लगेगा महंगी बिजली का करंट ! कोयला संकट से पॉवर एक्सचेंज पर 15.85 रु तक पहुंची कीमत

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Oct 12, 2021 | 20:18 IST

Coal Crisis: 12 अक्टूबर को औसत एमसीपी (मार्केट क्लीयरिंग प्राइस) 15.85 रुपये प्रति किलोवॉट पहुंच गई ।  जबकि एक अगस्त से 22 सितंबर के बीच अधिकतम कीमत 9.81 रुपये  प्रति किलोवॉट थी।

 Coal Crisis In India
कोयला संकट अब जेब पर पड़ सकता है भारी  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • CEA की रिपोर्ट के अनुसार 11 अक्टूबर को 135  कोयले आधारित प्लांट में से 115 क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए हैं।
  • पॉवर एक्सचेंज पर जुलाई 2021 में 4247 गीगा वॉट डिमांड थी, वह अगस्त में 6660 गीगा वॉट तक पहुंच गई।
  • बिजली की कमी को पूरा करने के लिए डिस्कॉम, ओद्योगिक इकाइयां लगातार महंगे दर पर बिजली खरीद रही हैं।

नई दिल्ली। पेट्रोल, डीजल, एलपीजी की महंगाई के बाद अब बिजली भी आपके जेब पर भारी पड़ सकती है। जिस तरह देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है। उसकी वजह से लगातार औद्योगिक इकाइयों, डिस्कॉम के लिए बिजली महंगी होती जा रही है। हालत यह है कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड पर 12 अक्टूबर को औसत एमसीपी (मार्केट क्लीयरिंग प्राइस) 15.85 रुपये प्रति किलोवॉट पहुंच गई है।  जबकि एक अगस्त से 22 सितंबर के बीच अधिकतम कीमत 9.81 रुपये  प्रति किलोवॉट थी। और औसत कीमत 4.64 रुपये प्रति किलोवॉट रही थी। जाहिर है जैसे-जैसे कोयले की किल्लत की वजह से बिजली कमी हो रही है। बिजली महंगी होती जा रही है। ऐसे में हो सकता है इस बार की दीवाली पर आपको महंगी बिजली का करंट लगे। आम तौर पर डिस्कॉम, औद्योगिक इकाइयां अपनी  शॉर्ट टर्म जरूरतों के लिए पॉवर एक्सचेंज से बिजली खरीदती हैं।

17 प्लांट के पास एक दिन का भी कोयले का स्टॉक नहीं

केंद्र सरकार भले ही यह दावा करे कि कोयले का संकट नहीं है। लेकिन स्थिति अभी सुधरती नहीं दिख रही है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार 10 अक्टूबर को 135  कोयले आधारित प्लांट में से 115 क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए हैं। इसमें 17 ऐसे प्लांट हैं, जिनके पास एक दिन का भी कोयले का स्टॉक नहीं है। जबकि 7 अक्टूबर की रिपोर्ट के अनुसार केवल 110 प्लांट ऐसे थे जो क्रिटिकल स्थिति में थे। उनमें से 16 प्लांट में एक दिन का भी कोयले का स्टॉक नहीं था। जाहिर है स्थिति बेहतर नहीं हो रही है।

उद्योगों को मिलेगी महंगी  बिजली

इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनॉलिसिस के एनर्जी इकोनॉमिस्ट विभूति गर्ग की सितंबर 2021 की रिपोर्ट के अनुसार अर्थव्यवस्था में रिकवरी की वजह से अगस्त के महीने में बिजली की काफी मांग देखी गई। जिसकी वजह से शाम के समय में पॉवर एक्सचेंज पर कीमतें काफी तेजी से बढ़ी हैं। जुलाई 2021 में 4247 गीगा वॉट डिमांड थी, वह अगस्त में 6660 गीगा वॉट तक पहुंच गई। यही नहीं जुलाई 2021 में औसत एमसीपी  2.95 रुपये प्रति किलोवॉट से बढ़कर अगस्त 2021 में 5.06 रुपये प्रति किलोवॉट पहुंच गई।

रिपोर्ट से साफ है कि मांग बढ़ने से लगातार बिजली महंगी हो रही है। ऐसे में मांग की कमी को पूरा करने के लिए डिस्कॉम, बिजली उत्पादक और ओद्योगिक इकाइयां लगातार महंगे दर पर बिजली खरीद रही है। जिसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ने की आशंका है। इसके तहत उत्पाद महंगे होने  के साथ-साथ दूसरे असर पड़ सकते हैं।

कांग्रेस ने लगाए महंगाई बढ़ाने का आरोप

बिजली के गहराते संकट के लिए कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सीधे तौर पर आरोप लगाया  है। उसके अनुसार पेट्रोल-डीजल के बाद,  अब बिजली खेल बिगाड़ेगी। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर लिखा है 'कोयले की दलाली में हाथ काला करने वाले अंधेरी रात का इंतजाम कर रहे हैं।पानी, पेट्रोल, डीजल की तरह बिजली खरीदना पड़ेगा। जितने घंटे बिजली चाहिए पैसा दो, बिजली लो….साहेब ने दोस्तों के लिए ये भी मुमकिन कर दिखाया...'

कोयले की कमी की सरकाई ने क्या बताई वजह

बिजली मंत्रालय के 9 अक्टूबर के जवाब के अनुसार देश में कोयले की कमी की 4 वजहे हैं। अर्थव्यवस्था की रिकवरी के कारण बिजली की मांग में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। दूसरा सितंबर, 2021 के दौरान कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश से कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदानों से कोयले की ढुलाई और सप्लाई पर नकारात्मक असर हुआ। आयातित कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से आयात नहीं हुआ जिससे  जिससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई । महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश,राजस्थान और मध्य प्रदेश का कोयला कंपनियों पर भारी बकाया है।  इस सम बिजली की दैनिक खपत प्रति दिन 4 अरब (बिलियन) यूनिट से अधिक हो गई है और इसकी 65% से 70% मांग कोयले से चलने वाली बिजली उत्पादन से ही पूरी हो रही है, जिससे कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है। जिसका असर दिख रहा है।

 
 

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