Power Crisis: लू,कोयले की कमी और 1 लाख करोड़ के बकाए ने गहराया संकट,जानें कैसे बिगड़ गई बात

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Apr 29, 2022 | 14:27 IST

Power Crisis In India: देश भर में बिजली की अधिकतम मांग 25 अप्रैल को 201.66 गीगावॉट (GW) तक पहुंच गई। जिसने पिछले साल 7 जुलाई 2021 को पहुंची अधिकतम मांग 200.539 गीगावॉट (GW) को पीछे छोड़ दिया है।

Power Crisis In India
बिजली संकट गहराया  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 5 दिनों तक उत्तरी और पश्चिमी भारत में लू चलने का अलर्ट जारी कर दिया है।
  • सबसे ज्यादा बिजली कि किल्लत पंजाब,हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार में है।
  • पॉवर प्लांट से बिजली खरीदने वाले राज्य के Discoms समय पर पैसे नहीं चुका रही है। जिसकी वजह से 1.02 लाख करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है।

Power Crisis In India: 45 डिग्री तापामान और घंटों बिजली की कटौती, यह ऐसा दो तरफा संकट है, जिसने उत्तर और पूर्वी भारत के करोड़ों लोगों को अपने चपेट में लिया है। और परेशान करने वाली बात यह है कि अभी इस संकट से राहत नहीं मिलने वाली है। क्योंकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 5 दिनों तक उत्तरी और पश्चिमी भारत में लू चलने का अलर्ट जारी कर दिया है। उसके अनुसार अगले तीन दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश इलाकों में अधिकतम तापमान में करीब 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। जिसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में देखने को मिलेगा। 

यह तो रही मौसम के मार की बात, अब बात इससे राहत देने वाली बिजली की, जिसकी पहले से ही मांग अपने उच्चतम  स्तर पर पहुंच गई है। पॉवर मिनिस्ट्री के अनुसार, देश भर में बिजली की अधिकतम मांग 26 अप्रैल को 201.66 गीगावॉट (GW) तक पहुंच गई। जिसने पिछले साल 7 जुलाई 2021 को पहुंची अधिकतम मांग 200.539 गीगावॉट (GW) को पीछे छोड़ दिया है। यही नहीं मंत्रालय का आंकलन है कि यह मांग मई-जून में 215-220 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है। मांग बढ़ने का असर यह हुआ है कि देश में मांग के अनुसार बिजली की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड की 29 अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय पीक डिमांड के समय 10778 मेगावॉट बिजली की कमी है। देश में 70 फीसदी बिजली की आपूर्ति कोयले से होती है।

इस संकट की क्या है वजह

गहराते बिजली संकट की वजह साफ है कि एक तो गर्मी अपने रिकॉर्ड स्तर पर हैं। इसके अलावा कोविड-19 की मार से ठहरी इकोनॉमी अब रिकवरी मोड में है। जिसकी वजह से इंडस्ट्रियल डिमांड बढ़ गई है। इसके अलावा देश में पॉवर प्लांट के पास कोयले की कमी हो गई है। जिसकी वजह से 165 में 106 प्लांट क्रिटिकल स्थिति में हैं। साथ ही बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों पर राज्यों के डिसकॉम के1.02 लाख करोड़ रुपये के बकाए ने भी हालात खराब कर दिए हैं। और रही-सही कसर रूस-यूक्रेन युद्ध ने पूरी कर दी है। जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं। ऐसे में बिजली संकट चौतरफा मार झेल रहा है।

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इन राज्यों में सबसे ज्यादा बिजली का संकट

पॉवर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के अनुसार सबसे ज्यादा बिजली कि किल्लत पंजाब,हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार में है। जहां  मांग की तुलना में 13.72 मेगा यूनिट से लेकर 43.59 मेगा यूनिट तक बिजली की कमी है।

राज्य बिजली की कमी (मेगा यूनिट)
राजस्थान 43.59
हरियाणा 33.72
पंजाब 30.65
यूपी 29.52
बिहार 15.90
मध्य प्रदेश 13.72
दिल्ली 0.0


