नई दिल्ली: भारतीय रेलवे कमाई के नए-नए साधन देख रहा है इसी क्रम में खाली पड़े AC डब्बों का उपयोग चॉकलेट और नूडल्स जैसे खाद्य पदार्थों की ढुलाई के लिए किया गया बताते हैं कि गोवा के वास्को डी गामा से दिल्ली के ओखला तक 8 अक्टूबर को 18 वातानुकूलित डिब्बों में 163 टन वजन के चॉकलेट और नूडल्स लाए गए।
दक्षिण पश्चिम रेलवे ने सुरक्षित और समय पर चॉकलेट की सप्लाई के लिए ऐसा नायाब तरीका निकाला जब यात्री कोच में, वह भी किसी एसी बोगी में चॉकलेट की ढुलाई की गई, दक्षिण पश्चिम रेलवे के अनुसार, यह एसी पार्सल एक्सप्रेस ट्रेन 2115 किलोमीटर की दूरी तय की। इससे रेलवे को 12.83 लाख रुपए की कमाई हुई।
दक्षिण पश्चिम रेलवे डिविजन में कुछ एसी कोच खाली पड़ी थीं जिनका इस्तेमाल चॉकलेट और अन्य खाद्य सामानों को ढोने में किया गया है चॉकलेट और अन्य सामानों की ढुलाई में तापमान का स्तर नियंत्रित रखना होता है, इसलिए एसी कोच में इन सामानों की ढुलाई की गई।
बताते हैं कि अभी तक हुबली डिविजन से सड़क मार्ग से ही सामानों को ढोया जाता था जिस पर व्यापारियों को बहुत खर्च करना होता था लेकिन रेलवे ने महज 24 घंटे में यह काम कर दिखाया क्योंकि उसके पास एसी कोच जैसे संसाधन पहले से मौजूद हैं।
भारतीय रेलवे ने दो मालगाड़ियां 'त्रिशूल' और 'गरुड़' शुरू की हैं। ये मालगाड़ियां सामान्य संरचना से काफी लंबी हैं।ये लंबी ट्रेनें महत्वपूर्ण वर्गों में क्षमता की कमी की समस्या का बहुत प्रभावी समाधान प्रदान करेंगी।त्रिशूल दक्षिण मध्य रेलवे की पहली लंबी दौड़ वाली ट्रेन है जिसमें तीन मालगाड़ियाँ, यानी 177 वैगन शामिल हैं।इस ट्रेन को गुरुवार को विजयवाड़ा मंडल के कोंडापल्ली स्टेशन से पूर्वी तट रेलवे के खुर्दा मंडल के लिए रवाना किया गया। इसके बाद एससीआर ने शुक्रवार को गुंतकल मंडल के रायचूर से सिकंदराबाद मंडल के मनुगुरु तक इसी तरह की एक और ट्रेन 'गरुड़' चलाई।दोनों लंबी ट्रेनों में मुख्य रूप से थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयले की खदान के लिए खाली खुले वैगन शामिल है।
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