Future Group:दिवालिया होगी बिग बाजार चलाने वाली कंपनी, अमेजन से है विवाद

Future Vs Amazon: रिटेल बाजार में पकड़ बनाने के लिए अगस्त 2020 में फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण के लिए रिलायंस के साथ  24,713 करोड़ रुपये की डील की थी। लेकिन अमेजन ने पुराने समझौता का हवाला देते हुए इस समझौते पर एतराज जता दिया था।

BIG BAZAR
बिग बाजार की कंपनी है फ्यूचर रिटेल   |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • फ्यूचर रिटेल , बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने के कारण डिफॉल्टर बन चुकी है।
  • फ्यूचर रिटेल के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया ने NCLT में अपील की थी।
  • फ्यूचर की डील से रिटेल बाजार पर कब्जा करने के लिए रिलायंस और अमेजन आमने-सामने हैं।

Future Vs Amazon:भारी कर्ज में डूबी बिग बाजार रिटेल (Big Bazar)चेन की पैरंट कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड दिवालिया घोषित होगी। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया को  नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने हरी झंडी दिखा दी है। फ्यूचर रिटेल के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंक ऑफ इंडिया ने NCLT में अपील की थी, जिसे आज ट्रिब्यूनल ने स्वीकार कर लिया है। और इसके लिए NCLT ने विजय कुमार अय्यर को फ्यूचर रिटेल का रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल भी नियुक्त कर दिया है।  NCLT के इस फैसले से अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon)को झटका लगा है। जिसने दिवालिया प्रक्रिया रोकने के लिए NCLT में अपील की थी। 

अमेजन क्यों कर रहा था विरोध

असल में फ्यूचर रिटेल , बैंक ऑफ इंडिया के कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने के कारण डिफॉल्टर बन चुकी है। जिसे देखते हुए बैंक ने अप्रैल 2022 में फ्यूचर रिटेल के खिलाफ एनसीएलटी में अपील दायर की थी। लेकिन 12 मई को अमेजन ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के सेक्शन 65 के तहत इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील दायर कर दी। अमेजन ने कंपनी को दिवालिया घोषित करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि बैंक ऑफ इंडिया और फ्यूचर रिटेल इस मामले में आपस में मिले हुए हैं। अमेजन ने कहा था कि अभी इस मामले में RFL को दिवाला घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने से उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’होगा।

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ऐसे शुरू हुआ विवाद

इसके पहले रिटेल बाजार में पकड़ बनाने के लिए अगस्त 2020 में फ्यूचर रिटेल के अधिग्रहण के लिए रिलायंस के साथ  24,713 करोड़ रुपये की डील की थी। लेकिन अमेजन ने पुराने समझौता का हवाला देते हुए इस समझौते पर एतराज जता दिया था। जिससे यह सौदा कानूनी लड़ाई में फंस गया। असल में इसके पीछे अमेजन और फ्यूचर समहू के बीच अगस्त 2019 में हुई डील एक बड़ी वजह है। उस समय अमेजन ने फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। यह डील 1431 करोड़ रुपये में फाइनल हुई थी। और फ्यूचर कूपंस की फ्यूचर रिटेल में 9.8 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा 2019 की डील में इस बात पर सहमति बनी थी कि अगले 3-10 साल के भीतर अमेजन, फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी। 

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