क्षमता के अनुसार बिजली उत्पादन नहीं कर रहे हैं प्लांट

बड़ा सवाल यह है कि जब देश के पास 399,496.61 यानी करीब 4 लाख मेगावॉट बिजली की उत्पादन क्षमता है और अधिकतम डिमांड अभी तक 2.01 लाख मेगावॉट पहुंची है तो फिर बिजली की आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है। तो उसकी फौरी वजह यह दिखती है कि देश में इस समय पूरी क्षमता से प्लांट उत्पादन नहीं कर रहे हैं। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA)की 27 अप्रैल 2022 की रिपोर्ट के अनुसार इस समय केवल 2,21,359 मेगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता मौजूद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि करीब 68 हजार मेगावॉट की उत्पादन क्षमता वाले प्लांट बंद पड़े हैं। इसमें  36854.58 मेगावॉट बिना किसी प्लानिंग (Forced Shut) यानी कोयला नहीं होने की वजह से बंद है। साफ है Forced तरीके से बंद गिए प्लांट को कोयला मिल जाय तो वह 10 हजार मेगावॉट बिजली की कमी को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

कोयला प्लांट की क्या है स्थिति

असल में सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA)की 27 अप्रैल की रिपोर्ट स्थिति की गंभीरता को बताती है। उसके अनुसार देश के 165 थर्मल पॉवर प्लांट में से 106 पॉवर प्लांट में कोयले की स्थिति गंभीर (क्रिटिकल) है। यानी इन प्लांट में  25 फीसदी से कम कोयले का स्टॉक बचा हुआ है। इन 106 प्लांट में से घरेलू कोयले से चलने वाले हैं, जबकि 12 प्लांट को चलाने के लिए आयातित कोयले की जरूरत है। वहीं 8 प्लांट बंद पड़े हुए हैं। सवाल उठता है कि देश में कोयले की कमी है। तो इसका जवाब नहीं है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार कोल इंडिया लिमिटेड के पास 72.5 मिलिटन टन कोयले का स्टॉक इस समय मौजूद है। और देश में पॉवर प्लांट को औसतन 22 मिलियन टन की जरूरत है। उनके पास अगले 10 दिनों का कोयला मौजूद है। और देश के पास 30 दिन से ज्यादा का कोयले का स्टॉक मौजूद है। तो साफ है कि देश में बिजली संकट की वजह केवल कोयले की कमी नहीं है।

फिर क्या है वजह

तो इसकी एक और बड़ी वजह घाटे में चलता पॉवर सेक्टर है। क्योंकि पॉवर प्लांट से बिजली खरीदने वाले राज्य के Discoms समय पर पैसे नहीं चुका रही है। जिसकी वजह से Discoms पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है। जिसका सीधा असर कोयले की खरीद पर पड़ रहा है।  इसके अलावा यूक्रेन और रूस के युद्ध की वजह से कोयले की आपूर्ति पर असर हुआ है। और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले की कीमते बढ़ गई हैं। युद्ध शुरू होन के बाद यूरोप में कोयले की कीमते दोगुनी हो चुकी है। जबकि ऑस्ट्रेलिया के कोयले की कीमत 440 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं।

राज्य कितने महीने से बकाया कुल बकाया राशि (रुपये)
जम्मू और कश्मीर 12 से ज्यादा 9202 करोड़ 
आंध्र प्रदेश 12 से ज्यादा 10141 करोड़
असम 12 से ज्यादा 615 करोड़
राजस्थान 6-12  11685 करोड़
महाराष्ट्र 6-12  19649 करोड़
तमिलनाडु 6-12  22952 करोड़
झारखंड 6-12  4263 करोड़
तेलंगाना 6-12  8272 करोड़
यूपी 3-6  12005 करोड़
कर्नाटक 3-6   5513 करोड़

नोट: पॉवर मिनिस्ट्री के PRAAPTI से लिए गए हैं।

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