अनुशासित निवेशक बनने के लिए अपनाएं ये 5 वित्तीय आदतें

बेहतर और लगातार बनी रहने वाली वित्तीय आदतों का बेहतर परिणाम लंबे समय में मिलता है और आप अपने विभिन्न लक्ष्यों को अपने निवेश से प्राप्त करने में समर्थ होते हैं।

Five Financial Habits to Be a More Disciplined Investor in 2022-23
वित्तीय प्लानिंग के लिए आपको अपने आय और खर्च की जानकारी होना जरूरी है। 

हम सभी एक अच्छी प्लानिंग और भरपूर वित्तीय जिंदगी की इच्छा रखते हैं। लेकिन खर्चों के बढ़ने और मंहगाई के दबाव के कारण हमारे फाईनेंस और योजनओं पर असर पड़ता है। लेकिन, यह सिक्के का एक पहलू है। दूसरा महत्वपूर्ण पहलू भी है जिस पर अक्सर हम ध्यान नहीं देते हैं, और वह आपका मनी मैनेजमेंट व्यवहार है जिससे फाईनेंस प्रभावित होता है। यदि वित्तीय आदतों पर पर्याप्त फोकस किया जाए, तो आप अनुशासित निवेशक बन सकते हैं और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने में अधिक समर्थ हो जाते हैं।

बेहतर और लगातार बनी रहने वाली वित्तीय आदतों का बेहतर परिणाम लंबे समय में मिलता है और आप अपने विभिन्न लक्ष्यों को अपने निवेश से प्राप्त करने में समर्थ होते हैं। नया वित्तीय वर्ष आरम्भ हुआ है, और इससे बेहतर समय कोई दूसरा नहीं होगा कि आप अपने निवेश को अनुशासित करने के लिए सरल आदतों को अपनाएं अपनी गलतियों को सुधारते हैं और अपने निवेश को स्ट्रीमलाइन करते हैं। अपने निवेश को उपयोगी बनाने के लिए यहां पर उन पांच आदतों के बारे में बताया गया है जिनको आपको अपनाना चाहिए।

बजटिंग करना और इमरजेंसी पूंजी की व्यवस्था करना

वित्तीय प्लानिंग के लिए आपको अपने आय और खर्च की जानकारी होना ज़रूरी है। बजटिंग के बिना बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। शुरूआत में:

1. वर्ष के लिए अपनी अनुमानित आय और संभावित खर्चों की लिस्ट बनाएं।

2. अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं के फर्क को पहचानें।

3. पैसा बचाने के लिए उन लागतों पर विचार करें जिन्हें कम किया जा सकता है।

इसी दौरान, इस बात की सलाह दी जाती है कि आप अपनी कुल आमदनी के चौथे हिस्से को, यदि इससे अधिक नहीं तो, ग्रोथ-ओरिऐंटेड निवेश के लिए अलग रखते हैं। यदि आप व्यवस्थित रूप से इमरजेंसी फंड नहीं बनाते हैं, तो ऐसी राशि को बचत खाते या सावधि जमा के तौर पर ज़रूर रखें। आदर्श रूप से, आपके इमरजेंसी फंड की राशि, आपकी मासिक आय के छह गुणा से कम नहीं होनी चाहिए।

ग़ैर-जरूरी देयताओं को न बढ़ाएं

ग़ैर-ज़रूरी देयताएं आपके तनाव को बढ़ाती हैं, जिससे आपकी वित्तीय प्लानिंग की गाड़ी पटरी से उतर सकती है। इसके मायने हैं कि आपके खर्चे, आपकी आय पर बुरा असर डालते हैं जो कि स्वस्थ फाईनेंसेज के लिए उपयुक्त नहीं है। जरूरत के मुताबिक खरीददारी करें, जो कि जरूरी है और जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यदि जरूरतें बहुत अधिक हैं, तो ऐसी जरूरतों को वरीयता दें और उन पर फोकस करें जिनको तत्काल पूरा किया जाना और जिनसे बचा नहीं जा सकता है।

