नए साल से 6-7 फीसदी महंगे होंगे कपड़े, 7-10 लाख रोजगार पर असर की आशंका

New GST Rate: नए साल से 1000 रुपये तक के कीमत वाले गारमेंट्स 6-7 फीसदी तक महंगे हो जाएंगे। इंडस्ट्री के अनुसार कम मार्जिन की वजह से 67000-95000 छोटी और मझोले उद्योगों पर सीधा असर हो सकता है।

Garments Become Costly from New Year
एक जनवरी से कपड़ा होगा महंगा  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • 1000 रुपये से कम कीमत वाले गारमेंट पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा।
  • डाइंग और प्रिटिंग जॉब पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा।
  • टेक्सटाइल सेक्टर के जरिए करीब 3.9 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है।

नई दिल्ली:  नए साल से महंगाई का जोर का झटका लगने वाला है। पेट्रोल-डीजल और खाने-पीने की चीजें महंगी होने के बाद अप कपड़ा खरीदना भी महंगा हो जाएगा। कारोबारियों के अनुसार 12 फीसदी जीएसटी लगने से न केवल आम आदमी के लिए कपड़ा मंहगा होगा। बल्कि छोटे कारोबारियों पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा। यही नहीं उन्होंने आशंका जताई है कि इसकी वजह से 7-10 लाख नौकरियों भी असर पड़ सकता है। 

क्या है मामला 

इस मसले पर आईसीसी टेक्सटाइल कमेटी के चेयरमैन संजय.के. जैन का कहना है कि एक जनवरी 2022 से चैप्टर 55 से 63 के तहत आने वाले ज्यादा टेक्सटाइल आइटम पर जीएसटी 5 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। क्योंकि इसकी वजह से 7 फीसदी तक दाम बढ़ जाएंगे। जैन के अनुसार  आम आदमी पर दोहरी मार पड़ने वाली है, क्योंकि बीते एक साल में कॉटन और यार्न की कीमतें 60 फीसदी तक बढ़ गई हैं। 

असल में 1000 रुपये से ज्यादा कीमत वाले कपड़ों पर पहले से ही 12 फीसदी जीएसटी है। लेकिन कम कीमत वाले कपड़ों को आम आदमी की सहूलियत को देखते हुए 5 फीसदी रखा गया था। जो कि एक जनवरी से 12 फीसदी हो जाएगा। जिससे कीमतें बढ़ जाएंगी।

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एक जनवरी से क्या हो रहे हैं बदलाव

-मानव निर्मित धागों पर जीएसटी 18 से घटकर 12 फीसदी हो जाएगा।
-सभी तरह के फैब्रिक पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा।
-1000 रुपये से कम कीमत वाले गारमेंट पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा।
-डाइंग और प्रिटिंग जॉब पर जीएसटी 5 से बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा।

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छोटे कारोबारियों पर ज्यादा मार

क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI)की रिपोर्ट के अनुसार नए जीएसटी रेट से 1000 रुपये तक के कपड़े 6 फीसदी तक तो महंगे हो जाएंगे।  इसके अलावा  बढ़ी कीमतों का इंडस्ट्री पर बड़ा असर हो सकता है। कीमतें बढ़ने से एसोसिएशन का अनुमान है कि 2.3-2.7 फीसदी तक डिमांड घटने की आशंका है। और अगर ऐसा होता है तो उसका सीधा असर 67000-95000 एसएमई यूनिट पर असर पड़ेगा। और ऐसी स्थिति भी आ सकती है कि मांग घटने से 7-10 लाख रोजगार प्रभावित हो जाय। इंडस्ट्री के अनुसार मौजूदा समय में लागत बढ़ने से छोटे कारोबारियों का मार्जिन 1-3 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर आ गया है। 

करीब 3.9 करोड़ लोगों को मिलता है रोजगार

भारत में कृषि क्षेत्र के बाद, देश में टेक्सटाइल सेक्टर सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है। टेक्सटाइल सेक्टर के जरिए करीब 3.9 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। और देश में अपैरल टेक्सटाइल का रिटेल लेवल पर 5.4 लाख करोड़ रुपये का बाजार है। जिसमें से 75-80 फीसदी नेचुरल फाइबर का मार्केट है। 

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