Large Cap or Mid Cap Funds: लार्ज कैप और मिड कैप के फंड्स क्या होते हैं? जानें दोनों के बीच का फर्क

बिजनेस
Updated Dec 11, 2019 | 13:12 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Difference Between Large cap and Mid cap Funds: बाजार में निवेश करने से पहले कुछ बातों की समझ होना जरूरी है। ऐसे ही दो टर्म्स हैं मिड कैप और लार्ज कैप, जानिए क्या होता है इनका अर्थ।

What are Large-cap and Mid-cap funds
लार्ज कैप और मिड कैप के फंड्स क्या होते हैं  |  तस्वीर साभार: Getty Images

म्यूच्यूअल फंड्स कैसे काम करते हैं यह समझना एक नए इन्वेस्टर के लिए थोड़ा मुश्किल लग सकता है। एक इन्वेस्टर होने के नाते, आप किसी ऐसे इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में इन्वेस्ट करना नहीं चाहेंगे जिसे आप नहीं समझते हैं। इसी तरह, आप कुछ मौके तलाशने की कोशिश भी करेंगे जो आपके पैसे को स्थिर तरीके से बढ़ने में मदद करने का वादा कर सके। इसे आप मार्केट में मौजूद सभी प्रकार के इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस को अच्छी तरह समझने के बाद ही सुनिश्चित कर पाएंगे।

आप इस मामले में गाइडेंस के लिए एक फाइनेंशियल एडवाइजर की मदद ले सकते हैं लेकिन अपने फाइनेंशियल हेल्थ के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखना कभी बुरा नहीं होता है। म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय, इसके सभी पहलुओं को समझना जरूरी है। इस आर्टिकल में, हमने लार्ज कैप और मिड कैप फंड्स की तुलना की है।

बैकग्राउंड

सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने भारत में म्यूच्यूअल फंड्स को फिर से वर्गीकृत करने के लिए जो कदम उठाया उससे तरह-तरह के म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स को पहचानना और उनकी तुलना करना इन्वेस्टरों के लिए ज्यादा आसान हो गया। SEBI के इस आदेश के परिणामस्वरूप सभी म्यूच्यूअल फंड्स को व्यापक तौर पर पांच स्कीम केटेगरी में डाला गया है: इक्विटी, डेब्ट, हाइब्रिड, सॉल्यूशन-ओरिएंटेड और अन्य।

इनमें से, इक्विटी स्कीम्स को 10 भागों में बांटा गया है जैसे लार्ज कैप फंड्स, मिड कैप फंड्स, स्मॉल कैप फंड्स, मल्टीकैप फंड्स, इत्यादि। दूसरी तरफ, डेब्ट स्कीम्स को 16 भागों में और हाइब्रिड स्कीम्स को 6 भागों में बांटा गया है। इक्विटी म्यूच्यूअल फंड स्कीम्स उन इन्वेस्टरों के लिए हैं जो कंजर्वेटिव इन्वेस्टरों की तुलना में ज्यादा रिस्क लेना चाहते हैं और अच्छे रिटर्न वाले एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की तलाश में रहते हैं।

इक्विटी स्कीम्स में तरह-तरह का रिस्क होता है क्योंकि इसमें किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट, स्टॉक मार्केट से जुड़ा होता है। इनमें से, लार्ज कैप फंड्स में इन्वेस्ट किए जाने वाले पैसे को मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से भारत की सबसे कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है, इसलिए इन्हें ज्यादा स्टेबल या स्थिर और कम रिस्की माना जाता है जबकि मिड कैप फंड्स में इन्वेस्ट किए जाने वाले पैसे को उन कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है जो आगे चलकर लार्ज कैप कंपनी बन सकती हैं लेकिन जो वर्तमान में ज्यादा रिस्की होती हैं।

लार्ज कैप फंड्स क्या हैं?

