रिटायरमेंट प्लानिंग हर व्यक्ति लिए मायने रखती है। इस प्रक्रिया से आपके स्वर्णिम वर्षों की रूपरेखा को परिभाषित किया जाता है और यह बात तय की जाती है कि आप उन्हें किस प्रकार से बिताने का इरादा रखते हैं। लेकिन वांछित रिटायरमेंट को प्राप्त करने के लिए, नौकरी के वर्षों के दौरान समझदारी से निवेश करना बहुत जरूरी होता है। मार्केट में बहुत से निवेश प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं जैसे म्यूचल फंड्स, राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS), राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) आदि। लेकिन दो प्रोडक्ट्स यानि स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) तथा लोक भविष्य निधि (PPF) ऐसे हैं जो दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा बहुत अधिक पसंद किए जाते हैं। इनसे निवेश पर न केवल सुनिश्चित और आकर्षक रिटर्न प्राप्त होते हैं बल्कि आयकर कटौती लाभ भी मिलते हैं। इस प्रकार के आकर्षक फीचर्स के कारण इन स्कीमों को उन निवेशकों द्वारा अधिक पंसद किया जाता है जो जोखिम-रहित, गारेंटेड रिटर्न के साथ-साथ अपने रिटायरमेंट फंड को भी तैयार करना चाहते हैं। इस लेख में हम आपकी सोच समझ कर फैसला करने में सहायता के लिए दोनों स्कीमों की तुलना करेंगे।
VPF, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का एक्सटेंशन है। EPF में सभी वेतनभागी कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 12% अनिवार्य अंशदान करना होता है और इतनी ही राशि का अंशदान एम्प्लायर द्वारा भी किया जाता है। स्वैच्छिक भविष्य निधि, जैसा कि नाम से पता लगता है, कर्मचारियों द्वारा पीएफ खातों में 12% की उच्चतम सीमा के बाद स्वैच्छिक अंशदान होता है। इस अंशदान को मूल वेतन और मंहगाई भत्ते के 100% तक सीमित किया गया है। ऐसा कहने के बाद, यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि आपके नियोक्ता के लिए आपके VPF खाते में अंशदान करने की कोई बाध्यता या जिम्मेवारी नहीं होती है।
PPF भी स्वैच्छिक दीर्घकालिक निवेश योजना है। किसी भी निवेशक द्वारा रिटायरमेंट के लिए एक बड़ी पूंजी को एकत्र किया जा सकता है क्योंकि इसमें चक्रवृद्धि ब्याज प्राप्त होता है। किसी वित्तीय वर्ष के दौरान PPF में निवेश या तो एकमुश्त किया जा सकता है अथवा 12 किश्तों (जो 500/- रुपए से कम नहीं होनी चाहिए और कुल राशि 1.5 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए) में ऐसा किया जा सकता है। ब्याज की गणना 5वें दिन की समाप्ति से लेकर महीने के अंतिम दिन के दौरान न्यूनतम बैलेंस पर की जाती है। इसलिए, यदि आप किस्तों में निवेश कर रहे हैं तो आपको PPF में महीने के पहले पांच दिनों में निवेश करना चाहिए।
VPF: भारत में केवल वेतनभोगी व्यक्ति ही VPF खाता खोल सकते हैं। आमतौर पर इसे EPF के खाते के साथ खोला जाता है, जिसे आप अपनी नौकरी शुरू करते समय खोलते हैं। खाता खोलने का काम आपके नियोक्ता के मानव संसाधन या वित्त विभाग द्वारा किया जाता है।
PPF: सभी भारतीय नागरिक PPF खाता खोलने के पात्र हैं। इसको कोई भी खोल सकता है– वेतनभोगी, कारोबारी, स्व-नियोजित तथा यहां तक कि अवयस्क भी अधिकृत बैंकों और डाकघरों में इस खाते को खोल सकते हैं। कुछ बड़े निजी बैंकों द्वारा भी निवेशकों को यह सुविधा प्रदान की जा रही है।
VPF: आप VPF में अपनी रिटायरमेंट की आयु तक निवेश कर सकते हैं। लेकिन, 5 वर्ष की लॉक-इन अवधि तय की गई है। अनिवार्य रूप से इसका अर्थ है कि जब आप अपना VPF खाता खोलते हैं, तो आप इसे 5 वर्ष की आधार अवधि के पूरा होने से पहले न तो टर्मिनेट कर सकते हैं और न ही इसे बंद कर सकते हैं। यदि आपकी नौकरी बदल जाती है, तो आप अपने VPF खाते को एक नियोक्ता से दूसरे नियोक्ता को ट्रांसफर कर सकते हैं।
PPF: PPF खाते की अवधि 15 वर्ष की होती है। लेकिन आप 5 वर्ष के ब्लॉक के लिए इसको बढ़ा सकते हैं, और ऐसा आपकी इच्छा के अनुसार कितने ही ब्लॉक्स के लिए जारी रखा जा सकता है।
VPF: VPF खाते पर ब्याज की दर, जिसकी घोषणा सरकार द्वारा वार्षिक रूप से की जाती है, वह EPF पर मिलने वाली ब्याज दर के समान ही है। 2020-21 के लिए ब्याज की दर 8.5% है।
PPF: सरकार हर तिमाही में छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को तय करती है। जुलाई-सितम्बर तिमाही के लिए PPF पर ब्याज की दर 7.1% है।
VPF:आय के प्रतिशत के रूप में, मासिक अंशदान मूल वेतन के 12% से मूल वेतन और मंहगाई भत्ते के 100% तक हो सकता है। वास्तविक सीमा के रूप में, आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं; VPF में अधिकतम अनुमत सीमा तय नहीं की गई है। लेकिन, एक सीमा के बाद निवेश टैक्स फ्री नहीं होता है।
