Petrol, diesel price: देश में महंगाई से लोग पहले ही परेशान हैं। 1 मार्च से देश में कुछ कंपनियों ने दूध की कीमत तो बढ़ा दी है। साथ ही एलपीसी गैस सिलेंडर भी महंगा हो गया है। अब अगले हफ्ते से महंगाई का एक और झटका लग सकता है। राज्य विधानसभा चुनाव (Elections) 10 मार्च को समाप्त होने के साथ, लोगों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों (Petrol And Diesel Prices) में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में भारी उछाल आया है। इससे तेल कंपनियों को सामान्य मार्जिन हासिल करने को लेकर पेट्रोल-डीजल के दाम में नौ रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी करने की जरूरत है। पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम एक मार्च को 102 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए। ईंधन का यह मूल्य अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं।
नवंबर में 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी कच्चे तेल की कीमत
पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी। ब्रोकरेज कंपनी जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा कि, 'अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं।'
Crude Oil Price: कच्चे तेल की कीमत में फिर आया जबरदस्त उछाल
तेल कंपनियों को इतना हो रहा है नुकसान
उत्तर प्रदेश मे सातवें और अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा तथा उत्तर प्रदेश समेत सभी पांच राज्यों के लिए मतगणना 10 मार्च को होनी है। कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है।
जेपी मॉर्गन के मुताबिक तेल विपणन कंपनियों को सामान्य विपणन मुनाफा प्राप्त करने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 फीसदी की वृद्धि करने की आवश्यकता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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