Labour Codes: एक अप्रैल से वेतन या काम के घंटों में बदलाव पर फिलहाल विराम, यह है वजह

एक अप्रैल से लागू होने वाला न्यू लेबर कोड और न्यू वेज कोड टलती नजर आ रही है। दरअसल राज्य सरकारें इस संबंध में व्यापक मसौदा केंद्र सरकार को नहीं पेश कर सकी हैं।

Labour Codes: एक अप्रैल से वेतन या काम के घंटों में बदलाव पर फिलहाल विराम, यह है वजह
एक अप्रैल से लेबर और वेज कोड में बदलाव की थी संभावना 
मुख्य बातें
  • 1 अप्रैल से काम के घंटों और वेज में बदलाव पर फिलहाल विराम
  • ज्यादातर राज्य लेबर कोड के संंबंध में नियम बनाने में पीछे
  • इंडिया इंक ने वेज कोड के क्रियान्वयन को विराम देने का किया स्वागत

नई दिल्ली। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को यह चिंता सता रही थी कि एक अप्रैल से उनके काम के घंटों में बदलाव होगा और इसके साथ ही टेक होम सैलरी पर भी असर होगा। दरअसल इस तरह की जानकारी थी कि केंद्र सरकार 1 अप्रैल से नया लेबर और वेज कोड लागू करने जा रही है। लेकिन फिलहाल इस नए प्रयोग को टाल दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि पहले वाली व्यवस्था ही अमल में रहेगी। इसके पीठ वजह यह बताई जा रही है कि राज्यों ने इस संबंझ में नियम कानूनों को अमली जामा नहीं पहनाया है। 

लेबर कोड में बदलाव पर विराम
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार यह चाहती है कि औद्योगिक तौर पर समृद्ध कुछ राज्य पहले चार लेबर कोड के संबंध में अधिसूचना जारी करें ताकि किसी तरह की कानूनी अड़चनों का सामना ना करना पड़े।न्यू लेबर कोड को लागू करने के संबंध में जो भी अड़चनें हो उससे उलट इंडिया इंक ने राहत की सांस ली है। बताया जा रहा है कि इससे कंपनियों को सैलरी पुनर्निधारण के संबंध में मंथन के लिए और समय मिल सकेगा।

वेज कोड में बदलाव पर भी विराम
ज्यादातर कंपनियों का कहना है कि अगर बेसिक सैलरी सीटीसी के आधे के बराबर होगी तो उनका खर्च बढ़ जाएगा और कारोबार करना मुश्किल होगा। रिपोर्ट के मुताबिक श्रम मंत्रालय इस बात का इंतजार कर रहा है कि राज्य सरकारें श्रम सुधार के संबंध में नियम कायदे के साथ आए ताकि उसे लागू करने में मुश्किल ना आए।अभी तक सिर्फ जम्मू-कश्मीर ने नए लेबर कोड को अधिसूचित किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने दो कोड के संबंध में नियम बना चुके हैं जबकि कर्नाटक ने सिर्फ एक कोड़ पर काम किया है।

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