पिछले दो वर्षों के दौरान डिजिटल लेनदेनों में अभूतपूर्ण बढ़ोतरी हुई है। डिजिटल पेमेंट्स में हुई इस वृद्धि के पीछे स्मार्टफोन के माध्यम से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का बढ़ता प्रचार-प्रसार ही मुख्य कारण रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पूरी तरह से रेगुलेट किए जाने की वजह से, यूपीआई मनी ट्रांसफर विश्वसनीय और सहज हो गए हैं, और इस सितम्बर महीने में यूपीआई के माध्यम से 6.5 ट्रिलियन राशि के 3.65 बिलियन लेनदेन दर्ज किए गए हैं।
आपके मोबाइल फोन के माध्यम से किए जाने वाली लेनेदेनों की आसानी के संबंध में सतर्कता की जरुरत है, क्योंकि आपका मोबाइल फोन वर्चुअल मनी वैलेट बन जाता है, और यदि आप इस संबंध में कोई लापरवाही करते हैं, तो वित्तीय धोखाधड़ी के लिए यह एक सॉफ्ट टार्गेट बन जाता है। इसलिए, वित्तीय लेनदेनों को सुगम बनाने के लिए मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल करते समय सजग रहना और सुरक्षा टिप्स का पालन करना जरूरी हो जाता है। यहां पर सात सरल परंतु महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय दिए गए हैं जिनका आपको यूपीआई ऐप्स के इस्तेमाल के समय हमेशा पालन करना चाहिए।
यूपीआई से जुड़ी एक मात्र चीज जिसे आपको शेयर करना चाहिए वह है यूपीआई एड्रेस, जो कि आपका फोन नंबर हो सकता है, भुगतान प्राप्त करने के लिए आपका क्यूआर (QR) कोड हो सकता है, या आपका वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए, या yourname@yourbank) हो सकता है। आपको इसके अलावा किसी भी दूसरी चीज को शेयर नहीं करना चाहिए। आपको किसी को भी भुगतान ऐप या आपके बैंक ऐप के जरिए आपके यूपीआई अकाउंट को एक्सेस नहीं करने देना चाहिए। आप एक मजबूत स्क्रीन लॉक पासवर्ड और पेमेंट पिन सेट कर सकते हैं। अपने पिन डिटेल को डालते समय या अपने यूपीआई ऐप को अनलॉक करते समय, सुनिश्चित करें कि यह किसी को भी दिखाई नहीं दे रहा है। अगर आपको संदेह है कि आपके डिटेल की किसी को जानकारी मिल गई है, तो तत्काल अपने पासवर्ड और पिन डिटेल को बदल दें।
स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स को आपके यूपीआई एप्लीकेशन्स की एक्सेस नहीं दी जानी चाहिए। कुछ अनवैरिफाइड ऐप्स के कारण डेटा लीक हो सकता है और आपका संवेदनशील वित्तीय ब्यौरा जैसे पासवर्ड और ओटीपी के संबंध में जोखिम हो सकता है। आप सेटिंग्स में जाकर इस प्रकार के स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स के लिए खुली छूट को अक्षम कर सकते हैं। उनको रोकने से यह तय हो जाता है कि आपके वित्तीय ब्यौरे को कोई जोखिम नहीं है।
किसी भी लेनदेन को शुरू करने से पहले, आपको रिसीवर का सत्यापन जरूर करना चाहिए। जब यूपीआई ऐप द्वारा क्यूआर (QR) कोड को स्कैन कर लिया जाता है या भुगतान के लिए आप मैन्यूअली नंबर या वीपीए (VPA) डालते हैं, तो रिसीवर का रजिस्टर्ड नाम आपकी स्क्रीन पर दिखाई देता है। इससे पहले कि आप लेनदेन को आगे बढ़ाएं, यह तय करना हमेशा अच्छा रहता है कि आप व्यक्ति से पूछ लें कि रजिस्टर्ड नाम सही है। इस तरह से आप यह तय कर सकते हैं कि पैसा सही आदमी को भेजा जा रहा है। यूपीआई लेनदेन को रिवर्स नहीं किया जा सकता है। यदि किसी गलत आदमी को पैसा भेज दिया गया है तो आप अपना पैसा वापस नहीं ले सकते हैं।
यह बात नोट करना महत्वपूर्ण है कि यूपीआई ऐप्स पर भुगतान प्राप्त करते समय आपको क्यूआर (QR) कोड या यूपीआई पिन की आवश्यकता नहीं होती है। पेमेंट भेजते समय आपको केवल क्रेडेंशियल्स की ज़रूरत होती है। अक्सर, हैकर्स आपको लिंक भेजते हैं या आपको कॉल करते हैं और आपको वैरिफिकेशन के लिए थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। न तो कभी ऐसे लिंक्स पर क्लिक करें या न ही ऐसे कॉल्स रिसीव करें। याद रखें कि बैंकों द्वारा आपका पिन, ओटीपी या कोई संवेदनशील जानकारी को पूछने के लिए कभी आपको कॉल नहीं किया जाता है। यदि आप इस प्रकार की अनचाही कोशिशों का शिकार हो जाते हैं तो संभव है कि आपके वित्तीय क्रेडेंशियल्स की जानकारी अनधिकृत व्यक्तियों को हो जाए।
दूर से पैसा भेजते समय, आपको रिसीवर की यूपीआई आईडी या फिर भुगतान के लिए क्यूआर (QR) कोड प्रदान करने के लिए कहना चाहिए। कभी-कभी, फोन नंबर का इस्तेमाल करके पैसा भेजना समझदारी की बात साबित नहीं होती है क्योंकि इस बात की संभावना रहती है कि आप गलत नंबर टाइप कर दें। सावधानी के तौर पर, आप टेस्ट राशि जैसे 1/- रूपया भेज सकते हैं ताकि आप कुल राशि भेजने से पहले बेनेफिशियरी के साथ किए गए लेनदेन को वैरिफाई कर सकें।
एक यूपीआई ऐप सभी डिजिटल लेनदेन जरुरतों के लिए पर्याप्त है। क्योंकि यूपीआई द्वारा इंटरोऑपरेबिलिटी (अंतरसंचालनीयता) प्रदान की जाती है, इसलिए भिन्न-भिन्न प्लेटफॉर्म्स, बैंक या ऐप्स में पेमेंट में कोई रूकावट नहीं होती है। एक से अधिक यूपीआई ऐप्स की कोई आवश्यकता नहीं है।
आपको अपने यूपीआई ऐप से जुड़े अपडेट्स को नियमित रूप से अपडेट करते रहना चाहिए, जब भी इस प्रकार के अपग्रेड उपलब्ध हों। अपग्रेड्स में सिक्योरिटी अपग्रेड्स शामिल होते हैं, जो आपके ऐप को इस्तेमाल के लिए सुरक्षित बनाते हैं और आप सिक्योरिटी के साथ समझौता करने से बचे रहते हैं।
अंत में
यदि भुगतान या लेनदेन के संबंध में कोई समस्या हो जाती है, तो हेल्प सेंटर की मदद से यूपीआई ऐप पर तत्काल इस मुद्दे को उठाएं। आप यूपीआई अनुभव को ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल करके आसान बना सकते हैं जिनकी विफलता की दर कम होती है और आपके बैंक के साथ उनका अच्छा तालमेल
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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