Income Tax Savings: इनकम टैक्स सेविंग में आपकी पत्नी किस तरह आपके लिए मददगार हो सकती है, जानिए

Income Tax Savings: इनकम टैक्स सेविंग्स में आपकी पत्नी किस तरह आपके लिए मददगार साबित हो सकती है। जानिए इसके बारे में सब कुछ-

income tax savings
इनकम टैक्स सेविंग्स  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • एक ही परिवार में अगर पति-पत्नी दोनों वर्किंग हों तो इनकम टैक्स सेविंग में काफी फायदा मिलता है
  • मेडिकल इन्श्योरेंस से लेकर होम लोन तक में इनकम टैक्स सेविंग का फायदा मिलता है
  • इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 डी के तहत कई प्रावधान दिए गए हैं

आपकी पत्नी या आपका पति ना सिर्फ आपके सोशल और पर्सनल लाइफ में आपके लिए एक पिलर की तरह होता है बल्कि वह आपके इनकम टैक्स बचाने में भी मददगार होता है। आज जानते हैं इसके ही बारे में कि आपका पार्टनर किस तरह आपके इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकती है।

बच्चों के एजुकेशन पर होने वाला खर्च

वर्तमान इनकम टैक्स कानून आपके दो बच्चों की एजुकेशनल खर्चे को डिडक्ट करने की इजाजत देता है। इसके तहत सेक्शन सी के तहत एक साल में करीब डेढ़ लाख तक का खर्चा आप बचा सकते हैं। हालांकि ये फायदा केवल दो बच्चों पर ही लागू होता है। लेकिन अगर आपके दो और बच्चे हैं तो आपकी पत्नी इन दूसरे दो बच्चों के एजुकेशनल खर्चे पर ये सुविधा ले सकती है। क्योंकि ये नियम केवल एक करदाता पर लागू होता है पूरी फैमिली पर नहीं तो एक करदाता होने के नाते पति अपने दो बच्चों पर इसका फायदा ले सकता है जबकि दो अन्य बच्चों पर पत्नी करदाता होने के नाते इस नियम का फायदा ले सकती है। 

मेडिकल इन्श्योरेंस

सेक्शन 80 डी करदाता को ये अनुमति देता है कि वह अपने लिए और अपने परिवार के लिए 25,000 की राशि का मेडिकल बीमा करवा सकता है। हालांकि किसी भी स्वास्थ्य बीमा की राशि इस 25,000 के लिमिट से कहीं ज्यादा होती है और ये राशि पूरे परिवार के स्वास्थ्य बीमा के लिए बहुत कम है। लेकिन अगर एक ही परिवार में पति और पत्नी दोनों करदाता हैं तो सेक्शन 80 डी के इस प्रावधान का फायदा दोनों ले सकते हैं। 

लीव ट्रैवल अलावेंस

एक करदाता चार सालों के अंदर दो यात्राओं के लिए लीव ट्रैवल अलावेंस की सुविधा उठा सकता है। लेकिन अगर पति और पत्नी दोनों करदाता हैं तो दोनों ही मिलकर चार सालों में चार ट्रैवल अलावेंस का फायदा उठा सकते हैं। इस प्रकार से वे दो बार की जगह चार बार हॉलीडे पर जा सकते हैं।

होम लोन में फायदे

इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80 डी एलआईसी प्रीमियम, पीएफ, होम लोन जैसी चीजों पर डिडक्शन की अनुमति देता है। प्रॉपर्टी के दाम बढ़ने से प्रिंसिपल रीपेमेंट की राशि अपने आप अधिकतम रुप से डेढ़ लाख रुपए तक बढ़ जाती है। अधिकतर मामलों में कई होम लोन वाले कस्टमर सेक्शन 80 डी में मौजूद इस प्रावधान (राशि को डिडक्ट करवा सकते हैं) का फायदा उठा नहीं पाते हैं। ऐसे में मामलों में जब केवल पति ही वर्किंग है बढ़ते प्रॉपर्टी दामों पर मिलने वाले फायदों से ये वंचित रह जाते हैं लेकिन यही जब अगर पति और पत्नि दोनों वर्किंग हैं तो ऐसे में ये बढ़ी हुई डेढ़ लाख की राशि को इस प्रावधान के तहत डिडक्ट करवा सकते हैं और अपनी इनकम टैक्स सेविंग कर सकते हैं।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर