रूस से बचे 35 हजार करोड़ रु, कच्चा तेल हुआ सस्ता, क्या अब मोदी सरकार देगी पेट्रोल-डीजल पर राहत?

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Sep 19, 2022 | 15:09 IST

Petrol Diesel Price: यह दूसरा मौका है जब वैश्विक तेल बाजार में रियायती दरों से भारत के पैसे की बचत हुई है। इससे पहले साल 2020 में भारत 25,000 करोड़ रुपये बचाने में कामयाब रहा था, महामारी की वजह से तेल की कीमत कम हुई थी।

Petrol Diesel Price India gains Rs 35000 crore by Russian crude oil import
रूस से बचे 35 हजार करोड़ रु, क्या अब मिलेगी पेट्रोल पर राहत?  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • भारत चीन के बाद रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
  • अप्रैल-जुलाई के दौरान भारत ने रूस से 11.2 अरब डॉलर मिनरल ऑयल का आयात किया।
  • पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह आंकड़ा आठ गुना ज्यादा है।

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत (Crude Oil Rate) में गिरावट और रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल के आयात के बाद सवाल किए जा रहे हैं कि क्या केंद्र सरकार जनता को राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल की कीमत (Petrol Diesel Price) कम करेगी?

रूस से बचे 35 हजार करोड़ रुपये
रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल के आयात से भारत को लाभ हुआ है। डिस्काउंट पर क्रूड इंपोर्ट और डोमेस्टिक क्रूड पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगाने से भारत को 35,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। फरवरी में शुरू हुए रूस और यूक्रेन संकट के बाद कीमतों में उछाल को देखते हुए सरकार ने अप्रत्याशित टैक्स की शुरुआत की थी।

तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है रूस
रूस से कच्चे तेल के आयात ने इसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना दिया था। इससे सऊदी अरब जुलाई में तीसरे स्थान पर पहुंच गया। हालांकि, रॉयटर्स ने व्यापार डेटा का हवाला देते हुए बताया कि सऊदी अरब ने एक महीने में अपनी पहले का स्थान हासिल कर लिया और अब रूस भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। विकसित देशों के रूस से कच्चे तेल न खरीदने के भारी दबाव के बावजूद, भारत ने कच्चे तेल का आयात किया। इसे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने देश के लिए 'सर्वश्रेष्ठ सौदा' कहा था।

Windfall Tax cut: आज से घटे कच्चे तेल, डीजल, एटीएफ के दाम, सरकार ने कम किया अप्रत्याशित प्रॉफिट टैक्स

ग्लोबल मार्केट में इतना हुआ कच्चे तेल का दाम
रॉयटर्स के मुताबिक, कमजोर ग्लोबल डिमांड की उम्मीदों और ब्याज दर में संभावित वृद्धि से पहले अमेरिकी डॉलर की मजबूती के दबाव से सोमवार को क्रूड ऑयल 1 फीसदी से ज्यादा गिर गया। हालांकि सप्लाई की चिंताओं ने गिरावट को सीमित रखा। नवंबर डिलीवरी के लिए ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) 1.17 डॉलर यानी 1.3 फीसदी गिरकर 90.18 डॉलर प्रति बैरल हो गया। वहीं अक्टूबर के लिए यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) 1.14 डॉलर यानी 1.3 फीसदी फिसलकर 83.97 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

मार्च में ब्रेंट क्रूड 147 डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब आ गया था क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने स्पलाई की चिंताओं को बढ़ा दिया था। कमजोर आर्थिक विकास और मांग के बारे में चिंताओं ने कीमतों को कम कर दिया है। एक मजबूत डॉलर अन्य मुद्राओं के धारकों के लिए डॉलर-मूल्यवान कमोडिटी को ज्यादा महंगा बनाता है। कमजोर मांग के पूर्वानुमानों से तेल दबाव में आ गया है।

अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय दरों में कमी को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को देश में उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर में कटौती की थी। घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर टैक्स 13,300 रुपये प्रति टन से घटकर 10,500 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। डीजल के निर्यात पर शुल्क 13.5 रुपये प्रति लीटर से कम होकर 10 रुपये प्रति लीटर और एटीएफ निर्यात पर शुल्क नौ रुपये प्रति लीटर से कम होकर पांच रुपये लीटर हो गया है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर