क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने कई तरह के खतरे का संदेह जताया है खासतौर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों के वित्त पोषण के संबंध में। इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे थे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी ने कहा कि युवाओं से जरूरत से अधिक वादों को करना गुमराह करने की तरह है। पीएम की यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर आरबीआई, वित्त मंत्रालय और गृहमंत्रालय संयुक्त तौर पर आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं।
युवाओं से अधिक वादे गुमराह करने जैसा
एएनआई के मुताबिक बैठक में यह भी चर्चा हुई कि अनियंत्रित क्रिप्टो मार्केट की इजाजत नहीं दी जा सकती है क्योंकि इसकी वजह से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को बढ़ावा का खतरा बरकरार रहेगा। क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर भारी रिटर्न के भ्रामक दावों पर चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इस मुद्दे पर भावी रुख की दिशा तय करने के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता की।सरकारी सूत्रों ने जोर देकर कहा कि इस तरह के अनियंत्रित बाजारों को ‘‘धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण’’ का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता।
क्रिप्टोकरेंसी से मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा
सूत्रों ने कहा कि बैठक में यह दृढ़ता से महसूस किया गया कि बढ़ा-चढ़ाकर किए गए वादों और गैर-पारदर्शी विज्ञापनों के जरिए युवाओं को गुमराह करने की कोशिश को रोका जाना चाहिए। उन्होंने संकेत दिया कि इस संबंध में जल्द ही मजबूत नियामक उपाए किए जाएंगे।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘सरकार को पता है कि यह एक विकसित हो रही तकनीक है। वह इस पर कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी। इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रगतिशील और आगे की सोच रखने वाले होंगे।’’
टेरर फाइनेंसिंग का खतरा
सूत्रों ने कहा कि सरकार विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़कर काम करेगी। चूंकि यह विषय भौगोलिक सीमाओं से परे है, इसलिए यह महसूस किया गया कि इसके लिए वैश्विक भागीदारी और सामूहिक रणनीतियों की भी जरूरत होगी।क्रिप्टोकरेंसी और इससे संबंधित मुद्दों के लिए आगे बढ़ने को लेकर बैठक सकारात्मक रही।सूत्र ने कहा, ‘‘यह परामर्श की प्रक्रिया का नतीजा है। आरबीआई, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय ने इस पर विस्तृत विचार-विमर्श किया और साथ ही देश एवं दुनिया भर के विशेषज्ञों से सलाह भी ली गई और दुनिया भर की सर्वोत्तम परंपराओं एवं उदाहरणों को संज्ञान में लिया गया।’’
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपनी दृढ़ राय को बार-बार दोहराते हुए कहा है कि इससे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने इनके बाजार मूल्य पर भी संदेह जताया है।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गत बुधवार को ही क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने के खिलाफ अपने विचारों को दोहराते हुए कहा था कि ये किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि वे केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं।क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की आंतरिक पैनल की रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है।उच्चतम न्यायालय ने मार्च 2020 की शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाले आरबीआई के परिपत्र को रद्द कर दिया था। इसके बाद पांच फरवरी 2021 को केंद्रीय बैंक ने इस डिजिटल मुद्रा के मॉडल पर सुझाव देने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था।
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