नई दिल्ली: सरकार एयर इंडिया में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि टाटा ग्रुप एयर इंडिया को खरीद सकता है। यदि ऐसा होता है तो एयर इंडिया 87 साल बाद अपने पहले मालिक के पास पहुंच जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा ग्रुप सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ मिलकर इस नेशनल कैरियर को खरीदने की बोली लगा सकता है। उन्होंने निलामी में हिस्सा लेने, एयर एशिया इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के विलय की प्लानिंग पर काम करना शुरू कर दिया है।
बता दें कि एयर इंडिया के साथ कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी और एयर एशिया इंडिया में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। टाटा ग्रुप टोनी फर्नांडिस से भी बातचीत कर रहा है, जिनके पास एयर एशिया इंडिया की 49 फीसदी हिस्सेदारी है। शेयर होल्डर्स एग्रीमेंट की शर्त के मुताबिक टाटा समुह किसी अन्य बजट एयरलाइन में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती है, जब तक फर्नांडिस कर्ज माफी को लेकर इच्छुक ना हो।
ऐसी स्थिति में टाटा के लिए फर्नांडिस का तैयार होना जरूरी है। रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही टाटा समुह एक नया एग्रीमेंट साइन कर सकती है। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, 'इस विलय से फर्नांडिस के हाथ भारतीय उड्डयन क्षेत्र का बड़ा क्षेत्र लग सकता है, इसलिए यह दोनों ही पार्टनर के लिए बराबरी का सौदा होगा।'
एयर एशिया इंडिया टाटा संस और फर्नांडिस की संयुक्त एयरलाइन कंपनी है, जिसकी भारतीय उड्डयन बाजार में वापसी हो सकती है। वहीं टाटा समुह विस्तारा का भी संचालन करता है। इसमें कंपनी की 51 फीसदी -49 फीसदी हिस्सेदारी सिंगापुर एयरलाइन्स के साथ है। हाल में ही टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा था कि कंपनी कोई तीसरी एयरलाइंस कंपनी का संचालन नहीं करेगी, जबकि किन्ही दो का विलय ना हो। एयर इंडिया और विस्तारा के विलय से टाटा को इस क्षेत्र में मोनोपोली मिलेगी।
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