Russia-Ukraine War: 17-20 रुपये प्रति लीटर महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल ! अमेरिका ने रूस से तेल आयात किया बंद

बिजनेस
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Mar 09, 2022 | 12:45 IST

Russia-Ukraine War: अमेरिका ने रूस से एनर्जी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी की आशंका है। अभी तक के असर को देखते हुए भारत में 17-20 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।

Petrol-Diesel Price Hike
पेट्रोल-डीजल के बढ़ सकते हैं दाम ! 
मुख्य बातें
  • भारत के पास करीब 11 दिनों का ऑयल रिजर्व है। जबकि अमेरिका के पास 90 दिन का ऑयल रिजर्व है।
  • रूस दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का निर्यात करने वाला देश है।
  • आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस 35-40 फीसदी सस्ता कच्चा तेल बेच रहा है।

Russia-Ukraine War: रूस के आक्रामक रवैये और लंबे खिंचते युद्ध के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस से अमेरिका को आयात होने वाले कच्चे तेल पर सख्ती कर दी है। मंगलवार रात को उन्होंने ऐलान किया है कि अब अमेरिका रूस से कच्चे तेल और गैस का आयात नहीं करेगा। अमेरिका रूस से अपनी जरूरतों का करीब 10 फीसदी तेल आयात करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद कच्चे तेल की कीमतों में और उछाल आने की उम्मीद है। जो यूक्रेन पर हमले के बाद करीब 35 डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुका है। बुधवार को ब्रेंट क्रूड की कीमत  अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई  है। अगर ऐसी ही स्थिति रही तो भारत में पेट्रोल के दाम मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर तेल के दाम 17-20 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्या कहा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रतिबंधों का एलान करते हुए कहा कि अमेरिका अब रूस से तेल और गैस नहीं लेगा। बाइडेन ने यह भी कहा कि फिलहाल अभी कई देश ऐसा फैसला लेने की स्थिति में नहीं है। हम इतिहास के सबसे सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगा रहे हैं। जिसकी कीमत अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी उठानी पड़ेगी, यह स्वतंत्रता बचाने की कीमत है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में यूरोप के उन देशों की ओर भी इशारा किया है कि जो अभी रूस पर एनर्जी आयात के प्रतिबंध लगाने को तैयार नहीं है। ऐसा इसलिए है कि यूरोप को करीब 40 फीसदी गैस की आपूर्ति रूस से होती है। और रूस करीब अपने कच्चे तेल के कुल निर्यात का 60 फीसदी ओईसीडी के यूरोपीय देशों (ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम) को करता है। ऐसे में उनके लिए अमेरिका की तरह सख्त प्रतिबंध लगाना आसान नहीं है।

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार रूस दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का निर्यात करने वाला देश है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार रूस दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का निर्यात करने वाला देश है। दिसंबर 2021 में उसने प्रतिदिन 7.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का निर्यात किया था।
 

भारत में 17-20 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो सकता है पेट्रोल

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और अमेरिकी प्रतिबंधों के असर पर ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बताया कि रूस से भारत करीब 2 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।  सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद कीमतें बहुत ऊपर चली जाएंगी। क्योंकि तेल की कीमतों पर सेंटीमेंट का सीधा असर होता है। और अगर मौजूदा बढ़ी हुई कीमतों के आधार पर ऑयल कंपनियां ग्राहकों पर बोझ डालती हैं तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 17-20 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि ऐसा न होने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें टैक्स में कटौती कर उपभोक्ता पर बोझ कम कर सकती है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो उसका सीधा असर सरकारों के रेवेन्यू पर पड़ेगा। और उनका राजकोषीय घाटा भी बढ़ेगा। दूसरी चिंता की बात यह है कि एक तरफ तेल की कीमतें बढ़ी हैं। और रूपया (9 मार्च को एक डॉलर 76.80 रुपये के बराबर) भी कमजोर हो रहा है। जिससे भी आयात का बोझ बढ़ेगा।

तनेजा कहते हैं कि  जो बाइडेन ने प्रतिबंधों का ऐलान करते हुए कंपनियों और सटोरियों को आगाह किया है कि वह इस संकट के दौर में प्रॉफिट कमाने की कोशिश नहीं करें। इसका मतलब है कि सरकार नजर रख रही है। इसका कितना असर होगा यह तो समय बताएगा। 

रूस दे रहा है 35-40 फीसदी सस्ता तेल

तनेजा के अनुसार इन आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूस 35-40 फीसदी सस्ता कच्चा तेल बेच रहा है। लेकिन भारत के लिए समस्या यह है कि  निर्यात इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने की वजह से वहां से ज्यादा तेल, वह आयात नहीं कर सकता है। क्योंकि रूस से ज्यादातर तेल का निर्यात पश्चिमी इलाके से होता है। और उस क्षेत्र में युद्ध चल रहा है। जिसकी वजह से जहाज नहीं मिल रहे हैं और इंश्योरेंस भी महंगा हो गया है। भारत का करीब 92 फीसदी बिजनेस किराए के जहाजों से होता है। जबकि दूसरे क्षेत्रों से आयात करना बेहद मुश्किल है। दूसरी समस्या यह है कि SWIFT प्रतिबंध से पेमेंट की है। और तीसरी अहम बात यह है कि अभी शेल ने रूस से तेल खरीदा था, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना भी हुई है।

भारत के पास 11 दिन का रिजर्व ऑयल

इस बीच अमेरिका ने रिजर्व ऑयल से तेल इस्तेमाल करने का भी ऐलान कर दिया है। तनेजा कहते हैं कि अमेरिका के पास करीब 90 दिनों का तेल रहता है। जबकि भारत के पास करीब 11 दिनों का ऑयल रिजर्व है। भारत में हर रोज 53 लाख बैरल की खपत है। जाहिर है भारत, अमेरिका जैसी स्थिति में नहीं है। दूसरी अहम बात यह है ऑयल रिजर्व को युद्ध संकट के लिए रखा जाता है। 

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