Palm Oil: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत भले ही कई दिनों से स्थिर हो, लेकिन जनता इससे अब भी परेशान है क्योंकि इनका दाम काफी ज्यादा है। अब खाने के तेल की वजह से बोझ और भी बढ़ सकता है। इंडोनेशिया द्वारा पाम तेल के निर्यात पर रोक लगाने से भारत में इसकी कीमत और महंगी हो सकती है।
SEA ने दिया था सुझाव
पहले खाद्य तेल उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया ने इंडोनेशिया के प्रस्तावित पाम तेल निर्यात पर 28 अप्रैल से पाबंदी को लेकर सरकार के स्तर पर तुरंत बातचीत का सुझाव दिया है। संगठन का कहना है कि इसका भारत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पाम तेल के निर्यात पर पाबंदी लगाने का उद्देश्य खाद्य तेल के बढ़ते दाम को काबू में लाना है।
इस संदर्भ में एसईए के महानिदेशक बी वी मेहता ने पीटीआई-भाषा से कहा कि, 'हमने अपनी सरकार को सुझाव दिया है कि वह खाद्य तेल के निर्यात पर पाबंदी को लेकर इंडोनेशिया सरकार के साथ उच्च राजनयिक स्तर पर बातचीत करे। इसका हमारे घरेलू बाजार पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि पाम तेल के कुल आयात का आधा हिस्सा इंडोनेशिया से आयात होता है और इस कमी को कोई भी पूरा नहीं कर सकता है।'
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कीमतों पर पड़ेगा तत्काल प्रभाव
मेहता ने कहा कि, 'उद्योग को प्रतिबंध की उम्मीद नहीं थी। सोमवार से ही घरेलू बाजार में कीमतों पर तत्काल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि प्रतिबंध की खबर ने धारणा को बुरी तरह से प्रभावित किया है।' खाद्य तेल उद्योग इंडोनेशिया के निर्यात शुल्क में व्यापक स्तर पर बदलाव के लिये तैयार था। इस समय खाना बनाने में उपयोग होने वाले तेल के दाम इंडोनेशिया के घरेलू बाजार में करीब 40 से 50 प्रतिशत महंगे हो गये हैं। दक्षिण पूर्व एशियाई देश 575 डॉलर प्रति टन निर्यात शुल्क लगा रहा था।
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40 लाख टन पाम तेल का इंडोनेशिया से होता है आयात
मेहता ने कहा, इस खबर से मलेशिया के तेल की कीमतों पर भी असर होगा जो हमारे लिये माल खरीदने के लिये प्रमुख वैकल्पिक बाजार है। उन्होंने कहा, 'भारत सालाना 2.25 करोड़ टन खाद्य तेल की खपत करता है। इसमें से 90 से 95 लाख टन को घरेलू आपूर्ति के जरिये, जबकि बाकी हिस्सा आयात के जरिये पूरा किया जाता है। भारत करीब 35 से 40 लाख टन पाम तेल इंडोनेशिया से आयात करता है।'
खाद्य तेल रिफाइनरी कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से सूरजमुखी और सोयाबीन तेल पर पहले से दबाव है। आयात लगभग आधा हो गया है। इसकी कमी को दूसरे खाद्य तेलों के जरिये पूरा किया जा रहा है। लेकिन अगर इंडोनेशियाई तेल पर पाबंदी से जल्दी नहीं निपटा गया, इसका व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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