अभी नहीं मिलेगी महंगाई से राहत, और बढ़ने का है डर: एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated May 16, 2022 | 17:16 IST

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक के सामने चुनौती है कि क्या बिना युद्ध के समाप्त हुए, यानी सिर्फ ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।

SBI Research Report on inflation in India
ब्याज दर में बढ़ोतरी के बाद भी महंगाई पर काबू पाने में लगेगा समय  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • ब्याज दरों में बढ़ोतरी से आर्थिक विकास की गति बाधित हो सकती है।
  • आगे महंगाई का डर पहले की तरह ही बना रहेगा।
  • अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी दर्ज की गई थी।

नई दिल्ली। देश की जनता महंगाई से बहुत परेशान है। भारत में सिर्फ सीएनजी, पीएनजी, एविएशन टर्बाइन फ्यूल, रसोई गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल ही नहीं, बल्कि खाने का सामान भी काफी महंगा हो गया है। बढ़ती महंगाई के खिलाफ विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर है। हालांकि केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई पर काबू पाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में आरबीआई ने इसके मद्देनजर रेपो रेट में भी बढ़ोतरी की थी। अब एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट (SBI Research Report) में एक बड़ा खुलासा हुआ है।

महंगाई दर के सामान्य होने में लगेगा समय
एसबीआई की नई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी के बाद भी देश में महंगाई दर के सामान्य होने में समय लगेगा। इसमें कहा गया है कि लगातार बढ़ रही महंगाई को देखते हुए यह सुनिश्चित हो गया है कि आरबीआई जून और अगस्त की बैठक में रेपो रेट में और बढ़ोतरी कर सकता है। 

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महंगाई बढ़ने का डर
एसबीआई की नई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त तक आरबीआई रेपो रेट को कोरोना वायरस महामारी के पहले के स्तर, यानी 5.15 फीसदी के स्तर तक ले जा सकता है। इसतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह कहा गया है कि महंगाई बढ़ने का डर बना रहेगा। इस बात की संभावना कम है कि महंगाई पर जल्द काबू पाया जा सकता है।

दरअसल एसबीआई ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में महंगाई पर असर का अध्ययन किया है। इसमें फरवरी को आधार महीने के रूप में लिया गया क्योंकि फरवरी में युद्ध शुरू हुआ था। रिसर्च के मुताबिक युद्ध की वजह से महंगाई में 52 फीसदी योगदान खाने और पीने के पदार्थों और परिवहन का था।

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