नई दिल्ली। अमेरिकी मुद्रा की मजबूती के बीच सोमवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया (Rupee vs Dollar) 43 पैसे फिसलकर 81.52 के अब तक के निचले स्तर पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 81.47 के स्तर पर खुला। इसके बाद यह गिरकर 81.52 के स्तर पर आ गया। इस तरह पिछले सत्र के बंद भाव की तुलना में यह 43 पैसे फिसला। मालूम हो कि शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे टूटकर 81.09 के स्तर पर बंद हुआ था।
इन कारकों से प्रभावित हुआ भारतीय रुपया
निवेशकों के बीच रिस्क से बचने की भावना से भारतीय रुपये पर दबाव बना। इस संदर्भ में विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि यूक्रेन संकट की वजह से भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने से, डोमेस्टिक शेयर मार्केट में गिरावट से और विदेशी फंड की निकासी की वजह से भी निवेशकों के रुख में नरमी आई हैं।
डॉलर इंडेक्स का ऐसा है हाल
इसबीच डॉलर इंडेक्स की बात करें, तो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.67 फीसदी की बढ़त के साथ 113.94 के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नवीनतम मौद्रिक नीति को सख्त करने से भी डॉलर को समर्थन मिला है। इससे भारत के रुपये के साथ ही ग्लोबल स्तर पर अन्य प्रमुख मुद्राएं कमजोर हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने हाल ही में रेपो रेट में 75 आधार अंकों की वृद्धि की थी। यह फेड द्वारा लगातार तीसरी वृद्धि है।
क्या होगा इसका असर?
रुपये में गिरावट का सबसे बड़ा असर इम्पोर्ट पर होगा। आयातकों को अब आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। दरअशर रुपये की गिरावट से आयात महंगा हो जाएगा। मौजूदा समय में भारत क्रूड ऑयल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वनस्पति तेल, फर्टिलाइजर, मशीनरी, सोना, आदि सहीत बहतु कुछ आयात करता है। रुपये के मूल्य में गिरावट से एक्सपोर्ट सस्ता होगा।
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