'जहां घोड़ों से भी नहीं पहुंचाया जा सकता वहां बकरियों से पहुंचाया जा रहा है अनाज' देखें वीडियो

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि बरसात का मौसम शुरू हो रहा है। इसलिए सार्वजनिक वितरण विभाग और एफसीआई को निर्देश दिया गया है किदेश के हर कोने तक अगले 4 महीने का पर्याप्त अनाज जल्द से जल्द पहुंचा दिया ज

'Where grains cannot be transported even by horses, being transported through goats' Watch video
पहाड़ी इलाकों में अनाज की आपूर्ति 
मुख्य बातें
  • केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 4 महीने का अनाज देश के हर कोने में पहुंचाने का निर्देश दिया है
  • बरसात के मौसम में परिवहन को लेकर पैदा होने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते यह निर्देश दिया गया है
  • उन्होंने कहा कि पर्वतीय इलाकों में अनाज पहुंचाना मुश्किल होता है, इसलिए बकरियां अनाज पहुंचा रही हैं

नई दिल्ली : लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों के लिए खाद्यान संकट हो गया। देश का कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे। इसके लिए सरकार करीब 81 करोड़ लोगों तक अनाज पहुंचाने का पूरी कोशिश कर ही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सरकारी योजनाओं के तहत अनाज की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 महीने का अनाज देश के हर कोने में पहुंचाने का निर्देश दिया है। जहां अनाज घोड़ों से भी नहीं पहुंचाया जा सकता वहां बकरियों से पहुंचाया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने बरसात के मौसम में परिवहन को लेकर पैदा होने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए एफसीआई को यह निर्देश दिया है। 

पासवान ने ट्वीट के जरिए रविवार को कहा कि बरसात का मौसम शुरू हो रहा है। इसके मद्देनजर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और एफसीआई को निर्देश दिए हैं कि देश के हर कोने तक अगले 4 महीने का पर्याप्त अनाज मिशन मोड में जल्द से जल्द पहुंचा दिया जाए, ताकि बरसात में परिवहन की दिक्कतों के कारण कहीं भी खाद्यान्न की कमी न हो।

दुर्गम इलाकों में अनाज पहुंचाना मुश्किल काम 

मानसून के आगमन के साथ देश के विभिन्न इलाकों में बारिश होने लगी है और बरसात के 4 महीने के दौरान खासतौर से उन पर्वतीय इलाकों में अनाज पहुंचाना मुश्किल होता है जो रेल व सड़क मार्ग से जुड़े नहीं है। एफसीआई इस क्रम में उत्तराखंड स्थित पिथौरागढ़ के पंगला गोदाम से हिमालय के दुर्गम इलाकों में अनाज पहुंचाने के लिए बकरियों का इस्तेमाल कर रही है।

अनाज पहुंचा रही हैं बकरियां 

पासवान ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि एफसीआई देश के दुर्गम से दुर्गम पहाड़ी इलाकों तक हर हाल में अनाज पहुंचाने की कठिन जिम्मेदारी निभा रहा है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पंगला गोदाम से हिमालय के वैसे दुर्गम गांवों तक जहां घोड़े भी नहीं पहुंच सकते, वहां कद्दावर पहाड़ी बकरियां अनाज पहुंचा रही हैं।

सस्ता अनाज देने के लिए हर महीने 55 लाख टन अनाज की जरूरत

खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम यानी एनएफएसए के तहत देश के करीब 81 करोड़ राशन कार्डधारकों को सस्ता अनाज मुहैया करवाने समेत अन्य योजनाओं के लिए हर महीने 55 लाख टन अनाज की जरूरत होती है।

 

अप्रैल, मई और जून में हर महीने 5 किलो अनाज, एक किलो दाल फ्री

इसके अलावा, मौजूदा कोरोना संकट काल में केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानी पीएमजीकेएवाई के तहत राशन कार्डधारकों को अप्रैल, मई और जून के दौरान हर महीने पांच किलो अनाज और प्रत्येक परिवार को एक किलो दाल मुफ्त मुहैया करवाई जा रही है।

प्रवासी मजदूरों को 5 किलो अनाज, एक किलो चना फ्री

वहीं, विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको सरकार की ओर से मई और जून दो महीने के लिए पांच किलो अनाज और प्रत्येक परिवार को एक किलो चना मुफ्त दिया जा रहा है।

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