Insurance : अब इंश्योरेंस सेक्टर में 'पहले इस्तेमाल करो और फिर फाइल करो' सिस्टम, IRDAI ने लाया नया नियम

इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI इंश्योरेंस सेक्टर में नया नियम लागू लाया है। इस नियम से इंश्योरेंस कंपनियो को लोगों के हित में ये काम करने होंगे। 

Now pehle Istemal karo aur file karo system in insurance sector, IRDAI brought new rules
इंश्योरेंस नियमों में बदलाव 

इंश्योरेंस सेक्टर रेगुलेटर इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट ऑथरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) वक्त से हिसाब से इंश्योरेंस सेक्टर में बदलाव और सुधार करता रहा है। इरडा हमेशा आम लोगों की जरुरतों को ध्यान में रखता है। इरडा ने इंश्योरेंस सेक्टर में नए प्रोडक्ट्स को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल करो और इस्तेमाल करो’ से हटकर अब ‘इस्तेमाल करो और फाइल करो’ सिस्टम को अपनाने पर विचार कर रहा है। इसमें इंश्योरेंस कंपनियां बिना मंजूरी के लिए बाजार में नए प्रोडक्ट पेश कर सकेंगी। 

इरडा के चेयरमैन सुभाष सी. खुंटिया ने बुधवार को भारतीय एक्चुअरीज संस्थान द्वारा आयोजित एक वचुअर्ल सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम उत्पादों को मंजूरी देने के मामले में ‘फाइल और इस्तेमाल करो’ सिस्टम से हटकर जहां तक संभव हो पहले 'इस्तेमाल करो और फिर फाइल करो'। कुछ वर्गों में हमने इस सिस्टम को शुरू कर दिया है और हम इस पर आगे बढ़ना चाहेंगे।

इस्तेमाल करो और फाइल करो के तहत इंश्योरेंस कंपनियों को लेनी होगी अनुमति

फाइल करो और इस्तेमाल करो सिस्टम के तहत किसी भी बीमा कंपनी को अपने नए प्रोडक्ट को बाजार में लॉन्च करने के लिए उस प्रोडक्ट को लेकर भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) में आवेदन करना होता है। नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद से वह उस प्रोडक्ट को बाजार में बेच सकता है। लेकिन नया सिस्टम इस्तेमाल करो और फाइल करो में इंश्योरेंस कंपनियों को बिना रेगुलेटर की अनुमति के ही नए प्रोडक्ट्स को बाजार में बेचने की अनुमति होगी। 

नई पॉलिसी तैयार करते समय कई बातों को ध्यान  में रखना होता है

उन्होंने कहा की एक्चुअरी यानी बीमा पॉलिसी का आकलन करने वाले एक्चुरेटर्स की इस मामले में बड़ी जवाबदेही है। उन्हें बीमा पॉलिसी तैयार करते हुए एक तरफ पॉलिसी धारकों की सुरक्षा और दूसरी तरफ बीमा कंपनियों के परिचालन को ध्यान में रखना होता है और इसके बीच संतुलन बनाना होता है। खुंटिया ने जोर देते हुए कहा कि एक्चुरेटर्स को कोई भी नई पॉलिसी तैयार करते हुए जलवायु परिवर्तन और भविष्य की महामाारी जैसी अनिश्चितताओं और खतरों को भी ध्यान में रखना चाहिए। यह सब कुछ इस तरह होना चाहिए की जनता को उनकी जरुरत के समय व्यापक सुरक्षा उपलब्ध हो।

बीमा नियामक की आंख और कान हैं एक्चुअरी

इरडा चेयरमैन ने कहा कि एक्चुअरी बीमा नियामक की आंख और कान हैं। यह बीमा कंपनियों की विभिन्न गतिविधियों के लिए नियुक्त एक्चुरेटर्स के प्रमाणन पर निर्भर करता है। नियुक्त किए गए विभिन्न एक्चुरेटर्स की बड़ी भूमिका है, अगर वह अपना काम प्रभावी ढंग से करते हैं तो उसके बाद हमें नियामकीय देखरेख की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। वह इस मामले में नियामक की मदद कर सकतीं हैं कि कि नियमनों का क्रियान्वयन उपयुक्त ढंग से हो।

अपने बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा के लिए प्रोडक्ट चाहते हैं लोग

इरडा चेयरमैन ने एक्चुरेटर्स  को सेवानिवृत्ति के क्षेत्र में बेहतर और नवोनमेषी उत्पाद तैयार करने को कहा। इस क्षेत्र में काफी मांग है। लोग अपने बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा के लिए ऐसे उत्पादों को चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक्चुरेटर्स ने एक समिति प्रणाली के जरिए सेवानिवृति उत्पादों के मामले में एक मानक उत्पाद तैयार करने में नियामक की मदद की है।

डिजिटल दुनिया के लिए तैयार रहे बीमा उद्योग

उन्होंने यह भी कहा कि बीमा उद्योग को अपने आप को डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करना चाहिए और इंफोर्मेशन टैक्नोलॉजी और इंफोर्मेशन टैक्नोलॉजी संबद्ध आधुनिक टैक्नोलॉजी को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक्चुरेटर पेशेवरों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियामक जोखिम आधारित सक्षमता की शुरुआत करने की प्रक्रिया में है जिसमें कि एक्चुरेटर्स स्टाफ के लिए बड़ी भूमिका होगी।

खुंटिया ने यह भी कहा कि भारत के आकार को देखते हुए देश में एक्चुरेटर्स की संख्या काफी नहीं है और यह संख्या काफी बढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि 2019 में यह संख्या 439 थी जो कि 2020 में मामूली बढ़कर 458 तक पहुंची। पिछले साल हमारे पास 165 एक्चुरेटर सहायक और 7,500 के करीब छात्र सदस्य थे।

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