Pulses rates : दालों के दाम हुए बेलगाम, सस्ती दरों में मुहैया कराने के लिए सरकार ने उठाए कदम

बिजनेस
आईएएनएस
Updated Oct 12, 2020 | 19:04 IST

तुअर, उड़द, मूंग और चना समेत तमाम दालों के दाम बेलगाम हो गए हैं लेकिन सरकार ने इस पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

Pulses prices unbridled, Government took steps to provide cheaper rates
दालों के दाम बेलगाम 

नई दिल्ली : तुअर, उड़द, मूंग और चना समेत तमाम दालों के बेलगाम हुए दाम को काबू करने के मकसद से केंद्र सरकार ने सस्ती दरों पर उपभोक्ताओं को उड़द और तुअर की दाल मुहैया करवाने समेत अन्य कदम उठाए हैं। मगर, दाल कारोबारी इसे नाकाफी मानते हैं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में दालों के दाम में थोड़ी नरमी आएगी, लेकिन घरेलू उपलब्घता बढ़ाने के लिए तुअर का आयात जरूरी है। ऑल इंडिया मिल एसोसिएशन का कहना है कि जब तक सरकार तुअर का बफर स्टॉक खुले बाजार में नहीं उतारेगी या आयात के लिए लाइसेंस जारी नहीं करेगी, तब तक दालों की महंगाई पर रोक नहीं लगेगी क्योंकि व्यापारियों के पास तुअर का स्टॉक बहुत कम है और नई फसल आने में अभी दो महीने देर है।

दिल्ली-एनसीआर में उपभोक्ताओं को तुअर दाल के लिए 120 से 140 रुपये, उड़द के लिए 130 रुपये से लेकर 150 रुपये और मूंग का 120 रुपये से 150 रुपये प्रति किलो चुकाना पड़ रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्रालय की बेवसाइट पर संकलित कीमतों के अनुसार, देश में रविवार को तुअर का खुदरा भाव 75 से 125 रुपये, उड़द दाल का भाव 70 से 126 रुपये, मूंग दाल का भाव 80 रुपये से 120 रुपये प्रति किलो था।

दालों की महंगाई पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से खुदरा हस्तक्षेप के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को धुली उड़द (खरीफ-2018 का स्टॉक) 79 रुपये प्रति किलो और (खरीफ-2019 का स्टॉक) 81 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराई जा रही है। इसी तरह, तुअर की दाल 85 रुपये प्रति किलो की दर से मुहैया की जा रही है। यह जानकारी शनिवार को मंत्रालय ने दी।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोएिशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि सस्ती दरों पर लोगों को दाल मुहैया करवाने से कीमतों में थोड़ी नरमी आएगी, लेकिन कीमतों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

अग्रवाल ने कहा, दालों के दाम पर लगाम तभी लगेगी जब सरकार नेफेड के पास पड़ा तुअर का स्टॉक की बिक्री खुले बाजार में की जाएगी या फिर तुअर आयात का लाइसेंस जारी की जाएगी।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस साल चार लाख टन तुअर आयात का कोटा तय किया है, मगर आयात के लिए लाइसेंस अब तक जारी नहीं किया गया।

नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने बताया कि तुअर का आठ लाख टन बफर स्टॉक है और इसमें से तीन से चार लाख टन का स्टॉक निकाला जा सकता है, लेकिन कितना स्टॉक रखा जाएगा और कितना निकाला जाएगा यह सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा।

दलहन बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि तुअर की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, फिर भी सरकार ने हाल ही में 1.50 लाख टन उड़द आयात करने की इजाजत दी है। ऐसे में संभव है कि तुअर आयात के लिए लाइसेंस जारी की जाए क्योंकि तुअर की नई फसल की आवक शुरू होने में अभी दो महीने से ज्यादा विलंब है।

बता दें कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन 40.4 लाख टन होने का आकलन किया गया है जबकि पिछले साल तुअर का उत्पादन 38.3 लाख टन हुआ था।

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