नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिकारियों का संगठन एआईबीओसी ने बुधवार को कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) का विलय सिंगापुर की डीबीएस बैंक की अनुषंगी इकाई में करना राष्ट्र हित में नहीं है। संगठन ने निजी क्षेत्र के बैंक का सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक में विलय की मांग की है।
भारतीय रिजर्व बैंक के एक दिन पहले एलवीबी के विलय की योजना सार्वजनिक किये जाने के बाद ‘ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कान्फेडरेशन’ (एआईबीओसी) ने यह बात कही।
संगठन के अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि नकदी संकट में फंसे एलवीबी का डीबीएस बैंक इंडिया में विलय का प्रस्ताव देश में बड़े स्तर पर विदेशी बैंकों के प्रवेश का रास्ता उपलब्ध कराने की एक साजिश है। उन्होंने कहा कि भारत में बैंक क्षेत्र में वृद्धि की काफी संभावना है। इसीलिए विदेशी बैंक लंबे समय समय से अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिये विलय के रास्ते पर गौर कर रहे हैं।
कुमार ने आशंका व्यक्त की कि विदेशी बैंकों का बेधड़क प्रवेश ‘देश को आर्थिक दासता की तरफ ले जाएगा और वे संसाधनों का दोहन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि एक पक्ष के रूप में एआईबीओसी आरबीआई से राष्ट्र हित में प्रस्तावित विलय को लेकर अपने रुख पर फिर से विचार करने का आग्रह करता है।
रिजर्व बैंक के विलय को लेकर मंगलवार को जारी योजना के मसौदे के अनुसार, निजी क्षेत्र के एलवीबी का विलय डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में करने क प्रस्ताव है। डीबीआईएल सिंगापुर की डीबीएस होल्डिंग्स की स्थानीय इकाई है।
कुमार ने कहा कि निजी क्षेत्र का बैंक काफी पुराना है और वह आजादी के पहले से देश की सेवा कर रहा है। बैंक देश में पीएसबी (सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक) की तरह काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि अत: इसके स्वरूप को बनाये रखने के लिये इसका विलय विदेशी बैंक के बजाए सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक के साथ होना चाहिए।
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