WPI : थोक महंगाई दर में गिरावट, लेकिन लगातार छठे महीने 10% से ऊपर

बिजनेस
भाषा
Updated Oct 14, 2021 | 18:03 IST

Wholesale Inflation : सितंबर महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट आई है। लगातार छठे यह 10 प्रतिशत से ऊपर है।

Wholesale inflation declines, but double digits for sixth consecutive month
थोक महंगाई दर में गिरावट (तस्वीर-istock) 
मुख्य बातें
  • थोक महंगाई दर सितंबर 2021 में पिछले 6 महीने में सबसे कम है।
  • खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में लगातार पांचवें महीने कमी हुई।
  • सब्जियां सस्ती हुईं, लेकिन दलहन में तेज बनी रहीं।

Wholesale Price Index : खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी के चलते थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 10.66 प्रतिशत पर आ गई, हालांकि इस दौरान कच्चे तेल में तेजी देखी गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने दहाई अंक में रही, हालांकि यह सितंबर 2021 में पिछले छह महीने में सबसे कम है। अगस्त में यह 11.39 फीसदी थी, जबकि सितंबर 2020 में महंगाई 1.32 फीसदी थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले सितंबर 2021 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, रसायनों और रासायनिक उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है।

खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में लगातार पांचवें महीने कमी हुई। इस दौरान सब्जियां सस्ती हुईं, हालांकि दलहन में तेज बनी रहीं। ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति सितंबर में 24.91 प्रतिशत थी, जो इससे पिछले महीने 26.09 प्रतिशत थी। कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में सितंबर में 43.92 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो इससे पिछले महीने में 40.03 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति इस दौरान 11.41 प्रतिशत रही।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अगस्त 2021 की तुलना में सितंबर 2021 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में क्रमिक गिरावट खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई भारी कमी के चलते है, जबकि कम आधार प्रभाव के चलते ईंधन और बिजली के लिए मुद्रास्फीति में कमी आई।

नायर ने कहा कि चार महीनों से लगातार नरमी के बाद हम अक्टूबर 2021 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में वृद्धि और चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में इसके दहाई अंक में रहने की उम्मीद करते हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में इसमें फिर थोड़ी नरमी आएगी, लेकिन फिर भी इसके लगभग 10 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य (एमपीसी) ऐसे समय में वृद्धि का पक्ष नहीं छोड़ते हैं, जब मुद्रास्फीति वैश्विक आपूर्ति-पक्ष के मुद्दों के चलते हो। उन्होंने कहा कि उदार मौद्रिक नीति रुख में बदलाव तभी शुरू होगा, जब मांग पक्ष का दबाव मुद्रास्फीति पर हावी होने लगेगा। आरबीआई ने पिछले सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर बरकरार रखा था।

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