Investment in Gold : एक इन्वेस्टर का पोर्टफोलियो, सुसंतुलित नहीं भी दिख सकता है यदि उसमें सोना शामिल नहीं है। प्राचीनकाल से ही, सोने को, अनिश्चितता से बचाने वाले साधान के साथ-साथ महंगाई का सामना करने वाले साधन के रूप में भी देखा जाता है। मौजूदा परिस्थिति में, जब भारत के साथ-साथ विश्व की अर्थव्यवस्था भी एक मुश्किल दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में आपके पोर्टफोलियो में सोना होने से आपको अत्यधिक मार्केट रिस्क और अनिश्चितता का सामना करने में मदद मिल सकती है। मार्केट में मौजूद कई गोल्ड इंस्ट्रूमेंट्स में से आपको अपने लिए सबसे सही गोल्ड इंस्ट्रमेंट चुनना चाहिए। यहां आपकी सुविधा के लिए गोल्ड इन्वेस्टमेंट्स से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।
पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमत 50,000 रु. प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच चुकी है। 9 जुलाई 2020 को सोने की कीमत 49,175 रु. प्रति ग्राम थी जबकि 6 अगस्त 2015 को इसकी कीमत 24,562 प्रति 10 ग्राम थी जिसका मतलब है कि पिछले 5 साल में सोने की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है। इसके अलावा, 2019 में सोने की सबसे कम कीमत 31,220 रु. प्रति 10 ग्राम थी जिससे पता चलता है कि इसकी कीमत लगभग एक साल में लगभग 60% बढ़ गई है। घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में रिस्क लगातार बढ़ने के कारण इसकी कीमत अचानक बढ़ गई है। 1 जनवरी 2020 को, इसकी कीमत 38,977 रु. प्रति 10 ग्राम थी लेकिन पिछले छः महीने में कोरोना-वायरस वैश्विक-महामारी के कारण आई आर्थिक गिरावट के कारण अब यह 50,000 रु. के आसपास पहुँच गई है। आने वाले महीनों में स्थिति सामान्य न होने पर, इसकी कीमत और ज्यादा बढ़ सकती है।
सोने की कीमत में बढ़ते रुझान के कारण यह एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन बन गया है। कई लोगों को फिजिकल गोल्ड यानी सोने के गहने, ईंट, और सिक्कों में इन्वेस्ट करना पसंद है लेकिन इस कोरोनाकाल में इनमें इन्वेस्ट करना थोड़ा रिस्की हो सकता है। इसके अलावा, इनमें इसकी शुद्धता की चिंता भी रहती है और इसके मेकिंग चार्ज, GST, और इसे संभालकर रखने का खर्च इसके रिटर्न को कम कर सकता है। जहां तक डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस का सवाल है, गोल्ड ETF एक अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इसे डीमैटरियलाइज्ड रूप में रखा जा सकता है। इसे बड़ी आसानी से बेचा जा सकता है, लेकिन इसमें काफी लम्बे समय तक इन्वेस्टेड रहने पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है। गोल्ड ETF के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% टैक्स लगता है।
RBI द्वारा जारी किया जाने वाला सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भी एक डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट है जहां गोल्ड के फेस वैल्यू पर 2.5% एनुअल इंटरेस्ट मिलता है जो अन्य गोल्ड इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स में नहीं मिलता है। इसे बेचते समय इसके कैपिटल गेन्स पर नहीं बल्कि इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के अनुसार सिर्फ इंटरेस्ट अमाउंट पर टैक्स लगता है। अन्य गोल्ड इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स में यह बेनिफिट नहीं मिलता है। SGB, स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होते हैं और पैसे की जरूरत पड़ने पर इन्वेस्टर्स इन्हें सेकेंडरी मार्केट्स में बेच सकते हैं।
गोल्ड में एक ही बार में इन्वेस्ट करने के बजाय थोड़ा-थोड़ा करके इन्वेस्ट करना चाहिए। फ़िलहाल भारत में सोने की कीमत सबसे अधिक है। इस समय एक ही बार में इन्वेस्ट करने पर, कहीं कीमत कम हो गई तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसमें डिजिटल तरीके से हर महीने या हर तीन महीने पर एक फिक्स्ड अमाउंट इन्वेस्ट करना बेहतर होगा। इससे आपकी जेब पर ज्यादा प्रेशर भी नहीं पड़ेगा। लम्बे समय में, आपके गोल्ड इन्वेस्टमेंट पर रुपी कॉस्ट एवरेजिंग का बेनिफिट मिलेगा। आप SGB में स्टॉक मार्केट के माध्यम से इन्वेस्ट कर सकते हैं या समय-समय पर RBI द्वारा लॉन्च किए जाने वाले SGB इश्यूज को सब्सक्राइब कर सकते हैं। असल में, FY20-21 सीरीज 4 लॉट, 10 जुलाई 2020 को ख़त्म हो गई जिसका इश्यू प्राइस 4852 रु. प्रति ग्राम था और डिजिटल तरीके से पेमेंट करने वाले ऑनलाइन सब्स्क्राइबरों को 50 रु. प्रति ग्राम की दर से एक्स्ट्रा डिस्काउंट भी मिला था। अगला लॉट (FY20-21 सीरीज 5), 3 से 7 अगस्त 2020 तक सब्सक्राइब किया जा सकता है।
हर इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट का एक मकसद होता है। कुछ, प्रॉफिट देते हैं तो कुछ, स्थिरता सुनिश्चित करते हैं। इन्वेस्टमेंट रिस्क को कंट्रोल में रखते हुए निर्धारित समय-सीमा में अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अलग-अलग प्रकार का इन्वेस्टमेंट करना इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी कहलाता है। अपने रिटर्न की उम्मीद, रिस्क क्षमता, उम्र, इनकम, और पैसे की जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार की गई बेहतरीन इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन स्ट्रेटेजी के एक हिस्से के रूप में अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों के अनुसार गोल्ड में भी इन्वेस्ट करना चाहिए। लेकिन आपका गोल्ड इन्वेस्टमेंट आपके पोर्टफोलियो वैल्यू का अधिक-से-अधिक 10% होना चाहिए क्योंकि कभी-कभार बढ़ते रुझान के बावजूद लम्बे समय तक इसकी कीमत एक जैसी बनी रहती है। पोर्टफोलियो में पर्याप्त परिमाण में गोल्ड इन्वेस्टमेंट मौजूद रहने पर, ख़राब मार्केट कंडीशन में आपके पोर्टफोलियो में डाइवर्सिटी और स्टेबिलिटी बनी रहती है।
(सोने की कीमतें, mcxindia.com से ली गई हैं) (इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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