नई दिल्ली : सऊदी अरब ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत पर भरोसा जताते हुए रविवार को कहा कि भारत में निवेश की उसकी योजनाएं अपनी राह पर बनी हुई हैं। दुनिया के सबसे बड़े खनिज तेल निर्यातक देश का यह भी कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना वायरस संक्रमण के दुष्प्रभाओं से निकल का आगे बढ़ने की पूरी ताकत और क्षमता मौजूद है।
गौर तलब है कि पिछले साल फरवरी में सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने भारत के पेट्रो-रसायन, तेल शोधन, बुनियादी ढांचा, खनन, विनिर्माण , कृषि और कई अन्य क्षेत्रों में कुल 100 अरब डालर (करीब 7,400 अरब रुपये) के बड़े निवेश की योजना की घोषणा की थी। भारत में सऊदी अरब के राजदूत डा सऊद बिन मोहम्मद अल साती ने कहा, 'भारत में निवेश की हमारी योजनाएं अपनी राह पर चल रही हैं। हम दोनों देशों में अनेक क्षेत्रों में निवेश की प्राथमिकताएं तय करने की बातचीत में लगे हुए हैं।'
साती ने महामारी के संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने में भारत के उपायों की सराहना की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था सुधरने से क्षेत्र के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी और दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसमें महामारी के मौजूदा संकट के असर से उबरने की पूरी क्षमता है।
उन्होंने भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की हाल की सऊदी अरब की ऐतिहासिक यात्रा का सीधा उल्लेख किए बिना कहा कि 2019 में सामरिक भागीदारी परिषद के गठन से दोनों देशों के बीज कई क्षेत्रों में सहयोग के नए मार्ग खुले हैं। इसमें प्रतिरक्षा, सुरक्षा और पर्यटन के क्षेत्र भी शामिल हैं। जनरल नरवणे पिछले सप्ताह वहां गए थे। यह भारतीय सेना के किसी प्रमुख की सऊदी अरब की पहली यात्रा थी।
व्यापारिक भागदीरी के बारे में उन्होंने सऊदी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ) की ओर से रिलायंस रिटेल में करीब 1.3 अरब डालर और रिलायांस जियो प्लेटफार्म्स में 1.5 अरब डालर के निवेश के फैसलों का उल्लेख किया। तेल कंपनी सऊदी अरामकों भी भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र में निवेश के लिए तैयार है। वह रिलयंस इंडस्ट्रीज के कारोबार में हिस्सेदार बनना चाहती है। राजदूत ने कहा कि सऊदी अरब इसके अलावा भी भारत में निवेश के अन्य अवसरों की तलाश में है।
उन्होंने सऊदी अरब में हाल के श्रम सुधारों का जिक्र किया और कहा कि इससे इससे भारत और सऊदी अरब के आर्थिक संबंधों को और पुख्ता करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नए श्रम सुधारों से वहां श्रमिक-नियोक्ता के बीच आनुबंधिक संबंध मजबूत होंगे और सऊदी अरब श्रमिकों के लिए एक आकर्षक बाजार बनेगा।
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