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, लार्ज कैप फंड्स में इन्वेस्ट किए जाने वाले पैसे को मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है। SEBI के मानदंडों के अनुसार, लार्ज कैप कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से टॉप 100 कंपनियों के रूप में परिभाषित किया जाता है।

What Is large cap

ये अलग-अलग क्षेत्रों में लम्बे समय से सबसे अच्छे रिकॉर्ड बनाने वाली प्रतिष्ठित कंपनियां होती हैं। इसके परिणामस्वरूप, ये कंपनियां स्टेबल या स्थिर होती हैं और मध्यम गति से बढ़ती हैं जिससे ये मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स की तुलना में कम वोलेटाइल या अस्थिर होती हैं। बड़ी कंपनियों के रेवन्यू, प्रॉफिट, और मार्केट शेयर सबसे ज्यादा होते हैं। उनका कॉर्पोरेट गवर्नेंस और लीगल कंप्लायंस भी ऊंचे दर्जे का होता है।

चूंकि ऐसी कंपनियों पर कई तरह के अनगिनत शेयरधारकों का मालिकाना होता है इसलिए उनके शेयर की कीमत में हेरफेर किए जाने की सम्भावना भी कम रहती है। जब मार्केट, वोलेटिलिटी से होकर गुजरता है तो लार्ज कैप फंड्स उस हिसाब से वोलेटाइल नहीं होते हैं जिस हिसाब से मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स होते हैं।

इसलिए, लार्ज कैप इन्वेस्टर्स काफी हद तक निश्चिन्त रहते हैं और उन्हें लम्बे समय में अपने पैसे का अच्छा मोल मिलता है। इसका दूसरा पहलू यह है कि लार्ज कैप फंड्स में उतनी ज्यादा विस्फोटक वृद्धि देखने को नहीं मिल सकती है जितनी मिड कैप और स्मॉल कैप में मिल सकती है।

मिड कैप फंड्स क्या हैं?

मिड कैप फंड्स में इन्वेस्ट किए जाने वाले पैसे को मुख्य रूप से उन कंपनियों में इन्वेस्ट किया जाता है जो मझोले आकार की होती हैं। SEBI की परिभाषा के अनुसार, मार्केट कैपिटलाइजेशन की दृष्टि से ये 101 से 250 के रैंक वाली कंपनियां होती हैं। यदि एक इन्वेस्टर, मिड कैप म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करता है तो उनके पैसे को मझोले आकार की कंपनियों के शेयरों में इन्वेस्ट किया जाता है जिनमें आगे चलकर लार्ज कैप कंपनी बनने की क्षमता या संभावना होती है। 

what Is mid cap.

ये उन इन्वेस्टरों के लिए ठीक होते हैं जो ज्यादा रिस्क उठाना चाहते हैं क्योंकि मिड कैप फंड्स, लार्ज कैप फंड्स की तुलना में ज्यादा वोलेटाइल या अस्थिर होते हैं। चूंकि इसमें भयानक रिटर्न मिलने की भी सम्भावना रहती है इसलिए इस तरह के फंड्स, लम्बे समय के लिए इन्वेस्ट करने और ज्यादा रिस्क उठाने की चाह रखने वाले इन्वेस्टरों के लिए सबसे अच्छे होते हैं।

अंत में

एक शुरूआती इन्वेस्टर के लिए, इस बात का फैसला करना आसान नहीं भी हो सकता है कि उसे लार्ज कैप और मिड कैप फंड्स में से किसमें इन्वेस्ट करना चाहिए। लेकिन, कोई भी फैसला करते समय अपने फाइनेंशियल लक्ष्यों, इन्वेस्टमेंट पीरियड, और रिस्क उठाने की क्षमता को जरूर ध्यान में रखना चाहिए।

यदि आपकी रिस्क उठाने की क्षमता कम है तो आप लार्ज कैप फंड्स में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच सकते हैं। यदि आपकी रिस्क उठाने की चाहत या क्षमता अधिक है तो आप छोटी कंपनियों पर दांव लगा सकते हैं जिनके बढ़ने की सम्भावना है। कोई भी संदेह होने पर इन्वेस्टमेंट एडवाइजर की सलाह जरूर लें।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)

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