Bank: लॉकर से सामान हुआ चोरी तो मिलेगा हर्जाना, किराए का 100 गुना तक मिलेगा पैसा

आरबीआई ने बैंक लॉकर के संबंध में नए नियम तय कर दिए हैं। इसके तहत लॉकर से सामान चोरी होने या बैंक की दूसरी लापरवाहियों की वजह से अगर ग्राहक को नुकसान होता है तो बैंकों को हर्जाना देना होगा।

Bank LOCKER
बैंक लॉकर 
मुख्य बातें
  • आग, चोरी, डकैती, इमारत ढहने जैसी घटनाएं बैंक की लापरवाही और किसी दूसरी चूक से नुकसान पर ग्राहक को हर्जाना मिलेगा।
  • अभी बैंक लॉकर की साइज और शहर के आधार पर प्रमुख रुप से 1400 रुपये से लेकर 12 हजार रुपये तक सालाना किराया लेते हैं।
  • अगर ग्राहक तीन साल तक बैंक लॉकर का किराया जमा नहीं करेगा तो बैंक को लॉकर खोलने का अधिकार होगा।

नई दिल्ली: बैंक में लॉकर रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने लॉकर में रखे सामान की चोरी होने पर हर्जाना देने का नियम बना दिया है। इसके तहत बैंकों को लॉकर के किराए के आधार पर 100 गुना तक हर्जाना देना होगा। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 1500 रुपये लेकर 9000 रुपये तक लॉकर की साइज के आधार पर सालाना किराया लेता है। ऐसे में नई व्यवस्था के तहत उसकी देनदारी 1.5 लाख रुपये से लेकर 9 लाख रुपये तक बनेगी। इसी तरह एक्सिस बैंक 1400 रुपये लेकर 12960 रुपये तक किराया लेता है तो उसकी देनदारी 140000 रुपये लेकर 1296000 रुपये तक बनेगी। हालांकि इसके लिए बैंकों को नई लॉकर पॉलिसी बनानी होगी। उसके आधार पर हर्जाने की राशि तय होगी। आरबीआई के अनुसार लॉकर संबंधी नए नियम एक जनवरी 2022 से लागू होंगे।

क्या कहता है नया नियम

बैंकों की यह जिम्मेदारी है कि जिस परिसर में लॉकर रखा जाता है, उसकी सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाए जाएं। बैंक परिसर में आग, चोरी/चोरी/डकैती, डकैती, इमारत ढहने जैसी घटनाएं बैंक की  लापरवाही और किसी चूक या दूसरी कमियों के कारण न हो, बैंक को यह सुनिश्चित करना होगा।  बैंक यह नहीं कह सकते हैं कि लॉकर की सामग्री के नुकसान के लिए वे अपने ग्राहकों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं रखते हैं, इसलिए अगर ग्राहक के लॉकर में रखी सामग्री का नुकसान ऊपर बताई घटनाओं के कारण होगा या उसके कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी के कारण होता है, बैंकों को सालाना किराए के 100 गुना के बराबर हर्जाना ग्राहक को देना होगा।

अभी क्या है नियम

मौजूदा समय में बैंकों को किसी तरह के नुकसान पर हर्जाने का प्रावधान नहीं है। असल में जब कोई ग्राहक लॉकर लेता है, तो  वह उसमें क्या सामान रखता है उसकी जानकारी बैंक नहीं लेते हैं। जिसके आधार पर बैंक हर्जाने का कोई प्रावधान नहीं करते थे। उनका तर्क था कि जब हम जानते नहीं है कि ग्राहक ने लॉकर में क्या रखा है, तो फिर उसकी जिम्मेदारी भी नहीं ले सकते हैं। इसीलिए आरबीआई ने किराए के आधार पर हर्जाने का प्रावधान रखेगा। यानी अभी भी बैंक अपने ग्राहक से लॉकर में रखी सामग्री के बारे में जानकारी नहीं लेंगे।

ग्राहकों को भी इन बातों का रखना होगा ध्यान

रिजर्व बैंक के नए नियमों के अनुसार बैंकों को लॉकर करार में एक प्रावधान शामिल करना होगा, जिसके तहत लॉकर किराये पर लेने वाला ग्राहक लॉकर में किसी भी तरह का गैरकानूनी या खतरनाक सामान नहीं रख सकेगा। और अगर ग्राहक लगातार तीन वर्षों तक लॉकर के लिए किराए का भुगतान नहीं करेगा तो बैंक इस पर एक्शन ले सकेगा और जरूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए उसके लॉकर को खोल सकेगा। इसके अलावा बैंकों को लॉकर ऑपरेशंस का एसएमएस और ईमेल कस्टमर्स को भेजना जरूरी होगा। इसके अलावा अगर बैंक में लॉकर उपलब्ध नहीं है, तो बैंकों को उपभोक्ताओं को वेटिंग लिस्ट का नंबर देना होगा।  

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