नई दिल्ली। नोएडा के प्रसिद्ध सुपरटेक ट्विन टावर को ध्वस्त करने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। दोनों टावर्स में विस्फोटक लगाने का काम भी लगभग पूरा चुका है। इस बीच चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर ये टावर्स ध्वस्त क्यों किए जा रहे हैं। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ 'मिलीभगत' कर बिल्डिंग मानदंडों का उल्लंघन करने के मामले में दोनों टावर्स को गिराने का आदेश दिया था।
40 मंजिला ट्विन टावर्स में कई लोगों ने संपत्ति खरीदी थी। इसमें से ज्यादातर लोगों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मुआवाज भी मिल गया है। इनका बनना घर खरीदारों के लिए एक बड़ा धोखा था। इस बीच, सुपरटेक ट्विन टावर में फ्लैट खरीदने वालों जैसा हाल कहीं बाकी खरीदारों का भी ना हो जाए, इस बात की भी चर्चा हो रही है। इसके लिए आपको रियल एस्टेट रिगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) के नियमों के बारे में जान लेना चाहिए।
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घर खरीदारों की रक्षा करना है RERA का उद्देश्य
रेरा का उद्देश्य घर खरीदारों की रक्षा करना और साथ ही रियल एस्टेट निवेश को बढ़ावा देना है। इस भारतीय संसद अधिनियम का विधेयक 10 मार्च 2016 को उच्च सदन (राज्य सभा) द्वारा पारित किया गया था। रेरा अधिनियम 1 मई 2016 से प्रभावी हुआ। उस समय, 92 धाराओं में से सिर्फ 52 को अधिसूचित किया गया था। बाकी सभी प्रावधान 1 मई 2017 से प्रभावी हुए।
ग्राहकों की सुरक्षा करता है रेरा
बैंक बाजार डॉट कॉम के मुताबिक, रेरा अधिनियम के तहत, खरीदारों और निवेशकों के पैसे का कम से कम 70 फीसदी एक अलग अकाउंट में रखा जाएगा। यह पैसा बिल्डरों को सिर्फ निर्माण और भूमि संबंधी लागत के लिए आवंटित किया जाएगा। बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर होने से पहले डेवलपर्स और बिल्डर्स संपत्ति की लागत का 10 फीसदी से ज्यादा एडवांस नहीं मांग सकते हैं।
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पारदर्शिता
बिल्डरों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी सभी परियोजनाओं के लिए ऑरिजनल दस्तावेज जमा करें। इसके अलावा बिल्डर्स को खरीदार की सहमति के बिना योजनाओं में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।
खरीदार की समस्याओं का होगा समाधान
रेरा ने डेवलपर्स को सुपर बिल्ट अप एरिया के बजाय कारपेट एरिया के आधार पर प्रॉपर्टी बेचने का निर्देश दिया है। अगर परियोजना में देरी होती है, तो खरीदार निवेश किए गए पूरे पैसे को वापस पाने के हकदार हैं या वे निवेश करना भी चुन सकते हैं। बिल्डर को खरीद के 5 साल के भीतर खरीदार के सामने आने वाली किसी भी समस्या को ठीक करना होगा। शिकायत के 30 दिनों के भीतर इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
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