RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाकर 5.4 फीसदी किया, लोन सस्ता होगा

बिजनेस
Updated Aug 07, 2019 | 16:44 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Credit Policy: रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कटौती की। इस बार रिजर्व बैंक ने परंपरा से हटते हुए 0.25 फीसदी के बदले 0.35 फीसदी की कटौती की। यहां जानिए आरबीआई ने और क्या बड़े फैसले किए।

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रिजर्व बैंक ने रेपो रेट की दर घटाई।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कटौती की
  • रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 0.35 फीसदी घटाकर 5.4 फीसदी की
  • आरबीआई ने देश की विकास दर का अनुमान घटाया
  • NEFT पेमेंट की सुविधा अब चौबीसों घंटे मिलेगी
  • भारत बिल पेमेंट सिस्टम का दायरा बढ़ा

Loan Rate: रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती चाल को गति देने के लिये बुधवार को उम्मीद के अनुरूप कदम उठाते हुये प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की कटौती कर दी। यह लगातार चौथा मौका है जब रेपो दर में कमी की गयी है। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.40 प्रतिशत रह गयी।

लगातार चौथी बार नीतिगत दर में कटौती से बैंक कर्ज सस्ता होने तथा आवास, वाहन कर्ज की मासिक किस्तें (ईएमआई) कम होने के साथ साथ कंपनियों के लिये कर्ज सस्ता होने की उम्मीद है। इसी सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में बैंकों ने आरबीआई द्वारा नीतिगत दर में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकाल के लिये नकदी उपलब्ध कराता है। रेपो दर में इस कटौती के बाद रिजर्व बैंक की रिवर्स रेपो दर भी कम होकर 5.15 प्रतिशत, सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर घटकर 5.65 प्रतिशत रह गई।

रेपो दर में यह कटौती सामान्य तौर पर होने वाली कटौती से हटकर है। आम तौर पर आरबीआई रेपो दर में 0.25 प्रतिशत या 0.50 प्रतिशत की कटौती करता रहा है, लेकिन इस बार उसने 0.35 प्रतिशत की कटौती की है। रेपो दर में चार बार में अब तक कुल 1.10 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।

यह पूछे जाने पर कि आरबीआई ने आखिर रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती क्यों की, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यह कोई अप्रत्याशित नहीं है, यह कटौती संतुलित है। उन्होंने कहा कि 0.25 प्रतिशत की कटौती अपर्याप्त मानी जा रही थी जबकि 0.50 प्रतिशत की कटौती अधिक होती। इसीलिए एमपीसी ने संतुलित रुख अपनाते हुये 0.35 प्रतिशत कटौती की है।

केंद्रीय बैंक ने 2019-20 के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के जून के अनुमान को भी 7.0 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मौद्रिक नीति का नरम रुख बरकरार रखने का निर्णय किया। इससे यह संकेत मिलता है कि मौद्रिक नीति में आने वाले समय में जरूरत पड़ने पर और कटौती हो सकती है। हालांकि, यह मुद्रास्फीति जैसे कारकों पर निर्भर करेगी।

केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘मौजूदा और उभरती वृहत आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर एमपीसी ने आज (बुधवार) की बैठक में तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीतिगत दर रेपो में तत्काल प्रभाव से 0.35 प्रतिशत कटौती कर 5.40 प्रतिशत करने का निर्णय किया।’

समिति ने कहा कि मुद्रास्फीति फिलहाल अगले 12 महीनों तक लक्ष्य के दायरे में रहने का अनुमान है। ऐसे में जून में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद भी घरेलू आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई है। वहीं वैश्विक स्तर पर नरमी तथा दुनिया की दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से इसके नीचे जाने का जोखिम बरकरार है।

केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत के दायरे में रहने का लक्ष्य मिला हुआ है। समिति ने कहा कि पिछली बार की रेपो दर में कटौती का लाभ धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में पहुंच रहा है, नरम मुद्रास्फीति परिदृश्य नीतिगत कदम उठाने की गुंजाइश देता है ताकि उत्पादन में नकारात्मक अंतर की भरपाई की जा सके।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, ‘मुद्रास्फीति लक्ष्य की मिली जिम्मेदारी को निभाते हुए सकल मांग, खासकर निजी निवेश को गति देकर वृद्धि संबंधी चिंता को दूर करना इस समय उच्च प्राथमिकता में है।’

