उनके रिटर्न को कम कर देता है। यह सलाह दी जाती है कि आप निवेश अवधि में अनुमानित मुद्रास्फीति पर विचार करते हुए अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप कॉर्पस का लक्ष्य निर्धारित करें और उसी अनुसार एसआईपी की राशि तय करें।

निवेश योजनाओं का चुनाव सावधानीपूर्वक करें

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं। यह इक्विटी फंड, डेब्ट फंड या हाइब्रिड फंड आदि हो सकता है। जोखिम उठाने की अपनी क्षमता, रिटर्न की उम्मीद तथा वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए उपलब्ध अवधि के आधार पर, आप अपने लिए उपयुक्त म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अधिक जोखिम उठा सकते हैं और अधिक रिटर्न की उम्मीद करते हैं तथा आपके पास निवेश के लिए लंबा समय है, तो आप इक्विटी एसेट क्लास का विकल्प चुन सकते हैं। जो निवेशक कम जोखिम उठाना चाहते हैं, वे डेब्ट फंड में निवेश कर सकते हैं। मध्यम जोखिम क्षमता वाले वाले निवेशक, जो औसत रिटर्न की चाह रखते हैं, अपने लिए हाइब्रिड फंड का विकल्प चुन सकते हैं।

इसके अलावा, उपयुक्त योजना और म्यूचुअल फंड कंपनी का चयन भी बहुत महत्वपूर्ण है। बाजार में ऐसी कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं जो विभिन्न निवेश योजनाओं की पेशकश करती हैं। यह जरूरी नहीं कि एक ही म्यूचुअल फंड कंपनी की सभी योजनाओं में आकर्षक रिटर्न देने क्षमता हो। सही म्यूचुअल फंड कंपनी का चयन करने के लिए, आपको कंपनी के ट्रैक रिकॉर्ड, निवेश की लागत, योजना के पिछले प्रदर्शन, अधिक रिटर्न बनाने में फंड मैनेजर की क्षमता, आदि कारकों के आधार पर उनकी तुलना करनी चाहिए।

अपने निवेशों को डाइवर्सिफाई करें

अपने निवेश को डाइवर्सिफाई करनाएक अच्छी निवेश रणनीति है। जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है, आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और रिटर्न की उम्मीदों के अनुसार निवेश करना चाहिए। उम्र, आर्थिक जिम्मेदारियां, निवेश अवधि, आय, देयता, आदि कारकों से निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता प्रभावित होती है। डाइवर्सिफ़िकेशन से जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है। डाइवर्सिफ़िकेशन के लिए, आपको अलग-अलग एसेट क्लास, स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में निवेश करना चाहिए।

उम्मीद के अनुरूप रिटर्न पाने के लिए पर्याप्त मात्रा में डाइवर्सिफिकेशन बनाए रखना अहम है। अत्यधिक डाइवर्सिफ़िकेशन की वजह से निवेश पर मिलने वाला रिटर्न कम हो सकता है जबकि अपेक्षा से कम डाइवर्सिफिकेशन होने पर जोखिम की संभावना अधिक हो सकती है।

अपने SIP निवेश पर नजर रखें

निवेश का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ उत्पादों में अपना पैसा लगाकर भूल जाएं। आपको नियमित अंतराल पर अपने निवेश के प्रदर्शन पर नजर रखनी चाहिए। कभी-कभी आपका निवेश आपकी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सकता है। ऐसा फंड के गलत चयन या बाजार की नकारात्मक स्थिति के कारण हो सकता है। यदि आप नियमित रूप से अपने फंड के प्रदर्शन पर नजर रखते हैं, तो आप यह सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय अपना सकते हैं कि आपका निवेश समय पर आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी मदद करने के लिए अपेक्षित रिटर्न प्रदान करना जारी रखे। आप आशानुरूप प्रदर्शन नहीं करने वाले फंड को हटा सकते हैं, और उस निवेश को किसी ऐसे फंड में स्विच कर सकते हैं जो बेहतर रिटर्न की संभावनाएं प्रदान करता है और जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप है। एसआईपी में आपको लंबी अवधि में रुपए की कॉस्ट-एवरेजिंग का लाभ मिलता है। इसलिए, जितना अधिक समय तक आप एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं, अधिक रिटर्न प्राप्त करने की संभावना उतनी ही बेहतर होती है।

सख्त वित्तीय अनुशासन और धैर्य के साथ लगातार निवेश करें। यदि आपका वित्तीय लक्ष्य प्राप्त हो जाए तो अपनी एसआईपी बंद कर सकते हैं, और अपने जोखिम उठाने की क्षमता तथा रिटर्न की उम्मीदों पर विचार करते हुए फंड को दूसरे लक्ष्य के लिए एक नई एसआईपी की ओर मोड़ सकते हैं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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