पीपीएफ, एनएससी जैसी लघु बचत योजनाओं पर कम हो सकती है ब्याज दर

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भाषा
Updated Feb 04, 2020 | 09:03 IST

PPF, NSC: पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर कम हो सकती है। इस बात के संकेत आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने दिए हैं।

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PPF, NSC: पीपीएफ और एनएससी पर कम हो सकती है ब्याज दर  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली: आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने अगली तिमाही में लघु बचत ब्याज दरों में संशोधन के संकेत दिए हैं। उनका कहना है कि इसे बाजार दरों के अनुरूप संतुलित बनाया जा सकता है। इससे नीतिगत दरों के लाभ को तेजी से आम लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलने की संभावना है। बैंक जमा दरों में नरमी के बावजूद चालू तिमाही में सरकार ने लोक भविष्य निधि कोष (पीपीएफ) और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती करने से दूरी बनाए रखी।

चक्रवर्ती ने कहा, 'देश में हमारे पास वर्तमान में लगभग 12 लाख करोड़ रुपये लघु बचत योजनाओं में और करीब 114 लाख करोड़ रुपये बैंक जमा के रूप में हैं। इससे बैंकों की देनदारी इन 12 लाख करोड़ रुपये से प्रभावित हो रही है।' उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल वैसी स्थिति है जब कोई कमजोर इंसान किसी ज्यादा शक्तिशाली व्यक्ति को नियंत्रित करने लगे। कमोबेश लघु बचतों की ब्याज दर का कुछ जुड़ा बाजार दरों से होना चाहिए जो बड़े स्तर पर सरकारी प्रतिभूतियों से प्रभावित होती हैं।

चक्रवर्ती ने कहा कि श्यामला गोपीनाथ समिति की रपट को स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन ब्याज दरों को बाजार दरों से जोड़ने का काम चल रहा है। 'इस तिमाही के लिए ब्याज दरों का इंतजार कीजिए, यह आपको लगभग-लगभग अच्छे संकेत देगा।' उन्होंने कहा कि अभी कुछ सांकेतिक मुद्दे हैं जिन पर काम किया जा रहा है।

बैंकों का कहना है कि लघु बचतों पर ऊंचे ब्याज से उन्हें अपनी जमा ब्याज दरों में कटौती करने में दिक्कत आ रही है। एक साल की परिपक्वता अवधि के लिए बैंकों की जमा ब्याज दर और लघु बचत दरों में करीब एक प्रतिशत का अंतर है। उन्होंने कहा कि भले सरकार लघु बचत योजनाओं पर निर्भर नहीं है, लेकिन सरकार का इन योजनाओं को समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। 

राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाने की स्थिति में सरकार के बाजार से अतिरिक्त धन जुटाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस साल सरकार बाजार से कोई अतिरिक्त पैसा नहीं उठाएगी और ना ही सरकार की घाटे का मौद्रीकरण करने की कोई योजना है। उल्लेखनीय है कि राजस्व संग्रह में कमी के चलते सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8 प्रतिशत होने का अनुमान जताया है। यह बजट अनुमान 3.3 प्रतिशत से अधिक है।

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