नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एचडीएफसी बैंक पासबुक की एक तस्वीर काफी वयरल हो रही है, जिसमें बैंक ग्राहकों के बीच अविश्वास फैला रही है। इस पासबुक पर बैंक की ओर से एक स्टैंप लगा हुआ है, जिस पर लिखा है, 'बैंक में जमा राशि डीआईसीजीसी द्वारा इंश्योर्ड (बीमा) होती है और बैंक के लिक्विडेशन के मामले में डीआईसीजीसी प्रत्येक डिपॉजिटर को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। लिक्विडेर के दावे की तारीख से 2 महीने के भीतर इस डिपॉजिट की राशि 1 लाख रुपए तक है।'
इसका आसान शब्दों में सिर्फ इतना मतलब है कि यदि बैंक बस्ट (दिवालिया) होता है तो अकाउंट होलर्ड्स को सिर्फ 1 लाख रुपए तक की ही राशि वापस मिलेगी। इस मामले के सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने पर बैंक इस मामले पर सफाई दी है। एचडीएफसी बैंक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये स्टैंप आरबीआई सर्कुलर तारीख 22 जून 2017 के मुताबिक है, जो सभी बैंक के लिए आवश्यक है। जिसमें बैंकों को उनके ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की जानकारी देना आवश्यक है।
केंद्र सरकार ने आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के तहत डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) का गठन किया है। जिसका काम बैंक के दिवालिया होने या फेल होने पर ग्राहकों के हित की रक्षा करना है। बैंक के प्रत्येक डिपॉजिटर को अधिकतम 1 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस बैंक के कोलेप्स होने या आरबीआई द्वारा बैंक का लाइसेंस कैंसल करने पर मिलेगा।
सभी कॉमर्शियल बैंक, विदेशी बैंकों की शाखाएं जो भारत में काम कर रही हो, लोकल और ग्रामीण बैंक डीआईसीजीसी द्वारा इंश्योर्ड होते हैं। मौजूदा वक्त में सभी को-ऑपरेटिव बैंक भी डीआईसीजीसी द्वारा इंश्योर्ड हैं। बैंक में मौजूद बचत, फिक्स्ड, करेंट, आदि सहित आपकी सभी डिपॉजिट पर 1 लाख रुपए का इंश्योरेस मिलता है। इसके अतिरिक्त विदेशी यी केंद्र/राज्य सरकारी बैंक, इंटर बैंक और स्टेट लैंड डेवलपमेंट बैंक भी डीआईसीजीसी से इंश्योर्ड हैं।
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