इन वजहों से रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, ऐसे कटेगी आपकी जेब

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated May 10, 2022 | 13:06 IST

Rupee All Time Low: 3 महीने के अंदर भारतीय रुपया दूसरी बार अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा है। बीते सोमवार को रुपया, डॉलर के मुकाबरे 77.42 के स्तर पर पहुंच गया। जो कि आजाद भारत के इतिहास में सबसे निचला स्तर है।

rupee all time low and impact on common people
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, फोटो: आईस्टॉक 
मुख्य बातें
  • खाने-पीने की चीजों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक आयटम भी महंगे हो सकते हैं।
  • खेती करना महंगा हो सकता है। क्योंकि कमजोर रुपये से उर्वरक का आयात महंगा हो सकता है।
  • विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी और ज्यादा फीस देनी पड़ेगी।

Rupee All Time Low: कच्चे तेल और एलपीजी की बढ़ती कीमतों  के बाद क्या अब रुपया भी डराएगा । चिंता इसलिए है क्योंकि पिछले 3 महीने के अंदर भारतीय रुपया दूसरी बार अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा है। बीते सोमवार को रुपया, डॉलर के मुकाबरे 77.42 के स्तर पर पहुंच गया। जो कि आजाद भारत के इतिहास में सबसे निचला स्तर है। इसके पहले मार्च 2022 में रुपया 76.98 के स्तर पर गिरकर रिकॉर्ड बना चुका था। रुपये की लगातार  गिरावट का सीधा कनेक्शन कच्चे तेल, एलपीजी की कीमतों से लेकर आयात होने वाली वस्तुओं की कीमत से है। यानी जिनता रुपया कमजोर होगा, उतनी ही महंगाई बढ़ेगी। वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए अर्थशास्त्री रुपये के 78 का आंकड़े छूने की भी आशंका जता रहे हैं।

क्यों रुपये में ऐतिहासिक गिरावट

भारतीय रूपये के कमजोर होने की प्रमुख वजहें वैश्विक परिस्थितियां है। Emkay Global Financial Services के अनुसार रुपये में गिरावट की प्रमुख वजह यूएस फेड रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण वैश्विक इक्विटी बाजार में बिकवाली होना है। यानी निवेशक भारतीय बाजार सहित दुनिया के प्रमुख बाजारों से पैसा निकालकर कर अमेरिकी बाजार में लगा रहे हैं। इसके अलावा रूस-यूक्रेन  युद्ध लंबा खिंचने की वजह से निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई है। रही-सही कसर चीन में कोविड-19 मामलों में बढ़ोतरी से सख्त लॉकडाउन और उसकी वजह से उसके ग्रोथ में गिरावट की आशंका ने बढ़ा दी है। जिस कारण डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट है। 

कोटक महिंद्रा बैंक की सीनियर इकोनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज के अनुसार भारत में FYTD 23 (वित्तीय वर्ष 2022-23 9 मई तक) में फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर्स (FPI) ने 5.8 अरब डॉलर निकाल लिए हैं। जिसका सीधा असर रुपये पर दिखा है। जारी अनिश्चिचतताओं और आरबीआई के सीमित हस्तक्षेप को देखते हुए रुपया 78 के स्तर को भी छू सकता है।

लगातार बिकवाली और कमजोर होते रुपये का असर यह हुआ है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जो 3 सितंबर 2021 को अपने उच्चतम स्तर 642.45 अरब डॉलर पर था। वह 29 अप्रैल को आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार गिरकर 597.72 अरब डॉलर रह गया।

आम आदमी पर होगा ये असर

डॉलर के मुकाबले रुपये  के कमजोर होने का सीधा असर आम आदमी के जेब पर पड़ने वाला है। क्योंकि रुपया कमजोर होने का मतलब है कि आयात महंगा हो जाएगा। यानी विदेश से जो भी चीज आएंगी, उसकी कीमत रुपये में बढ़ जाएगी। और उसका असर आम आदमी पर सीधे तौर पर होगा। जिसमें कच्चे तेल , एलपीजी से लेकर खाने के तेल और दूसरी जरूरी वस्तुएं शामिल है।

  • खाने-पीने की चीजों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक आयटम भी महंगे हो सकते हैं। इसमें मोबाइल से लेकर एसी, फ्रिज,टीवी आदि शामिल हैं।
  • खेती भी महंगी हो सकती है। क्योंकि कमजोर रुपये से उर्वरक का आयात महंगा होगा।
  • लग्जरी कार और वाहनों में इस्तेमाल होने वाले आयातित कल-पुर्जे भी महंगे हो सकते हैं।
  • विदेश में पढ़ाई महंगी हो जाएगी और ज्यादा फीस देनी पड़ेगी।

   हालांकि विदेश से डॉलर में पैसे भेजने वालों के घरों के लोगों को ज्यादा रुपया मिलेगा। इसी तरह कमजोर रुपये का फायदा भारतीय निर्यातकों को मिलेगा।

कांग्रेस ने साधा निशाना

गिरते रुपये  पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि 75 साल में पहली बार देश का रुपया आईसीयू में है और वह भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल की आयु को भी पार कर गया है, प्रधानमंत्री की आयु को तो पार कर ही गया। रुपया कमजोर  होने की तीन प्रमुख वजहे हैं। पहली वजह यह है कि देश में चारों तरफ महंगाई का हाहाकार है। पेट्रोल-डीजल हो, खाने की वस्तुएं हों, वो आम आदमी की पहुंच से बाहर है और देश की अर्थव्यवस्था पर से लोगों का विश्वास टूट रहा है। दूसरी वजह देश में जो विदेशी निवेश आता है, आने की बजाए, देश से निवेश भाग रहा है, वापस जा रहा है। और तीसरी प्रमुख वजह फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में कमी होना है। 

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