नई दिल्ली। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (Aviation Turbine Fuel) या जेट ईंधन की उच्च कीमतों की वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा काफी महंगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक एयरलाइन की परिचालन लागत में एटीएफ का करीब 40 फीसदी हिस्सा होता है। ऐसे में जब तक हवाई ईंधन की कीमत कम नहीं होती है, तब तक हवाई टिकट की कीमत कम होने की भी संभावना कम है। अब नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हवाई किराए पर बड़ा बयान दिया है।
सिंधिया ने कहा है कि सरकार विमान ईंधन के दाम के मामले में स्थिति बेहतर होने पर निश्चित रूप से घरेलू एयरलाइन के लिए किराए की सीमा का फिर से आकलन करेगी। मंत्रालय ने महामारी को देखते हुए स्थानीय एयरलाइन कंपनियों के किराये को लेकर सीमा लगाई है। सिंधिया ने पीटीआई-भाषा से कहा कि आज की स्थिति के अनुसार, एयरलाइन के किराये की सीमा निचले हिस्से के काफी करीब नहीं है और यह उच्च सीमा से काफी दूर है।
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मंत्री ने कहा कि, 'मैंने चीजें स्थिर होती देखी हैं और उपयुक्त समय पर हम निश्चित रूप से इस पर गौर करेंगे। मैं विमान ईंधन यानी एटीएफ के दाम पर गौर कर रहा हूं और जैसे ही चीजें बेहतर होती हैं, हम निश्चित रूप से इसका फिर आकलन करेंगे।' सिंधिया ने मई में कहा था कि किराया सीमा ने न केवल हवाई यात्रियों के लिये बल्कि विमानन कंपनियों के लिये भी संरक्षक का काम किया है।
इस वजह से बढ़ी थी एटीएफ की कीमत
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हाल के महीनों में विमान ईंधन के दाम में तेजी रही है। हालांकि, हाल में देश में ईंधन के दाम में कुछ कमी आई है, लेकिन यह अब भी महामारी-पूर्व स्तर से ऊपर बनी हुई है। सिंधिया ने माना कि विमानन कंपनियां कई संरचनात्मक मुद्दों का सामना कर रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण एटीएफ कीमत में तेजी आई है और यह 2019-20 में 53,000 रुपये प्रति किलोलीटर से बढ़कर पिछले सप्ताह लगभग 1,41,000 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश वसूलते हैं वैट
कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हवाई ईंधन पर 20 से 30 फीसदी वैट लगता है। उन्होंने कहा, 'मेरे आग्रह और इसमें कमी के कारण होने वाले आर्थिक फायदे के बारे में बताने के बाद 26 राज्यों में से कुल 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वैट 20 से 30 फीसदी से कम कर एक से चार फीसदी कर दिया है।
(इनपुट एजेंसी भाषा के साथ)
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