नई दिल्ली : सरकार दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। इसी मुद्दे पर पर कैबिनेट सचिव की अगुवाई में हाल में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें विभिन्न नियामकीय और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार किया गया। इससे इस प्रस्ताव को विनिवेश पर मंत्री समूह या वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास मंजूरी के लिए रखा जा सकेगा।
सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने 2021 के बजट भाषण में इस बारे में घोषणा की गई थी, जिसके बाद नीति आयोग ने अप्रैल में कैबिनेट सचिव की अगुवाई में विनिवेश पर सचिवों के समूह को निजीकरण के लिए कुछ बैंकों के नाम सुझाए थे। सूत्रों ने बताया कि 24 जून गुरुवार को हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में नीति आयोग की सिफारिशों पर विचार किया गया। सूत्रों ने कहा कि यह समिति इस बारे में सभी तरह की खामियों को दूर करने के बाद बाद छांटे गए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नाम वैकल्पिक तंत्र को भेजेगी।
कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाली समिति में आर्थिक मामलों के विभाग, राजस्व, व्यय, कॉरपोरेट मामलों कऔर विधि मामलों के अलावा प्रशासनिक विभाग के सचिव भी शामिल हैं। समिति में सार्वजनिक उपक्रम विभाग तथा लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव भी शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि समिति ने निजीकरण की संभावना वाले बैंकों के कर्मचारियों के हितों के संरक्षण से जुड़ मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया। एएम की मंजूरी के बार इस मामले को प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण के लिए जरूरी नियामकीय बदलाव किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण हो सकता है।
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