नई दिल्ली। नौकरीपेशा लोगों के लिए जितनी फिक्र हर महीने की सैलरी से होती है उससे कहीं ज्यागा फिक्र इस बात से रहती है कि रिटायरमेंट के बाद क्या होगा। सरकारी नौकरी में जो लोग कार्यरत है उनके लिए ईपीएफ की व्यवस्था थी। लेकिन सरकार ने एक जनवरी 2004 के बाद जो लोग नौकरी में आए उनके लिए एनपीएस की व्यवस्था लागू की गई। इसके साथ ही एनपीएस की व्यवस्था प्राइवेट सेक्टर में भी लागू है। हम यहां बताएंगे कि ईपीएफ और एनपीएस में निवेश से किसमें बेहतर रिटर्न मिलेगा।
इसलिए ईपीएफ से एनपीएस बेहतर विकल्प
अगर एनपीएस की बात करें तो इसमें निवेश करना ईपीएफ से बेहतर माना जाता है। अगर 10 वर्ष तक एनपीएस में निवेश करें तो औसत रिटर्न 10 फीसद होता है हालांकि इसके लिए 50 फीसद हिस्सा इक्विटी और 50 फीसद हिस्सा सरकारी सेक्युरिटी में होना चाहिए। ईपीएफ और एनपीएस में सबसे बड़ा फर्क यह है कि एनपीएस में निवेश के लिए अलग अलग स्कीम उपलब्ध हैं जो इसे ईपीएफ से ज्यादा आकर्षक बनाती है।
ईपीएफ बैलेंस को एनपीएस में ट्रांसफर करने का तरीका
पीएफआरडीए ने दी है इजाजत
एनपीएस के संबंध में रेगुलेटरी अथॉरिटी के तौर पर नियुक्त पीएफआरडीए ने ईपीएफ से एनपीएफ में फंड ट्रांसफर की इजाजत दी है। एनपीएस के तहत सब्सक्राइबर यानि कि निवेशक को 1.5 लाख के सालाना निवेश पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स में लाभ होगा इसके साथ ही सेक्शन 80 सीसीडी(1बी) के तहत भी 50 रुपए तक का लाभ मिलेगा।
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