नोट से कितना अलग होगा डिजिटल रुपया ! लीगल टेंडर के साथ ये फीचर बनाएंगे खास

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Feb 04, 2022 | 12:54 IST

Digital Currency: आरबीआई नए वित्त वर्ष में डिजिटल करंसी लांच करेगा। इसके बाद लेन-देन का तरीका पूरी तरह से बदल सकता है। दुनिया में 80 से ज्यादा देश डिजिटल करंसी लाने की तैयारी में हैं।

Digital Rupees
डिजिटल रूपया जल्द 
मुख्य बातें
  • लीगल टेंडर होने से इसके लेन-देन को कोई मना नहीं कर सकेगा।
  • बिटकॉइन, ईथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला, आतंकियों को फंडिंग टैक्स चोरी जैसा खतरा बना रहता है।
  • हालांकि लांचिंग के पहले आरबीआई को इसकी सुरक्षा के लेकर खास तौर से पुख्ता इंतजाम करने होंगे।

नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों से आगे निकलते हुए अपनी डिजिटल करंसी का ऐलान कर दिया है। इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में डिजिटल करंसी ( सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या CBDC) लॉन्च करने की घोषणा की है। आरबीआई इस डिजिटल करंसी को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में लॉन्च कर सकता है। जाहिर है यह करंसी की दुनिया में एक बड़ी पहल है। ऐसे में यह समझना भी अहम है कि सरकार इसे क्यों ला रही है और उसके फायदे क्या होंगे।

बिटक्वाइंन,ईथर जैसी क्रिप्टो करंसी से होगी अलग

आरबीआई की डिजिटल करंसी किस तरह का कम करेगी इस पर एसबीआई के पूर्व सीजएम सुनील पंत टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं 'देखिए यह बिटक्वाइंटन और इथर जैसी क्रिप्टो करंसी से बिल्कुल अलग होगी। क्यों कि इसे आरबीआई जारी करेगा। जो लीगल टेंडर बन जाएगा। और वह रूपये जैसा ही होगा। यानी अपने रूपये को चाहे नोट या सिक्के के रूप में इस्तेमाल करें या फिर उसे डिजिटल रूप में, दोनों एक जैसे होंगे।

जबकि बिटक्वाइन, ईथर ये एक प्राइवेट डिजिटल मनी है, लेकिन इसे करंसी की तरह मान्यता नहीं है। इसे एक एसेट माना जाता है। जैसे कोई व्यक्ति दूसरी कमोडिटी की तरफ फ्यूचर मार्केट में इनवेस्ट करता है, लोग गोल्ड , शेयर मार्केट जैसे निवेश करते हैं।'

यह बिटक्वाइन जैसी नहीं कराएगी मुनाफा

चूंकि यह लीगल टेंडर होगा तो उसकी वैल्यू दूसरी क्रिप्टो करंसी जैसे उपर-नीचे नहीं होंगी। भारतीय डिजिटल करंसी का एक्सचेंज रेट होगा, लेकिन वह दूसरे क्रिप्टो करंसी जैसी नहीं होगी। यानी जैसे भारत में आप के पास 100 रुपये का नोट है तो उसकी वैल्यू 100 रुपये ही रहती है। इसी तरह डिजिटल करंसी की भी वैल्यू होगी। और जैसे दुनिया के विभिन्न करंसी की तुलना में रुपये की वैल्यू होती है। ऐसा ही डिजिटल करंसी के साथ भी होगा। 

 वॉलेट के जरिए ट्रांजैक्शन ?

सूत्रों के अनुसार डिजिटल करंसी वॉलेट के रुप में स्टोर हो सकती है। जैसे अभी पेटीएम सहित दूसरे वॉलेट में पैसा होता है। ऐसा ही एक आरबीआई वॉलेट का प्रारूप ला सकता है। जिसमें डिजिटल करंसी रखी जाएगी सबसे बड़ा अंतर यह है कि अभी दुकानदार दूसरे वॉलेट से लेन-देन को इंकार कर सकता है। लेकिन वह आरबीआई के डिजिटल करंसी को इंकार नहीं कर सकेगा।

कितनी सुरक्षित होगी

पंत कहते हैं 'देखिए जब आरबीआई डिजिटल करंसी लाएगा, तो उसमें निश्चित तौर पर सुरक्षा के पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। चूंकी यह तकनीकी ब्लॉकेचन पर आधारित है, तो उसकी ट्रैकिंग भी आसान होगी। अभी बिटकॉइन, ईथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला, आतंकियों को फंडिंग टैक्स चोरी जैसा खतरा बना रहता है। लेकिन डिजिटल करंसी से ऐसे खतरे नहीं रह जाएंगे। इसके बावजूद आरबीआई को सुरक्षा को लेकर काफी तैयारी करनी होगी। जिससे किसी तरह का खतरा नहीं हो।'

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घट जाएगी लागत

निश्चित तौर पर डिजिटल करंसी से ट्रांजैक्शन लागत घट जाएगी। इससे रूपये को छापने की प्रिटिंग लागत के साथ -साथ, मूवमेंट लागत कम हो जाएगी। हालांकि सुरक्षा की लागत भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा वह सीधे तौर पर एक्सचेंज के जरिए मैनेज होगा। और अगर इसका इस्तेमाल सफल रहा है तो कुल लेन-देन में डिजिटल करंसी की बड़ी हिस्सेदारी हो सकती है। और उससे निश्चित तौर पर सरकार के खर्च में बड़ी कमी आएगी। लेकिन इसके साथ नोट की तुलना में डिजिटल करंसी की फूल-प्रूफ सुरक्षा भी बड़ी जिम्मेदारी होगी।

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