यह लगातार चौथी बार है जब रेपो दर में कटौती की गयी है। इससे पहले सात फरवरी 2019 को पेश मौद्रिक समीक्षा में 0.25 प्रतिशत कटौती की गई। उसके बाद चार अप्रैल, फिर तीन जून को हुई समीक्षा में भी इतनी ही कटौती की गई। कुल मिलाकर अब रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है।

वृद्धि दर के बारे में आरबीआई ने कहा,‘...वित्त वर्ष 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर के जून के 7 प्रतिशत अनुमान को संशोधित कर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है। इसमें चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 5.8 से 6.6 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 7.3 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें नीचे जाने का जोखिम बना हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।’

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि दूसरी छमाही में इसके 3.5 से 3.7 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें घट-बढ़ का जोखिम बरकरार है।

मौद्रिक नीति समिति के चार सदस्य रवीन्द्र एच ढोलकिया, माइकल देबव्रत पात्रा, बिभू प्रसाद कानूनगो और शक्तिकांत दास ने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की कटौती के पक्ष में मत दिया जबकि दो सदस्यों चेतन घाटे ओर पामी दुआ ने नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान किया। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक एक, तीन और चार अक्टूबर 2019 को होगी।

आरबीआई ने दिसंबर से एनईएफटी के जरिये 24 घंटे कोष हस्तांतरण की अनुमति देने का निर्णय किया है। इसका पहल का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है। रिजर्व बैंक ने कहा कि निर्णय से देश में खुदरा भुगतान प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा।

फिलहाल राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक कोष हस्तांतरण (एनईएफटी) का परिचालन आरबीआई खुदरा भुगतान व्यवस्था के रूप में करता है। यह ग्राहकों के लिये दूसरे और चौथे शनिवार के अपवाद के साथ सभी कामकाजी दिवस में सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक के लिये उपलब्ध होता है। एनईएफटी प्रणाली का उपयोग 2 लाख रुपये तक के कोष के हस्तांतरण में किया जाता है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने आवर्ती बिलों के भुगतान का प्रावधान करने वाली सभी इकाइयों को भारतीय बिल-भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के मंच से जुड़ने की छूट देने का निर्णय किया है। इसके लिए सितंबर तक दिशा निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।

बीबीपीएस एक ऐसा मंच है जो दूसरी प्रणालियों के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान करने में समर्थ है। इसके माध्यम से इस समय डीटीएच, बिजली, गैस, टेलीफोन और पानी -पांच क्षेत्रों की कंपनियों इकाइयों के बिल जमा कराए जा सकते है।

केंद्रीय बैंक ने अब इसमें एक ग्राहक को बारंबार बीजक (बिल) काटने वाली सभी इकाइयों को मुंबई बीबीपीएस से जुड़ने की छूट देने का निर्णय किया है। इस क्षेत्र की कंपनियां/ इकाइयां ग्राहकों बिल-भुगतान सुविधा के लिए इस मंच से स्वैच्छा से जुड़ सकती है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कर्ज सस्ता होने और सरकार की तरफ से संभवत: और कदम उठाये जाने से आर्थिक वृद्धि में जल्द तेजी आने का भरोसा जताया। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में दिख रही नरमी बुनियादी कारणों से नहीं है बल्कि यह चक्रीय कारणों से है।

उन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार सुस्त पड़ रही आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये और कदम उठाएगी। मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत रही और जून तिमाही में इसमें और गिरावट की आशंका है।

एमपीसी के नीतिगत दर में कटौती के बाद संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा, ‘‘आरबीआई की समझ है कि वृद्धि दर में नरमी इसके चक्रीय प्रभाव की वजह से है, बुनियादी वजह नहीं है।’’ उन्होंने दूसरी छमाही में वृद्धि में तेजी की उम्मीद जतायी। दास ने कहा, ‘मौद्रिक नीति को नरम बनाने से आने वाले समय में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने की उम्मीद है।’

उन्होंने बैंकों द्वारा उच्च ब्याज दर बरकरार रखने को लेकर साठगांठ की धारणा को खारिज कर दिया। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने इस मामले में पिछले महीने अगुवाई की और दूसरे बैंक भी उसका अनुकरण करेंगे।

दास ने कहा कि सरकार और आरबीआई वृद्धि प्रक्रिया को गति देने के लिये हर संभव कदम उठा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने तुंरत कहा कि एमपीसी का निर्णय स्वतंत्र है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक वृद्धि को आगे बढ़ाने के लिये यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी उपलब्ध हो। उन्होंने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में फिलहाल कटौती से इनकार किया।

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