Income tax return New Form 26AS : कोरोना वायरस की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए इनकम टैक्ट डिपार्टमेंट ने इनकम टैक्स रिटर्न को और आसान बनाने का फैसला किया। इलेक्ट्रॉनिक रूप से दाखिल करना सुगम बनाया जाएगा। इसके लिए नया फॉर्म 26AS लाया गया है। नया फॉर्म 26AS अपना इनकम टैक्स रिटर्न जल्दी और सही ढंग से ई-फाइल करने में टैक्सपेयर्स का फेसलेस (व्यक्तिगत उपस्थिति बगैर) मददगार है। इस आकलन वर्ष से टैक्सपेयर्स को एक नया एवं बेहतर फॉर्म 26AS प्राप्त होगा जिसमें टैक्सपेयर्स के वित्तीय लेन-देन के बारे में कुछ एक्स्ट्रा डिटेल होंगे, जैसा कि विभिन्न कटैगरी में वित्तीय लेन-देन डिटेल (SFT) में दिया गया है। यह बताया गया है कि इन बताए गए SFT को दर्ज करने वालों से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को प्राप्त हो रही जानकारियों को अब स्वैच्छिक अनुपालन, टैक्स जवाबदेही और रिटर्न की ई-फाइलिंग में आसानी के लिए फॉर्म 26AS के भाग E में दर्शाया जा रहा है, ताकि इनका उपयोग टैक्सपेयर अत्यंत अनुकूल माहौल में सही टैक्स देनदारी की गणना करके अपना इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरने में कर सकें। इसके अलावा, इससे टैक्स प्रशासन में और भी अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही आएगी।
सभी प्रमुख वित्तीय लेन-देन को याद करने के लिए होगा SFT
पिछले फॉर्म 26AS में किसी पैन (स्थायी खाता संख्या) से संबंधित स्रोत पर टैक्स कटौती और स्रोत पर टैक्स संग्रह के बारे में जानकारियां होती थीं। इसके अलावा, इसमें कुछ एक्स्ट्रा जानकारियां भी होती थीं जिनमें भुगतान किए गए अन्य टैक्सों, रिफंड और टीडीएस डिफॉल्ट का डिटेल भी शामिल था। लेकिन अब से टैक्सपेयर्स को अपने सभी प्रमुख वित्तीय लेन-देन को याद करने में मदद के लिए इसमें SFT होगा, ताकि आईटीआर दाखिल करते समय सुविधा के लिए उनके पास तैयार कंप्यूटर उपलब्ध हो।
यह बताया गया है कि अब से किसी भी टैक्सपेयर के लिए फॉर्म 26AS के भाग E में विभिन्न डिटेल, जैसे कि किस तरह का लेन-देन, SFT दर्ज करने वाले (फाइलर) का नाम, लेन-देन की तारीख, एकल/संयुक्त पक्ष द्वारा लेन-देन, लेन-देन करने वाले पक्षों की संख्या, धनराशि, भुगतान का तरीका और टिप्पणी, इत्यादि को दर्शाया जाएगा। इसके अलावा, इससे अपने वित्तीय लेन-देन को अपडेट रखने वाले ईमानदार टैक्सपेयर्स को अपना रिटर्न दाखिल करते समय मदद मिलेगी। वहीं, दूसरी ओर यह उन टैक्सपेयर्स को निराश करेगा जो अनजाने में अपने रिटर्न में वित्तीय लेन-देन को छिपाते हैं। नए फॉर्म 26AS में उन लेन-देन की जानकारी भी होगी जो वित्त वर्ष 2015-16 तक सालाना सूचना रिटर्न (AIR) में प्राप्त होते थे।
यह भी आगे बताया गया है कि हाई वेल्यू वाले वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्तियों के मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को वित्त वर्ष 2016 से ही इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 285बीए के तहत खास व्यक्तियों जैसे कि बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बॉन्ड जारी करने वाले संस्थानों और रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार इत्यादि से उन व्यक्तियों द्वारा की गई कैश जमा/बचत बैंक खातों से निकासी, अचल संपत्ति की बिक्री/खरीद, फिक्स्ड डिपॉजिट, क्रेडिट कार्ड से भुगतान, शेयरों, डिबेंचरों, विदेशी मुद्रा, म्यूचुअल फंड की खरीद, शेयरों के बायबैक, वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए कैश भुगतान, आदि के बारे में जानकारियां प्राप्त होती थीं। अब से विभिन्न SFT के तहत इस तरह की सभी जानकारियां नए फॉर्म 26AS में होंगी।
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