RBI: 3 महीने में 5 लाख के ब्याज का बोझ और 3.39 लाख रु घट गई होम लोन लेने की हैसियत, जानें कैसे

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 05, 2022 | 12:36 IST

RBI Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 93 दिनों में 1.40 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। यानी पहले से लोन लेकर ईएमआई चुकाने वालों को हर महीने बढ़ी ईएमआई का झटका लग रहा है। और उसका सबसे ज्यादा असर लोगों की कर्ज चुकाने की क्षमता पर पड़ रहा है।

RBI POLICY AND HOME LOAN EMI
93 दिन में आरबीआई ने बढ़ाया 1.40 फीसदी रेपो रेट 
मुख्य बातें
  • लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी से अब वह कोविड-19 दौर से पहले की स्थिति में आ गई है।
  • बैंक कर्ज देते समय ग्राहक की कर्ज देने की क्षमता देखते हैं। और वह उसकी इनकम से तय होती है। जो कि कर्ज महंगा होने घटती जाती है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 93 दिनों में 1.40 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है।

RBI Monetary Policy:  महंगाई रोकने के लिए आरबीआई द्वारा बार-बार कर्ज महंगा करने का कदम होम लोन, कार लोन और दूसरे लोन ग्राहकों पर भारी पड़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 93 दिनों में 1.40 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है। यानी पहले से लोन लेकर ईएमआई चुकाने वालों को हर महीने बढ़ी ईएमआई का झटका लग रहा है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति ने 25 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए ले रखा है तो उसकी ईएमआई केवल 90 दिनों में 2128 रुपये तक बढ़ गई है। जिस पर उसे 20 साल में 5.10 लाख रुपये तक ज्यादा ब्याज चुकाना होगा। साफ है पहले से कर्ज ले रखे ग्राहकों पर बड़ा बोझ पड़ गया है।

इन तीन केस से समझे होम लोन पर कैसे असर

लोन अमाउंट (रु) अवधि मौजूदा ईएमआई (रु) नई ईएमआई (रु) तीन महीने पहले ईएमआई (रु) 20 साल में अतिरिक्त ब्याज (रु)
25 लाख  20 साल 20,216  20,989 18,861

5,10,744

लोन अमाउंट (रु)

अवधि मौजूदा ईएमआई (रु) नई ईएमआई (रु) तीन महीने पहले ईएमआई (रु) 20 साल में अतिरिक्त ब्याज (रु)
20 लाख  20 साल 16,173 16,791 15,089 4,08,596
लोन अमाउंट (रु) अवधि मौजूदा ईएमआई (रु) नई ईएमआई (रु) तीन महीने पहले ईएमआई (रु) 20 साल में अतिरिक्त ब्याज (रु)
30 लाख  20 साल 24,260 25,187 22,633 6,12,894

नोट: तीन महीने पहले की ब्याज दर 6.65 फीसदी, मौजूदा ब्याज दर 7.55 फीसदी और नई ब्याज दर 8.05 फीसदी ली गई है।

लोन लेने की घटेगी क्षमता

लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी से अब वह कोविड-19 दौर से पहले की स्थिति में आ गई है। उस वक्त रेपो रेट 5.15 फीसदी पर था। साफ है कि अब सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो गया है। और अब न केवल पहले से लोन ले रखे ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा हो गया है। बल्कि उन ग्राहकों को अब ज्यादा पैसे चुकाने होंगे जो लोन लेने की तैयारी में हैं। इसका सीधा असर लोन लेने की क्षमता पर पड़ेगा। क्योंकि बैंक कर्ज देते समय ग्राहक की कर्ज देने की क्षमता देखते हैं। और वह उसकी इनकम से तय होती है। जो कि कर्ज महंगा होने घटती जाती है।

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति की महीने की 50 हजार रुपये इनकम हैं तो बैंक उसे 25 हजार रुपये की ईएमआई तक कर्ज देते हैं। उनका आंकलन है कि होम लोने वाले व्यक्ति इससे ज्यादा ईएमआई चुकाने पर दबाव में आ सकता है और डिफॉल्ट का खतरा बढ़ जाता है। 

मंथली इकनम(रु) अधिकतम ईएमआई (रु) मौजूदा ब्याज दरों पर  मिलने वाला कर्ज (रु) नई ब्याज दरों पर  मिलने वाला कर्ज (रु) कर्ज लेने की क्षमता घटी 3 महीने में कर्ज लेने की क्षमता घटी (रु)
50 हजार  25 हजार 31 लाख रुपये 29.76 लाख 1.24 लाख  3.39 लाख 

RBI Monetary Policy Announcements: आरबीआई ने दिया बड़ा झटका, दोबारा महंगा होगा कर्ज लेना

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