निरन्तर और व्यवस्थित एप्रोच अपनाएं

व्यवस्थित एप्रोच के साथ चलने से लंबे समय में हमेशा बेहतरीन परिणाम मिलते हैं। यदि आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो उन्हें बनाए रखें। अपनी एसआईपी, बीमा प्रीमियम भुगतान तथा अन्य निवेश को नियमित रूप से बनाए रखें। यदि आपने लोन लिया है, तो अपनी ईएमआई के भुगतान में भूल न करें। यदि बजटिंग में संभव है, तो समय-समय पर लोन की प्री-पेमेंट करें ताकि कर्ज से जल्द ही मुक्ति पा सकें। अपने क्रेडिट कार्ड बिलों का समय पर भुगतान पहले स्थान पर किया जाना चाहिए। इससे आपका क्रेडिट स्कोर मजबूत होता है और आपकी साख बढ़ती है। इन छोटे, लेकिन फायदेमंद कदमों से आप अपनी देयता को नियंत्रित रख पाएंगे, और इसके नतीजे के तौर पर वित्तीय प्लानिंग में मदद मिलेगी।

समय से पहले विदड्रावल करने से बचें

आप जो निवेश करते हैं, वह एक निर्धारित समय के लिए और खास उद्देश्य से होना चाहिए। समय से पहले विदड्रा करने से आप पहली वाली स्थिति में ही आ जाते हैं, और उसे फिर से स्टार्ट करना हमेशा आसान बात साबित नहीं होती है। इसके अलावा, तय अवधि से पहले या आंशिक विदड्रावल से आपको कम्पाऊंडिंग के लाभ नहीं मिलते और हो सकता है कि आपकी योजना धरी की धरी ही रह जाए। यहां पर, आप अपनी सुरक्षा के लिए इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका ज़रूरत के समय इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि समय की मांग है तो आप कम अवधि के लिए क्रेडिट कार्ड लोन ले सकते हैं और आप आसानी से अगले बिलिंग साईक्ल में इसका निपटान कर सकते हैं। इसलिए, आपको बीच-बीच में और अचानक पड़ने वाली ज़रूरतों के लिए अपने निवेश का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। निवेश का रिश्ता दीर्घकाल से होता है, और विदड्रावल करने से पैसा आपके काम नहीं आता है।

नियमित रूप से अपने निवेश को बढ़ाएं

बचत करके निवेश किए गए एक-एक पैसे से वैल्थ का निर्माण होता है। अक्सर, यह देखा गया है कि निवेशक अपने निवेश की राशि को बढ़ाने की समीक्षा नहीं करते हैं। यह अच्छी आदत नहीं है। जैसे जैसे वर्ष गुज़रते हैं, अपने फाईनेंस पर पुन: विचार करना ज़रूरी हो जाता है, और आपकी आमदनी के बढ़ने के साथ-साथ, आपको अपने निवेश को बढ़ाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, 40,000/- रुपए के वेतन में से आपको कम से कम 20% (8000/-रुपए) का निवेश करना चाहिए। और यदि आमदनी बढ़ कर 50,000/- रुपए हो जाती है, तो आपका निवेश भी बढ़कर 10,000/- रूपये हो जाना चाहिए और ऐसा जारी रहना चाहिए। इससे आपकी निवेश यात्रा मजबूती से आगे बढ़ती है और भविष्य में आप वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर पाते हैं।

अपने वित्तीय व्यवहार को फिर से अनुशासित बनाने के लिए छोटे परंतु नियमित कदम उठाना अनिवार्य है। कुछ गहराई से विचार करना, समय-समय पर समीक्षा करना और अपने फाईनेंस को ओवर-स्ट्रेच किए बिना आप लंबा सफर तय कर सकते हैं। इससे न केवल आपके आत्म-विश्वास में सुधार होता है बल्कि आपको और भी बेहतर करने में मदद मिलती है, आप अपने आप को मजबूत महसूस करते हैं क्योंकि वित्तीय तनाव नियंत्रित रहता है। इस दिशा में प्रयास करके देखें।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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