नरम हुई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार, 55.5 पर आया पीएमआई

Manufacturing PMI: दिसंबर में विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) 55.5 पर आ गया। नवंबर में यह 57.6 पर था।

Manufacturing PMI
नरम हुई मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार, 55.5 पर आया पीएमआई (Pic: iStock) 
मुख्य बातें
  • बिक्री एवं उत्पादन बढ़ने के बावजूद दिसंबर में विनिर्माण गतिविधियां सुस्त पड़ी।
  • 50 से ऊपर पीएमआई विस्तार माना जाता है।
  • 50 के नीचे पीएमआई संकुचन की श्रेणी में रखा जाता है।

Manufacturing PMI: दिसंबर 2021 में भारत का विनिर्माण उद्योग बढ़ा, हालांकि गति क्रमिक रूप से धीमी रही। दिसंबर में IHS मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 55.5 पर आया। इससे पिछले महीने, नवंबर में यह 57.6 पर था, जो पिछले 10 महीनों का उच्चस्तर था। पीएमआई 0 और 100 के बीच होता है, जिसमें 50 से ऊपर की रीडिंग पिछले महीने की तुलना में समग्र वृद्धि दर्शाती है।

ओमिक्रोन की चिंता के बीच नरम पड़ीं विनिर्माण गतिविधियां
ओमिक्रोन (Omicron) को लेकर बढ़ती चिंता के बीच भारत की विनिर्माण गतिविधियां दिसंबर में नरम पड़ीं, लेकिन बिक्री एवं नए ऑर्डर में धीमी प्रगति के बावजूद उत्पादन की वृद्धि बनी रही। ताजा तिमाही आंकड़ा 56.3 रहा जो वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही के बाद का उच्चतम स्तर है। दिसंबर के पीएमआई आंकड़े लगातार छठे महीने कुल परिचालन हालात में सुधार की ओर इशारा करते हैं। 

आर्थिक पुनरुद्धार जारी
पीएमआई यदि 50 के ऊपर रहता है, तो उसे विस्तार माना जाता है जबकि 50 के नीचे आने पर उसे संकुचन की श्रेणी में रखा जाता है। आईएचएस मार्किट की एसोसिएट निदेशक (अर्थशास्त्र) पॉलिएना डि लीमा कहते हैं, 'वर्ष 2021 के अंतिम पीएमआई नतीजे उत्साहवर्द्धक हैं। आर्थिक पुनरुद्धार जारी है और कंपनियों को घरेलू एवं बाहरी स्रोतों से नए काम मिल रहे हैं।'

हालांकि, लीमा के मुताबिक, विनिर्माता वर्ष 2022 में भी उत्पादन वृद्धि जारी रहने की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन कारोबारी धारणा महामारी के संभावित असर और मुद्रास्फीति दबावों एवं आपूर्ति गतिरोधों से कुछ हद तक प्रभावित हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी मांग 
इस सर्वेक्षण में कहा गया है कि दिसंबर में नए ऑर्डर की संख्या तेजी से बढ़ी लेकिन वह सितंबर के बाद से सबसे सुस्त रही। इसी तरह उत्पादन भी बढ़ने के बावजूद बीते तीन महीनों में सबसे कम रहा। साल के अंतिम महीने में भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ी। यह लगातार छठा महीना रहा जब निर्यात के ऑर्डर में बढ़त दर्ज की गई।

(इनपुट एजेंसी- भाषा)

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