PPF: आप किसी वित्तीय वर्ष के दौरान न्यूनतम 500/- रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा करवा सकते हैं।
VPF: VPF खाते में 1.5 लाख रुपए के वार्षिक निवेश का इस्तेमाल आयकर अधिनियम की धारा 80-सी के अंतर्गत टैक्स कटौतियां प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। आप 1.5 लाख रुपए से अधिक का निवेश भी कर सकते हैं, लेकिन धारा 80 सी के अंतर्गत अतिरिक्त निवेश पर टैक्स कटौतियों के लिए विचार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, 2.5 लाख रुपए का अंशदान (कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से) पर अर्जित ब्याज टैक्स मुक्त रहेगा। लेकिन, इस सीमा के बाद निवेश की राशि पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा क्योंकि इस प्रकार से अर्जित ब्याज को आय माना जाता है। इसके अलावा, 5 लाख रुपए तक के वार्षिक अंशदान पर अर्जित ब्याज को टैक्स-मुक्त माना जाएगा यदि अंशदान एकमात्र कर्मचारी द्वारा ही किया जाता है। यदि कर्मचारी एकमात्र अंशदानकर्ता है और निवेश की गई राशि 5 लाख रुपए से अधिक होती है, तो इस 5 लाख रुपए की सीमा के बाद किए गए निवेश पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगाया जाएगा। इसके अलावा, किसी वित्तीय वर्ष में यदि ब्याज की दर 9.5% से अधिक है, तो अर्जित किए गए अतिरिक्त ब्याज पर भी कर लिया जाएगा।
PPF: PPF खाते में अधिकतम 1.5 लाख रुपए की प्रति वर्ष निवेश की गई राशि का इस्तेमाल आयकर की धारा 80-सी के अंतर्गत कर कटौतियों को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। अर्जित ब्याज भी टैक्स मुक्त है। एक बार जब अवधि पूरी हो जाती है, तो ब्याज सहित कुल संचित राशि निवेशक को टैक्स-मुक्त राशि के रूप में प्राप्त होती है।
VPF: आप रिटायरमेंट के बाद या दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने पर पूरी राशि निकाल सकते हैं। आप खास उद्देश्यों जैसे शादी, चिकित्सा आपातस्थितियों, घर का निर्माण या घर खरीदने के लिए भी लोन के रूप में आंशिक विदड्रावल कर सकते हैं। लेकिन, यहां पर यह नोट करना जरूरी है कि यदि आंशिक विदड्रावल को 5 वर्ष की आधार अवधि के पहले किया जाता है, तो संचित राशि पर टैक्स वसूला जाता है।
PPF: निवेशक 15 वर्ष की अवधि के पूरा होने पर कुल राशि को विदड्रा कर सकता है। आंशिक विदड्रावल की अनुमति केवल 6 वर्ष के पूरा होने के बाद ही दी जाती है। इसका अर्थ है कि आप 7वें वर्ष से आगे आंशिक विदड्रावल कर सकते हैं और आपको वित्तीय वर्ष में केवल एक बार ऐसा करने की अनुमति दी जाती है। तीन वर्ष के पूरा होने के बाद आप PPF निवेश के बदले में लोन ले सकते हैं। खाता धारक को समय से पहले विदड्रावल की अनुमति भी दी जाती है। लेकिन चौथे वर्ष की समाप्ति पर PPF में रखी। कुल राशि के 50% से अधिक राशि को नहीं निकाला जा सकता है। निकाली गई राशि पर कर लगाया जाता है।
PPF और VPF दोनों ही स्कीमें निम्न जोखिम निवेश विकल्प हैं और एश्योर्ड रिटर्न चाहने वाले निवेशकों के लिए बेहतर साबित होती हैं। दोनों में से किसी एक को चुनने का आपका निर्णय आपकी निवेश अवधि तथा रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है। ऐसा कहने के बाद, यह नोट करना भी महत्वपूर्ण है कि VPF पर ब्याज की दर 8.5% है और PPF पर 7.1% है, लेकिन दोनों स्कीमों पर टैक्स के प्रावधान अलग-अलग हैं।
VPF में उच्च अंशदान और उच्च ब्याज से शीघ्रतापूर्वक काफी अधिक रिटायरमेंट फंड को जोड़ा जा सकता है। PPF पर रिटर्न की दर को हर तिमाही में तय किया जाता है। इसलिए, ब्याज दर में किसी भी बढ़ोतरी से आपके टैक्स फ्री रिटर्न में बढ़ोतरी होगी, और ब्याज में कमी से आपके रिटर्न कम हो जाएंगे। यदि आपके वित्तीय लक्ष्य 15-20 वर्ष की अवधि में आते हैं, जैसे आपके बच्चे की उच्च शिक्षा या शादी, तो निवेश के यह बहुत ही शानदार साधन है।
ऐसे व्यक्ति जो उच्च आय ब्रेकेट में आते हैं, वे VPF तथा PPF दोनों में निवेश कर सकते हैं ताकि एक तय सीमा तक टैक्स मुक्त ब्याज प्राप्त कर सकें। यहां पर यह बात जरूर नोट की जानी चाहिए कि ये दोनों ही निवेश बहुत अधिक लिक्विड नहीं हैं, क्योंकि इनका उद्देश्य दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करना है। स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए वैल्थ क्रिएशन और टैक्स की बचत के लिए PPF कुशल निवेश विकल्प है। रिटायरमेंट के लिए, आप अपनी बचत के एक हिस्से को ईक्विटी में निवेश करने पर भी विचार कर सकते हैं जिससे भविष्य में आपको इन्फ्लेशन की तुलना में कहीं अधिक रिटर्न प्राप्त करना संभव होता है।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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