थोक मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे माह गिरावटः अगस्त में हुई थोड़ी कम, घट कर 12.41% पर आई

थोक मुद्रास्फीति (जिसे थोक मूल्य सूचकांक द्वारा मापा जाता है) में खनिज तेल, खाद्य पदार्थ, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, बुनियादी धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली और खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का योगदान था।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • जुलाई 2022 में थी 13.93 प्रतिशत
  • अगस्त में घटकर हो गई 12.41 प्रतिशत
  • वाणिज्य मंत्रालय ने दी जानकारी

विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में नरमी होने से थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार तीसरे महीने घटकर 12.41 प्रतिशत पर आ गई। खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी के बावजूद मुद्रास्फीति का आंकड़ा घटा है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने, जुलाई में 13.93 फीसदी थी। यह पिछले साल अगस्त में 11.64 फीसदी थी।

डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल से लगातार 17वें महीने में यह दहाई अंकों में रही। डब्ल्यूपीआई इस वर्ष मई में 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। 

अगस्त में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 12.37 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो जुलाई में 10.77 प्रतिशत थी। समीक्षाधीन महीने में सब्जियों के दाम जुलाई में घटकर 22.29 फीसदी पर आ गए, जो पिछले महीने 18.25 फीसदी पर थे।

ईंधन और बिजली में महंगाई दर अगस्त में 33.67 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने 43.75 फीसदी थी। विनिर्मित उत्पादों और तिलहन की मुद्रास्फीति क्रमशः 7.51 प्रतिशत और नकारात्मक 13.48 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक मुख्य रूप से मौद्रिक नीति के जरिए मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखता है। 

खुदरा मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय लक्ष्य से ऊपर रही। अगस्त में यह 7 प्रतिशत पर थी। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस साल प्रमुख ब्याज दर को तीन बार बढ़ाकर 5.40 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति के 6.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।

थोक मुद्रास्फीति (जिसे थोक मूल्य सूचकांक द्वारा मापा जाता है) में खनिज तेल, खाद्य पदार्थ, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, बुनियादी धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, बिजली और खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि का योगदान था। (एजेंसी इनपुट्स के साथ) 

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