एसबीआई चेयरमैन को वित्त वर्ष 2022 में मिली 34.42 लाख रुपये की सैलरी

बिजनेस
डिंपल अलावाधी
Updated Jun 06, 2022 | 18:31 IST

प्राइवेट बैंकों की तुलना में सराकरी सेक्टर के बैंकों द्वारा प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) को दिया जाने वाला वार्षिक मुआवजा काफी कम है।

State Bank of India Chairman Dinesh Khara annual salary
SBI चेयरमैन दिनेश खारा की सैलरी  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) के अध्यक्ष दिनेश खारा (Dinesh Khara) ने वित्त वर्ष 2022 में वार्षिक वेतन (SBI Chairman Salary) के तौर पर 34.42 लाख रुपये लिए। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि दिनेश खारा का यह वेतन पिछले वर्ष में उनके प्रिडिसेसर रजनीश कुमार को दिए गए मुआवजे से 13.4 फीसदी ज्यादा है। मालूम हो कि खारा को अक्टूबर 2020 में एसबीआई द्वारा अध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया था। भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष बनने से पहले दिनेश खारा ने वैश्विक बैंकिंग और एसबीआई सहायक कंपनियों के प्रभारी बैंक के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया था।

महंगाई भत्ते के तौर पर मिले 7,42,500 रुपये 
वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए, खारा को मूल वेतन के रूप में 27 लाख रुपये मिले। महंगाई भत्ते (DA) के रूप में उन्हें 7,42,500 रुपये का भुगतान किया गया था। वित्त वर्ष 2021 में उन्होंने कुल 38.12 लाख रुपये कमाए, जिसमें से 4 लाख रुपये प्रोत्साहन के रूप में थे।

इतना था रजनीश कुमार का वेतन
एसबीआई के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार की बात करें, तो उनका कुल रिम्युनिरेशन 30.34 लाख रुपये था। इसमें से 14.04 लाख रुपये अक्टूबर 2020 में रिटायरमेंट पर भुगतान किए गए लीव एनकैशमेंट के तौर पर थे।

अन्य बैंकों के प्रमुखों को मिली इतनी सैलरी
केनरा बैंक (Canara Bank) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी एल वी प्रभाकर (L V Prabhakar) को वित्त वर्ष 2022 में 36.89 लाख रुपये का वेतन मिला। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) ने वर्ष के दौरान अपने प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी संजीव चड्ढा (Sanjiv Chadha) को 40.46 लाख रुपये का मुआवजा दिया।

भारतीय स्टेट बैंक ने शेयरधारकों द्वारा निदेशक के रूप में चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की 'फिट और उचित' स्थिति पर पहुंचने के लिए एक नामांकन और पारिश्रमिक समिति का गठन किया है। इस पैनल का गठन साल 2019 में आरबीआई और केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार किया गया था।

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