नई दिल्ली : कोरोना वायरस की वजह से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था और देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही थी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में एमएसएमई को बढ़ावा देकर सृजन किया जाएगा। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission) ने गुरुवार को कहा कि बांस की पट्टियों पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर 25% करने से चीन से होने वाले भारी इंपोर्ट पर रोक लगेगी और अगरबत्ती बनाने वाली कंपनियों और बांस उद्योगों को फायदा मिलेगा। केवीआईसी KVIC ने कहा कि अगले 8-10 महीनों में, अगरबत्ती उद्योग में कम से कम 1 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी, जो कि भारत में ग्रामोद्योग सेक्टर के अंतर्गत एक प्रमुख कारोबार है।
KVIC ने कहा कि वर्तमान में भारत में अगरबत्ती की खपत 1,490 टन रोज हो रही है, लेकिन लोकल स्तर पर इसका प्रोडक्शन सिर्फ 760 टन का ही होता है। इस डिमांड और सप्लाई के बीच भारी अंतर के परिणामस्वरूप कच्चे अगरबत्ती का भारी मात्रा में इंपोर्ट होता है। जिसके चलते वर्ष 2009 में कच्चे अगरबत्ती का इंपोर्ट सिर्फ 2% से बढ़कर वर्ष 2019 में 80% हो गया है। पैसे की बात करें तो भारत में कच्चे अगरबत्ती का आयात वर्ष 2009 में 31 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2019 में 546 करोड़ रुपए का हो गया, जिसका कारण वर्ष 2011 में आयात शुल्क का 30% से घटकर 10% रह जाना है। इस स्थिति ने भारतीय अगरबत्ती निर्माताओं को बुरी तरह से प्रभावित किया और जिससे कुल कंपनियों का करीब 25% उद्योग बंद हो गया।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC ) के अनुरोध पर, 31 अगस्त, 2019 को कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कच्चे अगरबत्ती के इंपोर्ट को प्रतिबंधित वस्तुओं की कटैगरी में रखा था। हालांकि, इंपोर्ट पर प्रतिबंध ने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और कई उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे सैकड़ों अगरबत्ती इकाइयों को पुनर्जीवित कर दिया, इसने स्थानीय व्यापारियों को कच्चे अगरबत्ती के निर्माण के लिए गोल बांस (पूरा बांस) आयात करने के लिए भी प्रेरित किया।
KVIC के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस एकमात्र फैसले से अगरबत्ती के साथ-साथ भारत में बांस उद्योग को मजबूती मिलेगी। भारत दुनिया में बांस का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन विडंबना यह है कि यह बांस और इसके उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है।
बांस पट्टियों के भारी इंपोर्ट से रोजगार का हुआ नुकसान
KVIC ने कहा कि यह फैसला इस मायने में महत्वपूर्ण है कि चीन और वियतनाम से होने वाले बांस पट्टियों के भारी इंपोर्ट से भारत में भारी संख्या में रोजगार का नुकसान हुआ है। इस फैसले से भारत में अगरबत्ती की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए नई अगरबत्ती स्टिक बनाने वाली कंपनियों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा।
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