Investment tips: निवेश रिटर्न को अधिकतम करना चाहते हैं? टैक्स से जुड़े 5 स्मार्ट तरीकों पर दें ध्यान

अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए निवेश भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए बचत और निवेश के बीच में संतुलन बनाना जरूरी है। अपने निवेश पर रिटर्न को अधिकतम करने के लिए टैक्स संबंधी इन कदमों को उठाने के लिए इससे बेहतर समय कोई नहीं होगा। यहां पर उन 5 स्मार्ट टैक्स कदमों के बारे में बताया गया है जिससे आपको ऐसा करने में मदद मिल सकती है।

Want to maximize investment returns? Pay attention to 5 smart ways related to tax
निवेश पर रिटर्न बढ़ाने के 5 स्मार्ट तरीके 

वेतनभोगी व्यक्ति के तौर पर आप टैक्स से बच नहीं सकते हैं। अगर आप कमा रहे हैं, तो आपको लागू टैक्स का भुगतान करना ही होगा, तथा आपको कितना टैक्स देना होगा यह आपकी आयु और उस टैक्स ब्रैकेट पर निर्भर करेगा जिसमें आप आते हैं। जैसे-जैसे आपकी आय बढ़ती है, वैसे ही आपकी टैक्स देयता भी बढ़ती है और आपको कम बचत तथा निवेश करना पड़ता है। इसी के साथ-साथ, अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए निवेश भी महत्वपूर्ण होता है। इसलिए दोनों के बीच में संतुलन बनाना जरूरी है।

क्योंकि टैक्स में वेतन का एक बहुत बड़ा हिस्सा चला जाता है, इसलिए उन निवेश कॉम्बिनेशन को जान लेना महत्वपूर्ण होता है जिनसे आप अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए अपने टैक्स आउटगो को कम कर सकते हैं। कुछ प्रोविजन और तरीकों को यदि अच्छे से लागू किया जाता है, तो आपके टैक्स भार में काफी अधिक कमी आ सकती है। और सबसे अच्छी बात यह है कि ऐसा करते समय आप किसी टैक्स कानून का उल्लंघन नहीं करते हैं। संक्षिप्त में, टैक्स-बचत के लिए उपलब्ध वित्तीय प्रोविजन्स का उचित इस्तेमाल करना एक अच्छी बात है। क्योंकि अभी वित्तीय वर्ष की शुरूआत ही हुई है, इसलिए, अपने निवेश पर रिटर्न को अधिकतम करने के लिए टैक्स संबंधी इन कदमों को उठाने के लिए इससे बेहतर समय कोई नहीं होगा।

यहां पर उन पांच स्मार्ट टैक्स कदमों के बारे में बताया गया है जिससे आपको ऐसा करने में मदद मिल सकती है।

1. आयकर की धारा 80C और उचित निवेश के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें

सबसे पहले, आयकर अधिनियम की धारा 80C के बारे में स्पष्ट तौर पर जान लें। इस धारा के अंतर्गत आपको 1.5 लाख रूपये तक के वार्षिक निवेश पर टैक्स में छूट मिलती है। करदाता को पीपीएफ, एनपीएस तथा टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड्स में टैक्स-सेविंग निवेश की योजना बना कर इस उपलब्ध सीमा का पूरा उपयोग करना चाहिए। इससे आपकी कर योग्य आय कम हो जाती है, और इस तरह से आपका कर भार भी कम हो जाता है। साथ ही निवेश किया फंड, जिसके कारण अन्यथा आपकी कर योग्य आय बढ़ गई होती, उसे बैंक अकाउंट में बेकार रखने की बजाए आपको रिटर्न की प्राप्ति होगी।

2. अपने माता-पिता या दादा-दादी के नाम से निवेश करें

यदि आपके माता-पिता 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं, और निम्न आय टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो टैक्स-फ्री ब्याज अर्जित करने के लिए आप उनके नाम से निवेश करना चुन सकते हैं। यहां यह बात नोट करना उल्लेखनीय है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों को 3 लाख रूपये की आधारभूत छूट (बेस एग्जम्पशन) मिलती है। साथ ही, यदि आपके दादा-दादी की आयु 80 वर्ष से अधिक की है, तो यह छूट और भी अधिक यानि 5 लाख रूपये है। आप उनके नाम से निवेश कर सकते हैं और कर बचत करके अपने रिटर्न को अधिक कर सकते हैं।

