इस मुश्किल समय में, कई इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स पर कम रिटर्न मिल रहा है। फिक्स्ड-डिपोजिट (FD) पर वांछित-से-कम रिटर्न मिल रहा है। ऐसी परिस्थिति में, आप अपने पैसे अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों, रिस्क क्षमता, मौजूदा आमदनी और पैसे की जरूरत को ध्यान में रखते हुए स्थिर रिटर्न पाने के लिए अन्य प्रोडक्ट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। 2019 से कई मौकों पर रेपो रेट में कटौती करने के RBI के फैसले के बाद FD रेट्स में पिछले कुछ महीनों में गिरावट देखने को मिली है। लेकिन, रेट कम होने और रिटर्न टैक्सेबल होने के बावजूद, FD, अपने कम-रिस्की नेचर के कारण, अभी-भी अनगिनत इन्वेस्टर्स का पसंदीदा इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट बना हुआ है क्योंकि इस मुश्किल समय में कैपिटल प्रोटेक्शन, कैपिटल वृद्धि जितना जरूरी हो गया है। FD, बहुत ज्यादा लिक्विड इंस्ट्रूमेंट्स भी हैं, जो मुश्किल समय में काफी मददगार साबित हो सकता है। आप अपने इन्वेस्टमेंट बेनिफिट्स को बढ़ाने के लिए लैडरिंग टेकनीक के माध्यम से भी FD में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
समय पर अपना टारगेट पूरा करने और टोटल इन्वेस्टमेंट रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो को सही ढंग से डाइवर्सिफाई करना चाहिए। इस दृष्टि से, आप यहां दिए गए कुछ अन्य इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स पर विचार कर सकते हैं:-
स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स : जैसे PPF, सुकन्या समृद्धि योजना, इत्यादि, इन पर गारंटीड रिटर्न मिलता है जो आम तौर पर FD से अधिक होता है। इसके अलावा, स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, अत्यंत टैक्स-कुशल भी होते हैं। लेकिन, इनमें से कईयों का इन्वेस्टमेंट पीरियड काफी लम्बा होता है, इसलिए लिक्विडिटी एक समस्या हो सकती है।
वोलंटरी प्रोविडेंट फंड: यदि आप एक वेतनभोगी प्रोफेशनल हैं तो आप चाहें तो VPF के माध्यम से अपने मैंडेटरी EPF में टॉप-अप कर सकते हैं। VPF पर भी FD से अधिक रिटर्न मिलता है। इसमें इन्वेस्टमेंट रिस्क कम होता है और यह अत्यंत टैक्स-कुशल भी होता है। लेकिन यह, FD जितना लिक्विड नहीं होता है।
इक्विटी फंड SIP: यदि आप कम-से-कम 5 साल के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं और कुछ इन्वेस्टमेंट रिस्क उठा सकते हैं तो SIP के माध्यम से एक हाइली-रेटेड इक्विटी फंड में इन्वेस्ट करने से, लम्बे समय में FD की तुलना में काफी अधिक रिटर्न मिल सकता है। इसके अलावा, इक्विटी फंड, स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स से अधिक लिक्विड होता है और एक इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में इन्वेस्ट करने पर, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट भी मिलता है।
डेब्ट फंड SIP: यदि आपका इन्वेस्टमेंट होराइजन और रिस्क क्षमता कम है तो आप SIP मोड में एक हाइली-रेटेड डेब्ट फंड में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। लेकिन, आपको क्रेडिट रिस्क फंड्स या उन डेब्ट फंड्स से दूर रहना चाहिए जहाँ लम्बे होल्डिंग पीरियड वाले एसेट्स में इन्वेस्ट किया जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स: आप अपने पोर्टफोलियो को मजबूत बनाने के लिए लेकिन डिजिटल रूप में अपने गोल्ड इन्वेस्टमेंट को थोड़ा बढ़ाने के बारे में भी सोच सकते हैं क्योंकि डिजिटल गोल्ड की शुद्धता और उसे संभालकर रखने की चिंता नहीं रहती है। डीमैटरियलाइज्ड ऑप्शंस जैसे गोल्ड म्यूच्यूअल फंड्स, गोल्ड ETF, और SGB में से, SGP शायद सबसे अच्छा ऑप्शन है क्योंकि इसमें सोने की कीमत से अधिक गारंटीड इंटरेस्ट इनकम भी मिलता है और रिडेम्पशन पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स भी नहीं लगता है। लेकिन आपका टोटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट, आपके टोटल पोर्टफोलियो के वैल्यू के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए क्योंकि लम्बे समय में सोने की कीमत एक-जैसी बनी रहती है।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)
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