रिटायरमेंट फंड तैयार कर रहे हैं? सिर्फ EPF पर भरोसा न करें, आखिर क्यों यहां जानें

रिटायरमेंट के बाद बेहतर लाइफ के लिए आप प्लानिंग कर रहे हैं। सिर्फ ईपीएफ पर भरोसा नहीं करें। यहां जानिए क्यों

Preparing retirement fund? Don't just trust EPF, why know here
रिटायरमेंट के बाद की लाइफ के लिए तैयारी  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली: महंगाई की वजह से जीवन यापन की लागत बढ़ गई है। इसलिए रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित जीवन जीने के लिए बचत करना और निवेश करना बेहद जरूरी हो गया है। यह सुनिश्चित कर आप रिटायरमेंट के बाद भी अपनी लाइफस्टाइल को बनाए रखते हैं। इसके लिए आप जल्द योजना बनाएं और बचत करने पर ध्यान दें। अपने रिटायरमेंट से 25-30 साल पहले पैसे का निवेश करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप रिटायर होने के समय तक बड़ी रिटायरमेंट फंड का निर्माण कर लिया है। 

बड़े रिटायरमेंट फंड के निर्माण के लिए समय और निरंतरता की जरूरत होती है। आपको लगातार लॉन्ग टर्म उपकरणों में निवेश करने की जरुरत है ताकि कंपाउंडिंग की शक्ति आपके लिए काम करेगी और आपको बड़े रिटायरमेंट फंड के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। ईपीएफ, पीपीएफ, एनपीएस आदि जैसे कई लॉन्ग टर्म निवेश साधन हैं, जो आपकी रिटायरमेंट बचत करने में आपकी मदद कर सकते हैं। 

बहुत से लोगों के लिए, कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) टैक्स सेविंग बेनिफिट्स के साथ सबसे पसंदीदा रिटायरमेंट निवेश है। फिलहाल, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वर्तमान में 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर दे रहा है। ईपीएफ में निवेश करना 15,000 रुपए प्रति माह से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नहीं है, जबकि 15,000 रुपए से कम आय वालों को इसके लिए अनिवार्य रूप से योगदान करना होगा।

ईपीएफ के मामले में, एक कर्मचारी को प्रति माह अपने मूल वेतन का 12 प्रतिशत का न्यूनतम योगदान देना होता है, जिसे वीपीएफ के तहत स्वेच्छा से बढ़ाया जा सकता है। ईपीएफ ईईई कैटेगरी के अंतर्गत आता है, जिसका अर्थ है, अर्जित ब्याज और मैच्योरिटी राशि टैक्स फ्री है। ईपीएफ राशि अर्जित ब्याज से टैक्स फ्री है और धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश के लिए निकासी पर संचय है।

जबकि ईपीएफ रिटायरमेंट सेविंग के लिए एक अच्छा साधन है, लेकिन रिटायरमेंट फंड तैयार के लिए यह आपका एकमात्र निवेश साधन नहीं होना चाहिए क्योंकि ईपीएफओ मुख्य रूप से लोन साधनों में निवेश करता है, जिसका अर्थ है कि इक्विटी निवेश साधनों द्वारा दिए गए रिटर्न की तरह रिटर्न कभी नहीं मिलता है।

ईपीएफ अंशदान आपके मूल वेतन का 12% या 15,000 रुपए का 12% (नियोक्ता वरीयता के आधार पर) है। यह आपको सीमित योगदान द्वारा अपने रिटायरमेंट लक्ष्य को प्राप्त करने से रोक सकता है। इसके अलावा, कई नियोक्ता आपको वीपीएफ विकल्प नहीं दे सकते हैं। नियोक्ताओं के योगदान को भी याद रखना चाहिए, 8.33% ईपीएस की ओर जाएगा। जिस पर ब्याज नहीं मिलेगा। ईपीएस से रिटायरमेंट के समय जो पेंशन मिलती है वह मूंगफली की तरह होती है। इन सभी प्रतिबंधों और बढ़ती महंगाई को देखते हुए रिटायरमेंट सेविंग के लिए केवल ईपीएफ पर निर्भर होना आदर्श नहीं हो सकता है।

कई बार, नियोक्ताओं के पास कर्मचारियों के लिए ईपीएफ की सुविधा नहीं होती है। अगर आप वैसी स्थिति में हैं तो आप पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) खाते में भी योगदान कर सकते हैं। ईपीएफ प्लस पीपीएफ का एक कॉम्बिनेशन एक विशाल रिटायरमेंट फंड के निर्माण के लिए एक अच्छी शुरुआत है। चूंकि पीएफ इंस्ट्रूमेंट्स डेट प्रॉडक्ट्स हैं, इसलिए उनका रिटर्न महंगाई को मात देने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। तो, आपको इक्विटी साधनों में भी निवेश करने की आवश्यकता है, जो कि लॉन्ग टर्म में महंगाई को हराने में रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं।

अगर आप एक संतुलित या आक्रामक निवेशक हैं और पीपीएफ या ईपीएफ निवेश से अलग एक उच्च जोखिम उठा सकते हैं, तो आप इक्विटी फंड में भी नियमित रूप से निवेश करना शुरू कर सकते हैं। आपके पोर्टफोलियो में डेब्ट (ईपीएफ, वीपीएफ, पीपीएफ) और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स (इक्विटी फंड) का कॉम्बिनेशन होगा। यह इक्विटी आवंटन आपको लॉन्ग टर्म अवधि के उच्च रिटर्न अर्जित करने में मदद करेगा क्योंकि आपके सामने कई दशक हैं और इस तरह से, आप रिटर्न कंपाउंडिंग से लाभ उठा सकते हैं।
 

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