कोरोना वायरस से उपजे हालात के बीच मोदी सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान तो किया ही है। इसके साथ-साथ कई कदम उठाए हैं। गरीब और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए फूड प्रोसेसिंग सेक्टर और मजबूत करने की ओर कदम बढ़ाया है। इस कड़ी में केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि जोरम मेगा फूड पार्क (एमएफपी) 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार देगा और कोर या प्रमुख प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) व प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर (PPC) के जलग्रहण एरिया के करीब 25,000 किसानों को फायदा पहुंचेगा। बादल ने मिजोरम में स्थित जोरम मेगा फूड पार्क के वर्चुअल उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस मेगा फूड पार्क में करीब 30 फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स में करीब 250 करोड़ रुपए के एक्स्ट्रा निवेश होगा और सालाना करीब 450-500 करोड़ रुपए का कारोबार होगा।
मंत्री ने कहा कि एमएफपी में फूड प्रोसेसिंग के लिए स्थापित की गई आधुनिक बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से मिजोरम और इसके आसपास के क्षेत्रों के किसान, उत्पादक, प्रोसेसर एवं उपभोक्ता काफी लाभान्वित होंगे और इसके साथ ही यह मिजोरम राज्य में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के विकास में काफी मददगार साबित होगा। मंत्रालय ने मिजोरम में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के विकास को नई गति देने के उद्देश्य से ही मिजोरम राज्य में मेगा फूड पार्क को मंजूरी दी है। मिजोरम के कोलासिब जिले के गांव-खमरंग में मेगा फूड पार्क को मेसर्स जोरम मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड ने प्रमोट किया है। यह मिजोरम राज्य में संचालित पहला मेगा फूड पार्क है।
बादल ने यह जानकारी साझा की कि अब तक पूर्वोत्तर क्षेत्र में में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्रालय से सहायता प्राप्त कुल 88 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है और 41 प्रोजेक्ट्स कार्यान्वित की जा चुकी हें। उन्होंने कहा कि 520 करोड़ रुपए से भी अधिक की सब्सिडी के साथ करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत वाली प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि 88 प्रोजेक्ट्स जब हर दृष्टि से पूरी हो जाएंगी, तो 2,166 करोड़ रुपए मूल्य की कृषि उपज के संचालन के लिए 8.66 लाख मीट्रिक टन की प्रोसेसिंग और परिजर्वेशन क्षमता सृजित होगी।
बादल ने कहा कि सरकार भारत में अपना इंटरप्राइजेज शुरू करने के इच्छुक निवेशकों के लिए सहज, पारदर्शी एवं आसान माहौल प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत को एक सुदृढ़ फूड अर्थव्यवस्था और विश्व की फूड फैक्टरी बनाने के लिए सरकार ने फूड प्रोसेसिंग को ‘मेक इन इंडिया’ का एक प्रमुख सेक्टर बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री मंत्रालय दरअसल फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि कृषि सेक्टर तेजी से विकास करे और किसान की आय दोगुनी करने एवं सरकार की पहल ‘मेक इन इंडिया’ में एक बड़ा योगदानकर्ता बन सके।
मेगा फूड पार्क योजना के तहत भारत सरकार प्रत्येक मेगा फूड पार्क प्रोजेक्ट के लिए 50 करोड़ तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। वर्तमान में विभिन्न राज्यों में 18 मेगा फूड पार्क परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं और विभिन्न राज्यों में 19 मेगा फूड पार्कों में पहले ही परिचालन शुरू हो चुका है। इनमें से 6 पूर्वोत्तर क्षेत्र में हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2 एमएफपी असम और मिजोरम में चालू किए जा चुके हैं।
मेसर्स जोरम मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड 75.20 करोड़ रुपए की प्रोजेक्ट लागत से 55 एकड़ भूमि में स्थापित की गई है। इस मेगा फूड पार्क के सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) में डेवलपर द्वारा स्थापित की गई सुविधाओं में अत्याधुनिक अवसंरचना के अलावा कोल्ड स्टोरेज-1000 एमटी, ड्राईवेयरहाउस -3000 एमटी, डिब्बाबंदी के साथ कीटाणुनाशक पल्प लाइन, कीटाणुनाशक और टेट्रा पैकिंग -2 एमटी प्रति घंटा, राइपनिंग (पकने में सहायक) चैम्बर्स -40 एमटी/प्रति घंटा मसाले सुखाने की सुविधा -2MT प्रति घंटा, फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी शामिल हैं। पार्क में कार्यालय के साथ-साथ उद्यमियों के अन्य उपयोगों के लिए एक सामान्य प्रशासनिक भवन और किसानों को लाभान्वित करने के लिए जलग्रहण क्षेत्र में खेतों के पास प्राइमरी प्रोसेसिंग और भंडारण के लिए चम्फाई, थिंगफाल एवं थेनजावलहैविंग केंद्रों में 03 प्राथमिक प्रोसेसिंग सेंटर (पीपीसी) भी हैं। इस मेगा फूड पार्क से कोलासिब जिले के लोगों के साथ-साथ मिजोरम के आस-पास के जिले मामित एवं आइजॉल और असम के निकटवर्ती जिलों हैलाकांडी, कछार के लोगों को भी फायदा होगा।
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