देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के आसार, जानें MSP,राशन वितरण से लेकर महंगाई पर क्या होगा असर

Record Food Production: देश में एक बार फिर रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की उम्मीद है। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और महंगाई से भी राहत मिल सकती है।

Record Food Production
देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के आसार  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन से किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा आ सकता है।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आने के साथ-साथ महंगाई के मोर्चे पर भी राहत की उम्मीद।
  • सरकार के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाना आसान होगा। कोरोना दौर में खाद्यान की उपलब्धता से बड़ा सपोर्ट मिला।

नई दिल्ली:  देश में एक बार फिर रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के आसार हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार खाद्यान्न उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 में 1.71 फीसदी  बढ़कर 31करोड़ 60 लाख टन होने का अनुमान है। जो  कि साल 2020-21 के उत्पादन की तुलना में 53.2 लाख टन अधिक है। और यह एक रिकॉर्ड उत्पादन होगा। पिछले 5 साल में देश में औसत खाद्यान्न उत्पादन करीब 25 करोड़ 35 लाख टन रहा है। ऐसे में 53 लाख टन अधिक उत्पादन कई तरह की राहत प्रदान कर सकता है।

बेहद अहम है खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी

देश की 130 करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी बेहद अहम है। जीवए के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और उससे जुड़े सेक्टर की 20.2 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी से न केवल खाद्य सुरक्षा बढ़ती है। बल्कि आयात पर भी निर्भरता कम होती है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति आसान होती है। जिसका सीधा असर उत्पादन और कीमतों पर होता है।

सरकार के अनुसार 2021-22 में साल चावल का कुल उत्पादन 12 करोड़ 7.93 लाख टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है। जो कि पिछले पांच वर्षों केऔसत उत्पादन से 1 करोड़ 14 लाख टन अधिक है। इसी तरह गेहूं का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 11 करोड 13.2 लाख टन होने का अनुमान है। जो कि पिछले पांच वर्षों के औसत उत्पादन से 74.4 लाख टन अधिक है। इसके अलावा पौष्टिक और मोटे अनाज का उत्पादन 4 करोड़ 98.6 लाख टन, दलहन उत्पादन 2 करोड़ 69.6 लाख टन अनुमानित है, तिलहन का उत्पादन 3 करोड़ 71.5 लाख टन अनुमानित है, गन्ने का उत्पादन 41 करोड़ 40.4 लाख टन, वहीं कपास का उत्पा‍दन 3 करोड़ 40.6 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 कि.ग्रा.) अनुमानित है।

किसानों के हाथ में आएगा ज्यादा पैसा?

पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में खेती और किसान सभी राजनीतिक दलों के केंद्र में रहे हैं। और उन्होंने किसानों को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादे में किए हैं। ऐसे में गेहूं, चावल, दलहन आदि  के उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी का असर है। सरकार के ऊपर ज्यादा से ज्यादा एमएसपी पर खरीद का दबाव बढ़ेगा। अगर खरीद बढ़ती है, तो निश्चित तौर पर किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा। ऐसा होने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी। जिसका सीधा फायदा एफएमसीजी कंपनियों, टेलिकॉम कंपनियों., ऑटो कंपनियों, ट्रैक्टर कंपनियों, फर्टिलाइजर और कृषि क्षेत्र से  जुड़ी कंपनिय को सीधा फायदा मिलेगा।

महंगाई घटेगी ?

रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का एक और अहम फायदा महंगाई के लेवल पर दिखता है। हाल ही में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022 में  उपोभक्ता महंगाई दर 5.3 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। जबकि 2022-23 के लिए इसे 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। ऐसे में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन से निश्चित तौर पर महंगाई पर लगाम लगाना आसान होगा।

कल्याणकारी योजनाएं चलाना आसान

रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन से केंद्र और राज्य सरकारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाना आसान होता है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चलाता है। इसके तहत साल 2021-22 में 1052.77 लाख टन खाद्यान्‍न का आवंटन किया। वहीं साल 2020-21 में 948.48 लाख टन का आवंटन किया था। जिसका कोविड-19 महामारी के दौरान कल्याणकारी योजनाओं में खास तौर से दिखा है। इसके तहत 80 करोड़  लाभार्थियों को मुफ्त में 2021-22 के जौरान 437.37 लाख टन खाद्यान्‍न का वितरण किया गया। 


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