3. अपने बच्चों के नाम से निवेश करें

जब आपके बच्चे 18 वर्ष के हो जाते हैं, तो उनके नाम से निवेश करने से आपको अपने रिटर्न अधिकतम करने में मदद मिल सकती है। आयकर अधिनियम के अंतर्गत सभी नाबालिग बच्चों के नाम से किए गए निवेश आयकर अधिनियम के तहत क्लबिंग प्रावधानों को आकर्षित करते हैं तथा जब तक बच्चे 18 वर्ष के नहीं हो जाते है, तब तक कर देयता को माता-पिता द्वारा वहन किया जाता है। लेकिन, 18 वर्ष के बाद, सभी कर उद्देश्यों और निवेश के लिए बच्चे को एक अलग अस्तित्व के रूप में माना जाएगा। यदि आप अपने बच्चों को निवेश करने के लिए उपहार में कोई राशि देते हैं, तो उस राशि पर आपको कोई कर भुगतान नहीं करना होगा।

4. अपने पति/पत्नी के नाम से निवेश करें

व्यक्तिगत खर्च के लिए पति/पत्नी को दी जाने वाली राशि कर योग्य नहीं होती है। आप उपहार में दी गई राशि को अनेक कर-बचत इंस्ट्रुमेंट में निवेश करने के लिए इस प्रोविजन का इस्तेमाल कर सकते हैं और इस प्रकार से कुल मिलाकर रिटर्न को अधिकतम कर सकते हैं और इस प्रकार से कुल रिटर्न को अधिकतम कर सकते है तथा करों की बचत कर सकते है।

5. इक्विटी –ओरिऐन्टेड इंस्ट्रुमेंट्स से समय-समय पर प्रॉफिट बुक करते रहें क्योंकि इक्विटी इंस्ट्रुमेंट्स- स्टॉक्स तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले लाभ अल्पकालिक और साथ ही दीर्घकालिक कर के दायरे में आते हैं, इसलिए एक वर्ष के भीतर प्रॉफिट बुक करना कोई समझदारी की बात नहीं होती है, नहीं तो पूंजीगत लाभ पर 15% अल्पकालिक गेन टैक्स लगता है। एक वर्ष के बाद बुक किए गए कैपिटल गेन पर कोई कर नहीं लगता यदि कुल मिलाकर लाभ 1 लाख रूपये से कम है। लेकिन, आपने 1 लाख रूपये से अधिक का गेन बुक किया है, तो आपको 1 लाख रूपये से ऊपर बुक किए गए प्रॉफिट पर 10% लॉन्ग-टर्म टैक्स देना होगा। इसलिए, टैक्स को कम करने के नजरिए के साथ, व्यक्ति को 1 लाख रूपये तक के प्रॉफिट को 1 वर्ष के बाद बुक करना चाहिए। उसे फिर से निवेश किया जा सकता है, या तो एक साथ या फिर बाद में, जब मार्केट में अच्छे अवसर उपलब्ध हों, तो ऐसा किया जा सकता है।

आप 3 वर्ष की लॉक-इन अवधि के पूरा हो जाने के बाद ईएलएसएस से प्रॉफिट बुक कर सकते हैं। ईएलएसएस पर मिलने वाली टैक्स एग्जम्पशन केवल उसी वित्तीय वर्ष पर लागू होती है जिसमें उन्हें खरीदा जाता है। इस तरह से आप इस प्रकार के निवेश को समय-समय पर रिडीम करवाने पर विचार कर सकते हैं ताकि आप उसका अपने नाम या अपने बच्चों, पति/पत्नी, या माता-पिता के नाम से फिर से निवेश कर सकें। लेकिन, दीर्घकालिक वैल्थ-जेनरेशन के नजरिए से, इस प्रकार की नियमित प्रॉफिट बुकिंग समझदारी वाली बात साबित नहीं होगी क्योंकि आपको कंपाउंडिंग वाला लाभ गंवाना पड़ सकता है। इसलिए, टैक्स बचत तथा रिटर्न के बीच में सोच समझ कर निर्णय लें।

जीवन में कुछ चीजें टैक्स की तरह हमेशा बनी रहती हैं। यदि आपकी आय है, तो यह तय है कि आपको इस पर कर का भुगतान करना होगा, फिर वह सीधे तौर पर हो या अप्रत्यक्ष तौर पर। लेकिन, थोड़ी समझदारी से उठाए गए कदमों से, टैक्स बचत को अधिकतम किया जा सकता है। याद रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेश को आपके भविष्य को सुरक्षित रखने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है न कि कर की बचत करने के लिए। यदि आप अपने निवेश की लागत पर अपने करों की बचत नहीं करते, तो ऐसा करना उपयुक्त होगा।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)


 

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