नई दिल्ली: केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जुलाई सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) के आंकड़ें जारी कर दिए हैं। देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी घटकर 4.5 फीसदी रह गई है। अप्रैल जून तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 5 फीसदी पर आ गई थी। जबकि जनवरी मार्च तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी के स्तर पर थी।
पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2018-19 में दूसरी तिमाही में जीडीपी 7 फीसदी पर थी। वहीं ग्रॉस वैल्यू जीएवी पिछले साल इस तिमाही में 31.79 लाख करोड़ के मुकाबले वित्त वर्ष 2019-20 में 33.16 लाख करोड़ हो गई है। इसके साथ ही जीडीपी 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की जुलाई-सितंबर के दौरान स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 35.99 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 34.43 लाख करोड़ रुपये था।
विभिन्न सेक्टर के आंकड़े
ग्रॉस वैल्यू एडेड, जो जीडीपी और टैक्स का अंतर होता है, इसमें जुलाई सितंबर 2019 तिमाही में 4.3 फीसदी का ग्रोथ हुआ है, जो पिछले तिमाही में 4.9 फीसदी और बीते वित्त वर्ष इस तिमाही में 6.9 फीसदी था। वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 2.1 फीसदी की वृद्धि रही है। जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में -1 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है।
इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वॉटर सप्लाई और अन्य यूटिलिटी सर्विस में दूसरी तिमाही में 3.6 फीसदी की वृद्धि रही है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर की विकार दर 3.3 फीसदी रह गई है। फाइनेंस, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस क्षेत्र में विकार दर 5.8 फीसदी रही। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस और अन्य सेवाओं में विकास दर 11.6 फीसदी रही।
इससे पहले अप्रैल जून तिमाही में जीडीपी 5 फीसदी पर आ गई थी, जो पिछले 6 साल में सबसे निचला स्तर था। वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में जीडीपी 5 फीसदी के स्तर पर थी, जो वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही के बाद से किसी भी तिमाही में सबसे कम ग्रोथ रेट रही है। पिछले साल अप्रैल जून तिमाही में जीडीपी 8 फीसदी रही थी।
शेयर बाजार में नजर आई निराशा
शुक्रवार को शेयर बाजार के कारोबार पर भी जीपीडी के आंकड़ों के अनुमान का असर नजर आया। इस हफ्ते ज्यादातर हरे निशान पर रहने के बावजूद शेयर बाजार शुक्रवार को जीडीपी के आंकड़ों के कयास के बीच गिर गया। सेंसेक्स 336 अंक लुढ़क कर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी रिकार्ड ऊंचाई से नीचे आ गया।
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